
देश में दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहरों को पीछे छोड़ त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 23 अप्रैल 2025 को जारी आंकड़ों के मुताबिक अगरतला में कल से 20 अंकों के उछाल के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक 332 तक पहुंच गया। वहीं दूसरी तरह कर्नाटक के बेलगाम की हवा सबसे ज्यादा साफ है, जहां एक्यूआई 30 दर्ज किया गया है।
ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर अगरतला की तुलना बेलगाम से करें तो वहां स्थिति 10 गुणा ज्यादा खराब है। मतलब की अगरतला में मौजूद ओजोन का स्तर इतना ज्यादा है कि वो लोगों को बीमार बना सकता है।
वहीं मध्यप्रदेश का सिंगरौली आज प्रदूषण में दूसरे स्थान पर है, जहां एक्यूआई 290 दर्ज किया गया है। बागपत में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जहां सूचकांक 284 दर्ज किया गया है। प्रदूषण के मामले में आज सासाराम चौथे जबकि हाजीपुर (236) पांचवें स्थान पर है। 234 अंकों के साथ कुंजेमुरा छठे स्थान पर बना हुआ है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो वो आज सातवें पायदान पर है। दिल्ली में कल से वायु गुणवत्ता में सुधार जरूर आया है, लेकिन इसके बावजूद वायु गुणवत्ता खराब बनी हुई है। इसी तरह देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में भिवाड़ी (216), औरंगाबाद (बिहार) (209) और धनबाद (209) भी शामिल हैं।
रुझानों पर नजर डालें तो आज देश के 10 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है। हालांकि राहत की बात रही कि कल से इन शहरों की गिनती में 33 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।
वहीं दूसरी तरफ देश में बेलगाम की तरह ही 21 अन्य शहरों में हवा साफ है। इन शहरों में कुड्डालोर, गडग, हुबली, मदिकेरी, मैहर, नगांव, नागपट्टिनम, नाहरलगुन, पालकालाइपेरुर, पुदुचेरी, पुदुकोट्टई, रामनाथपुरम, शिवमोगा, सिलचर, शिवसागर, तंजावुर, तिरुवनंतपुरम आदि शामिल हैं। अच्छी खबर यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 16 फीसदी का इजाफा हुआ है।
देश में आइजोल सहित 87 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक है। इन शहरों में ऊटी, परभनी, प्रतापगढ़, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनगर, रानीपेट, सागर, सलेम, सतना, शिलांग, सिलीगुड़ी, सिवान, श्री विजया पुरम, सूरत, तालचेर, टेन्सा, ठाणे, थूथुकुडी, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुपति, उदयपुर, वापी, वाराणसी, वातवा, वेल्लोर, विजयवाड़ा, विरार, विरुधुनगर, वृंदावन आदि शामिल हैं। वहीं कल से देखें तो देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में सात फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।
अमृतसर सहित देश के 109 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।
इन शहरों में धौलपुर, दुर्गापुर, गांधीनगर, गया, गाजियाबाद, गोरखपुर, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, ग्वालियर, हनुमानगढ़, हापुड, इंफाल, जबलपुर, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जालौर, झालावाड़, झुंझुनूं, जोधपुर, कल्याण, कानपुर, करौली, काशीपुर, कटनी, क्योंझर, खन्ना, कोरबा, कोटा, लातूर, लखनऊ, महाड, मालेगांव, मंडीदीप, मंगलौर, मंगुराहा, मेरठ, मिलुपारा, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, नागौर, नागपुर आदि शामिल हैं। कल से तुलना करें तो मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में करीब 14 फीसदी का इजाफा हुआ है।
रुझानों के विश्लेषण से पता चला है कि आज देश के जहां करीब दस फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं 52 फीसदी से अधिक शहरों में हालात चिंताजनक हैं, जबकि 38 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 229 में से महज 22 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 87 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 22 अप्रैल 2025 को यह आंकड़ा 94 दर्ज किया गया था।
109 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।दूसरे शहरों की तुलना में अगरतला (332) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 340 के करीब पहुंच गया। कल बागपत में वायु गुणवत्ता सबसे खराब थी, जब एक्यूआई 334 रिकॉर्ड किया गया था।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में मामूली गिरावट आई है। इसके साथ ही तीन अंकों के सुधार के साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 224 पर पहुंच गया। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में बनी हुई है। वहीं आज एक बार फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं।
गौरतलब है कि पिछले तीन महीनों जनवरी, फरवरी और मार्च 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज सासाराम चौथे स्थान पर है, वहीं सिंगरौली (290) दूसरे, जबकि बागपत (284) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 116, गाजियाबाद में 190, गुवाहाटी में 69, गुरूग्राम में 170, नोएडा में 176, ग्रेटर नोएडा में 160 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 109 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम’ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 188, चेन्नई में 58, चंडीगढ़ में 144, हैदराबाद में 95, जयपुर में 140 और पटना में 166 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 22 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें बागलकोट, बेलगाम, चामराजनगर, चिक्कामगलुरु, कुड्डालोर, गडग, हुबली, मदिकेरी, मैहर, नगांव, नागपट्टिनम, नाहरलगुन, पालकालाइपेरुर, पुदुचेरी, पुदुकोट्टई, रामनाथपुरम, शिवमोगा, सिलचर, शिवसागर, तंजावुर, तिरुवनंतपुरम, तिरुनेलवेली शामिल हैं।
वहीं आइजोल, अजमेर, अकोला, अलवर, अमरावती, अमरावती, अनंतपुर, अरियालूर, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बालासोर, बारीपदा, बैरकपुर, बठिंडा, बेंगलुरु, भिलाई, भिवंडी, भुवनेश्वर, बिलासपुर, बर्नीहाट, चेंगलपट्टू, चेन्नई, छाल, चिकबलपुर, कोयंबटूर, कटक, दावनगेरे, धारवाड़, धुले, डिंडीगुल, डूंगरपुर, फिरोजाबाद, गुम्मिडिपूंडी, गुवाहाटी, हल्दिया, होसुर, हावड़ा, हैदराबाद, इंदौर, जलगांव, जलना, झांसी, कडपा, कलबुर्गी, कांचीपुरम, कन्नूर, कटिहार, किशनगंज, कोहिमा, कोलकाता, कोप्पल, लुधियाना, मदुरै, मीरा-भायंदर, मैसूर, नमक्कल, नांदेड़, ऊटी, परभनी, प्रतापगढ़, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनगर, रानीपेट, सागर, सलेम, सतना, शिलांग, सिलीगुड़ी, सिवान, श्री विजया पुरम, सूरत, तालचेर, टेन्सा, ठाणे, थूथुकुडी, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुपति, उदयपुर, वापी, वाराणसी, वातवा, वेल्लोर, विजयवाड़ा, विरार, विरुधुनगर, वृंदावन आदि 87 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।