एयर क्वालिटी ट्रैकर: छोटे शहरों में शिफ्ट होता प्रदूषण, राजस्थान के नागौर में 313 तक पहुंचा एक्यूआई

दिल्ली से जुड़े आंकड़ों को देखें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। इसके साथ ही वहां 54 अंकों के सुधार के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक 165 पर पहुंच गया है
सिर्फ बड़े शहरों की समस्या नहीं रहा वायु प्रदूषण; फोटो: विकास चौधरी/सीएसई
सिर्फ बड़े शहरों की समस्या नहीं रहा वायु प्रदूषण; फोटो: विकास चौधरी/सीएसई
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देश में बढ़ता प्रदूषण अब सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है, छोटे शहरों में भी परिस्थितियां तेजी से बदल रही हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 19 अप्रैल 2025 को जारी आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान का नागौर शहर प्रदूषण में अव्वल हैं, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 313 रिकॉर्ड किया गया है। गौरतलब है कि कल बागपत में स्थिति सबसे ज्यादा खराब थी, जहां एक्यूआई 245 रिकॉर्ड किया गया था।

वहीं बिहार के सिवान में भले ही एक्यूआई 300 पर नहीं है, लेकिन वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 278 रिकॉर्ड किया गया है। बीकानेर में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है,  जो प्रदूषण के मामले में तीसरे स्थान पर है। बीकानेर में सूचकांक 271 दर्ज किया गया है। इसी तरह हाजीपुर (263) चौथे, जबकि दौसा (257) पांचवें स्थान पर है।

श्री गंगानगर में भी 251 अंकों के साथ छठे स्थान पर बना हुआ है। झुंझुनूं (236) सातवें, जबकि मेघालय का बर्नीहाट (230) आठवें स्थान पर बना हुआ है। हनुमानगढ़ (225) और चुरू (221) भी देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं।

रुझानों पर नजर डालें तो देश के 11 शहरों में हवा खराब बनी हुई है। इन शहरों में ग्वालियर और किशनगंज भी शामिल हैं। चिंता की बात यह है कि कल से खराब हवा वाले शहरों की गिनती में 83 फीसदी का इजाफा हुआ है।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। दिल्ली में 54 अंकों के सुधार के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक 165 पर पहुंच गया है। मतलब दिल्ली में वायु गुणवत्ता 'खराब' से मध्यम श्रेणी में पहुंच गई है।

वहीं दूसरी तरफ देश में एक बार फिर रूपनगर की हवा सबसे साफ है, जहां एक्यूआई 15 दर्ज किया गया है। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर नागौर की तुलना रूपनगर से करें तो वहां स्थिति 20 गुणा ज्यादा खराब है।

रूपनगर की तरह ही आज भी देश के 33 शहरों में हवा साफ है। इन शहरों में गडग, हुबली, कल्याण, क्योंझर, मंगुराहा, मीरा-भायंदर, मुंगेर, नागपट्टिनम, नयागढ़, पालकालाइपेरुर, पुदुचेरी, रामनाथपुरम, रूपनगर, शिलांग, सिलचर, सूरत, ठाणे, तिरुचिरापल्ली, तिरुनेलवेली, वापी आदि शामिल हैं। कल से देखें तो देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में कोई बदलाव नहीं हुआ है और स्थिति जस की तस बनी हुई है।

आंकड़ों से पता चला है कि देश में भुवनेश्वर सहित 116 शहरों में हवा संतोषजनक है। इन शहरों में कोहिमा, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, कुंजेमुरा, लातूर, मदुरै, महाड, मैहर, मंगलौर, मिलुपारा, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंबई, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नगांव, नमक्कल, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, पंचगांव, परभनी, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, प्रयागराज, पुदुकोट्टई, पुणे, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनगर, रानीपेट, ऋषिकेश, सलेम, सांगली, सासाराम, सतना, शिवमोगा, सिलीगुड़ी आदि शामिल हैं।

कल से देखें संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में करीब तीन फीसदी का इजाफा हुआ है।

