बढ़ते प्रदूषण के साथ हवा में घुला जहर लोगों को बहुत ज्यादा बीमार बना रहा है, बच्चे और बुजुर्ग इसका सबसे ज्यादा शिकार बन रहे हैं; फोटो: आईस्टॉक
बढ़ते प्रदूषण के साथ हवा में घुला जहर लोगों को बहुत ज्यादा बीमार बना रहा है, बच्चे और बुजुर्ग इसका सबसे ज्यादा शिकार बन रहे हैं; फोटो: आईस्टॉक

मैहर, नोएडा, गुम्मिडिपूंडी में जहरीली हुई हवा, मैहर में मानकों से 416 फीसदी अधिक प्रदूषण

दूसरी तरफ आज एक बार फिर देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 12 रिकॉर्ड किया गया
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सारांश
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, मैहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 232 दर्ज किया गया, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा से 416 फीसदी अधिक है। नोएडा और गुम्मिडिपूंडी में भी प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक है।

  • हालांकि, देश के 44 फीसदी शहरों में हवा साफ है, जो राहत की बात है। वहीं 49 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 7 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं।

  • कल देश में ग्रेटर नोएडा की हवा सबसे खराब थी। जब वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 178 तक पहुंच गया था, जो आज 25 अंकों के सुधार के साथ घटकर 153 रह गया है।

  • राजधानी दिल्ली की बात करें तो वहां कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। इसके साथ ही वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 130 पर पहुंच गया।

  • अच्छी खबर यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में पांच फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 01 अक्टूबर 2025 को जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि आज देश के जहां 44 फीसदी शहरों में हवा साफ है।

वहीं 49 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 7 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा संतोषजनक है। राहत की बात यह है कि देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में कल से पांच फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है।

आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज प्रदूषण के मामले में मैहर की स्थिति सबसे खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 232 दर्ज किया गया। मतलब की वहां वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में है। इस दौरान वहां की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम10) हावी रहे। रुझानों के मुताबिक वहां फिजाओं में घुला जहर इतना है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।

मैहर में प्रदूषण से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी सुरक्षित सीमा से 416 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि कल मैहर में वायु गुणवत्ता का स्तर 136 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 96 अंकों का भारी उछाल आया है।

गौरतलब है कि कल देश में ग्रेटर नोएडा की हवा सबसे खराब थी। जब वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 178 तक पहुंच गया था, जो आज 25 अंकों के सुधार के साथ घटकर 153 रह गया है। मतलब कि ग्रेटर नोएडा में आज भी वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में बनी हुई है।

दूसरी तरफ आज एक बार फिर देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 12 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर मैहर की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 18 गुणा खराब है।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो वहां कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। इसके साथ ही वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 130 पर पहुंच गया। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में बनी हुई है। बता दें कि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर सुरक्षित सीमा से 117 फीसदी अधिक है।

आंकड़ों से पता चला है कि आज प्रदूषण के मामले में नोएडा (227) दूसरे, जबकि गुम्मिडिपूंडी (203) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 159 अंकों के साथ किशनगंज चौथे स्थान पर है। ग्रेटर नोएडा-मंडी गोबिंदगढ़ में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 153 और 137 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं। देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज दिल्ली (130), छपरा (122), कोयंबटूर (118) और पलवल (116) भी शामिल हैं।

विश्लेषण से यह भी पता चला है कि आज जहां गुम्मिडिपूंडी, किशनगंज, मंडी गोबिंदगढ़, छपरा, रोहतक, नारनौल, पीथमपुर, रानीपेट, आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी है। वहीं मैहर, कोयंबटूर, पलवल, दुर्गापुर, चेन्नई, आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

इन शहरों के विपरीत आज देश के करीब 44 फीसदी यानी 100 शहरों में हवा साफ है। इन साफ हवा वाले शहरों में फिरोजाबाद, गांधीनगर, गंगटोक, ग्वालियर, होसुर, हुबली, जलगांव, जालौर, झांसी, कलबुर्गी, कानपुर, करौली, करूर, कारवार, कटनी, खुर्जा, कोल्हापुर, कोल्लम, कोरबा, कुरूक्षेत्र, लातूर, मदिकेरी, मदुरै, महाड आदि शामिल हैं।

अच्छी खबर यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में पांच फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है।

इसी तरह आज देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में भी इजाफा हुआ है। इन शहरों की संख्या करीब 10 फीसदी के इजाफे के साथ बढ़कर 112 पर पहुंच गई है।

आज देश के जिन शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलना, झालावाड़, झुंझुनूं, जोधपुर, कल्याण, कन्नूर, खन्ना, कोहिमा, कोलकाता, कोटा, लखनऊ, लुधियाना, मालेगांव, मंडीदीप, मेरठ, मिलुपारा, मुरादाबाद, मुंगेर, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, नगांव, नागपट्टिनम, पाली, पंचगांव, पटना आदि शामिल हैं।

इन शहरों के उलट आज देश के 13 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में चेन्नई, छपरा, कोयंबटूर, दिल्ली, दुर्गापुर, ग्रेटर नोएडा, किशनगंज, मंडी गोबिंदगढ़, नारनौल, पलवल, पीथमपुर, रानीपेट, रोहतक, शामिल हैं।

कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में 50 फीसदी की गिरावट आई है, जोकि अच्छी खबर है। 

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 228 में से 100 (+5.3 फीसदी) शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 112 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 30 सितम्बर 2025 को यह आंकड़ा 102 दर्ज किया गया था।

13 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में मैहर (232) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 250 के करीब पहुंच गया। कल ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक 178 रिकॉर्ड किया गया था।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में इजाफा हुआ है। दिल्ली में 13 अंकों के उछाल के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 130 पर पहुंच गया है। हालांकि वायु गुणवत्ता अभी भी मध्यम श्रेणी में है। वहीं फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता का स्तर 69 रिकॉर्ड किया गया है।

गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज किशनगंज चौथे स्थान पर है, वहीं नोएडा (227) दूसरे, जबकि गुम्मिडिपूंडी (203) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 41, गाजियाबाद में 83, गुवाहाटी में 52, गुरूग्राम में 78, नोएडा में 227, ग्रेटर नोएडा में 153 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘बेहतर‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 77, चेन्नई में 106, चंडीगढ़ में 58, हैदराबाद में 65, जयपुर में 59 और पटना में 78 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 100 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, आगरा, अहमदाबाद, अहमदनगर, अजमेर, अकोला, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अरियालूर, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद महाराष्ट्र), बदलापुर, बागलकोट, बालासोर, बरेली, बाड़मेर, बैरकपुर, बेगूसराय, बेलापुर, भिलाई, भीलवाड़ा, भिवानी, बोईसर, ब्यासनगर, चामराजनगर, चिक्कामगलुरु, चित्तौड़गढ़, दमोह, दौसा, दावनगेरे, देहरादून, धुले, डूंगरपुर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गंगटोक, ग्वालियर, होसुर, हुबली, जलगांव, जालौर, झांसी, कलबुर्गी, कानपुर, करौली, करूर, कारवार, कटनी, खुर्जा, कोल्हापुर, कोल्लम, कोरबा, कुरूक्षेत्र, लातूर, मदिकेरी, मदुरै, महाड, मंगुराहा, मीरा-भायंदर, मोतिहारी, मुंबई, मैसूर, नागौर, नागपुर, नलबाड़ी, नमक्कल, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, पालकालाइपेरुर, परभनी, पेरुंदुरई, प्रतापगढ़, प्रयागराज, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, सागर, सलेम, सांगली, सवाई माधोपुर, शिलांग, सिरोही, शिवसागर, सोलापुर, सूरत, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, तिरुमाला, तिरुनेलवेली, तिरुपुर, टोंक, उदयपुर, उल्हासनगर, वाराणसी, वातवा, विरार, विरुधुनगर, वृंदावन, यादगीर शामिल हैं।

वहीं अलवर, अमृतसर, अंगुल, अंकलेश्वर, अररिया, आरा, आसनसोल, बागपत, बहादुरगढ़, बांसवाड़ा, बारां, बारबिल, बारीपदा, बठिंडा, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भरतपुर, भिवाड़ी, भोपाल, भुवनेश्वर, बिहार शरीफ, बिलासपुर, ब्रजराजनगर, बुलन्दशहर, बूंदी, बक्सर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चेंगलपट्टू, छाल, चित्तूर, चुरू, कुड्डालोर, कटक, देवास, धनबाद, धारवाड़, डिंडीगुल, एलूर, फरीदाबाद, गया, गाजियाबाद, गोरखपुर, गुरूग्राम, गुवाहाटी, हाजीपुर, हल्दिया, हनुमानगढ़, हापुड, हावड़ा, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलना, झालावाड़, झुंझुनूं, जोधपुर, कल्याण, कन्नूर, खन्ना, कोहिमा, कोलकाता, कोटा, लखनऊ, लुधियाना, मालेगांव, मंडीदीप, मेरठ, मिलुपारा, मुरादाबाद, मुंगेर, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, नगांव, नागपट्टिनम, पाली, पंचगांव, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, पुडुकोट्टई, पुणे, पूर्णिया, रायरंगपुर, राजगीर, रामनाथपुरम, रतलाम, ऋषिकेश, राउरकेला, रूपनगर, समस्तीपुर, सासाराम, सतना, शिवमोगा, सीकर, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरसा, सिवान, श्री गंगानगर, तालचेर, तंजावुर, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुपति, तुमिडीह, वापी, वेल्लोर, विशाखापत्तनम आदि 112 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

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