दिल्ली की तरह ही देश के 62 अन्य शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इनमें धौलपुर, डूंगरपुर, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, इंफाल, जयपुर, जैसलमेर, जालौर, झांसी, जोधपुर, करौली, कटनी, कोरबा, कोटा, लखनऊ, लुधियाना, मदिकेरी, मालेगांव, मंडीदीप, मेरठ, नागपुर, नलबाड़ी, नोएडा, ऊटी, पाली, पीथमपुर, प्रतापगढ़, राजसमंद, रतलाम आदि शहर शामिल हैं।

कल से देखें तो मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में 17 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।

विश्लेषण से पता चला है कि देश के करीब 15 फीसदी शहरों में हवा साफ है, जबकि 52 फीसदी में स्थिति सन्तोषजन है। वहीं दूसरी तरफ 33 फीसदी से अधिक शहरों में वायु गुणवत्ता चिंताजनक बनी हुई है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 224 में से महज 33 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 116 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 18 अप्रैल 2025 को यह आंकड़ा 113 दर्ज किया गया था।

63 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में नागौर (313) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 320 के करीब पहुंच गया। कल बागपत में वायु गुणवत्ता सबसे खराब थी, जब एक्यूआई 245 रिकॉर्ड किया गया था।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई है। इसके साथ ही 54 अंकों के सुधार के साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक गिरकर 165 पर पहुंच गया। मतलब कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता खराब से मध्यम श्रेणी में पहुंच गई है। वहीं आज एक बार फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं। 

गौरतलब है कि पिछले तीन महीनों जनवरी, फरवरी और मार्च 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज हाजीपुर चौथे स्थान पर है, वहीं सिवान (278) दूसरे, जबकि बीकानेर (271) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 211, गाजियाबाद में 124, गुवाहाटी में 95, गुरूग्राम में 118, नोएडा में 110, ग्रेटर नोएडा में 126 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 55 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक’ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 108, चेन्नई में 66, चंडीगढ़ में 87, हैदराबाद में 74, जयपुर में 185 और पटना में 75 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 33 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, आइजोल, अरियालूर, बागलकोट, बारीपदा, बेलगाम, बोईसर, बक्सर, चामराजनगर, चिक्कामगलुरु, कुड्डालोर, दावनगेरे, गडग, हुबली, कल्याण, क्योंझर, मंगुराहा, मीरा-भायंदर, मुंगेर, नागपट्टिनम, नयागढ़, पालकालाइपेरुर, पुदुचेरी, रामनाथपुरम, रूपनगर, शिलांग, सिलचर, सूरत, ठाणे, तिरुचिरापल्ली, तिरुनेलवेली, वापी, विरार शामिल हैं।

वहीं अहमदनगर, अकोला, अमरावती, अनंतपुर, अंकलेश्वर, अररिया, आरा, आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बैरकपुर, बेलापुर, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भिलाई, भीलवाड़ा, भिवंडी, भुवनेश्वर, बिलासपुर, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चेन्नई, छाल, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, कोयंबटूर, कटक, धुले, डिंडीगुल, दुर्गापुर, एलूर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गंगटोक, गया, गोरखपुर, गुम्मिडिपूंडी, गुवाहाटी, हल्दिया, हापुड, होसुर, हावड़ा, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जालंधर, जलगांव, जलना, झालावाड़, कडपा, कलबुर्गी, कन्नूर, कानपुर, काशीपुर, कटिहार, खन्ना, कोहिमा, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, कुंजेमुरा, लातूर, मदुरै, महाड, मैहर, मंगलौर, मिलुपारा, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंबई, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नगांव, नमक्कल, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, पंचगांव, परभनी, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, प्रयागराज, पुदुकोट्टई, पुणे, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनगर, रानीपेट, ऋषिकेश, सलेम, सांगली, सासाराम, सतना, शिवमोगा, सिलीगुड़ी, सिरोही, शिवसागर, तंजावुर, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुमाला, तिरुपुर, उदयपुर, उज्जैन, उल्हासनगर, वाराणसी, वेल्लोर, विजयवाड़ा, विरुधुनगर, विशाखापत्तनम, वृंदावन, यादगीर आदि 116 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

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