

ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक 418 तक पहुंच गया है, जो इसे देश का सबसे प्रदूषित शहर बनाता है। यहां की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं, जिससे स्थिति 'बेहद खराब' से 'गंभीर' हो गई है।
वहीं, शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां एक्यूआई 26 है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ बनी हुई है। जहां प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से 2,300 फीसदी अधिक है।
फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 263 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में नोएडा (397) दूसरे जबकि गाजियाबाद (392) तीसरे स्थान पर है।
इसी तरह 386 अंकों के साथ दिल्ली चौथे स्थान पर है। हापुड-सोनीपत में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 380 और 370 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
मेरठ (369) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में बागपत (356), भिवाड़ी (338) और फतेहाबाद (336) भी शामिल हैं।
आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के छह शहर (ग्रेटर नोएडा, नोएडा, गाजियाबाद, हापुड, मेरठ, बागपत) शामिल हैं।
विश्लेषण से पता चला है कि आज देश में ग्रेटर नोएडा की हवा सबसे खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई बढ़कर 418 तक पहुंच गया। गौरतलब है कि कल 14 नवंबर को ग्रेटर नोएडा में एक्यूआई 368 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 50 अंकों का भारी उछाल आया है।
इसके साथ ही ग्रेटर नोएडा में स्थिति ‘बेहद खराब’ से ‘गंभीर’ हो चुकी है और वहां गैस-चैम्बर जैसे हालत बन गए हैं। रुझानों में सामने आया है कि ग्रेटर नोएडा की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) पूरी तरह हावी हैं। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना ज्यादा है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
ग्रेटर नोएडा से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 2,600 फीसदी अधिक है।
दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 26 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर ग्रेटर नोएडा की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 15 गुणा खराब है।
गौरतलब है कि कल बुलन्दशहर की हवा सबसे खराब थी जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 404 दर्ज किया गया था। कल से तुलना करें तो बुलन्दशहर में प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई है। वहां सूचकांक 70 अंकों की गिरावट के साथ 334 पर पहुंच गया है। हालांकि बुलन्दशहर में वायु गुणवत्ता अभी भी बेहद खराब श्रेणी में बनी हुई है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ बनी हुई है। जहां प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से 2,300 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि 11 नवंबर को दिल्ली में साल का सबसे प्रदूषित शहर दिन दर्ज किया गया था, जब एक्यूआई बढ़कर 428 तक पहुंच गया था।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 15 नवंबर, 2025 को 250 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज चार फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं करीब 29 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 67 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है। चिंता की बात यह है कि कल से देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में चार फीसदी की गिरावट आई है।
वहीं दूसरी तरफ साफ हवा वाले शहरों की गिनती में कल से कोई बदलाव नहीं हुआ है और स्थिति जस की तस है। मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो कल से उनकी गिनती में 9 फीसदी का इजाफा हुआ है।
खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो उनकी गिनती में 22 फीसदी की गिरावट आई है। इसी तरह देश में बेहद खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में भी करीब 13 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, जोकि राहत की खबर है।
फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 263 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में नोएडा (397) दूसरे जबकि गाजियाबाद (392) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 386 अंकों के साथ दिल्ली चौथे स्थान पर है। हापुड-सोनीपत में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 380 और 370 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
मेरठ (369) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में बागपत (356), भिवाड़ी (338) और फतेहाबाद (336) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के छह शहर (ग्रेटर नोएडा, नोएडा, गाजियाबाद, हापुड, मेरठ, बागपत) शामिल हैं।
विश्लेषण से यह भी पता चला है कि जहां ग्रेटर नोएडा, नोएडा, गाजियाबाद, दिल्ली, हापुड, सोनीपत, मेरठ, बागपत, भिवाड़ी, फतेहाबाद, बुलन्दशहर, भिवानी, खुर्जा, गुरूग्राम, धारूहेड़ा, बहादुरगढ़, चरखी दादरी, अम्बाला, मुजफ्फरनगर, यमुनानगर, पीथमपुर, फरीदाबाद, मानेसर, मंडीदीप, मंडी गोबिंदगढ़, कटक, कुरूक्षेत्र, वापी, विशाखापत्तनम, करनाल, तालचेर, पानीपत, हल्दिया, पिंपरी-चिंचवाड, भोपाल, बल्लभगढ़, खन्ना, गुम्मिडिपूंडी, नारनौल, बद्दी, बारबिल, सिरसा, कोलकाता, कटनी, सांगली, हावड़ा, लखनऊ, प्रयागराज, बिहार शरीफ, नांदेड़, कानपुर, आसनसोल, परभनी, बारीपदा, जबलपुर, नागपुर, आगरा, पटना, अमरावती (आन्ध्रप्रदेश), हाजीपुर, जयपुर, मुंबई, तिरुमाला, जालंधर, अमृतसर, देवास, करौली, वाराणसी, राजमहेंद्रवरम, मांडीखेड़ा, नासिक, गया, बेलापुर, कोटा, कोयंबटूर, वेल्लोर, कैथल, चेन्नई आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं।
वहीं श्री गंगानगर, धुले, सीकर, चुरू, नागौर, दौसा, टोंक, झुंझुनूं, बीकानेर, हिसार, चंद्रपुर, सासाराम, किशनगंज, भरतपुर, पुणे, पटियाला, क्योंझर, वृंदावन, भीलवाड़ा, छपरा, उल्हासनगर, सवाई माधोपुर, अहमदाबाद, वातवा, अमरावती (महाराष्ट्र), भिवंडी, जालौर, बिलीपाड़ा, धनबाद, फिरोजाबाद, बदलापुर, महाड, पुडुकोट्टई, गांधीनगर, बोईसर, मीरा-भायंदर, रतलाम, टेन्सा, उदयपुर, विरार आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है। इन शहरों के विपरीत देश के चार फीसदी यानी महज 10 शहरों में हवा साफ है।
इन साफ हवा वाले शहरों में अगरतला, चामराजनगर, दमोह, कांचीपुरम, कोप्पल, नगांव, पालकालाइपेरुर, शिलांग, तिरुवनंतपुरम, विजयपुरा आदि शामिल हैं।
आज देश के जिन शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें गोरखपुर, गुवाहाटी, हुबली, जैसलमेर, झालावाड़, झांसी, कडपा, कलबुर्गी, कल्याण, कन्नूर, कटिहार, कोहिमा, कोरबा, कुंजेमुरा, मदिकेरी, मदुरै, मंगलौर, मंगुराहा, मैसूर, नाहरलगुन, नलबाड़ी, नयागढ़, ऊटी, पलवल, पेरुंदुरई, पुदुचेरी, पूर्णिया, रायपुर, रायरंगपुर, राजगीर, राजसमंद, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, रूपनगर, सतना, शिवमोगा आदि शामिल हैं।
इन शहरों के उलट आज देश के 121 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।
इन शहरों में आगरा, अहमदाबाद, अहमदनगर, अमरावती (आन्ध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, अंगुल, अररिया, आसनसोल, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बांसवाड़ा, बारां, बारीपदा, बैरकपुर, बठिंडा, बेगूसराय, बेलापुर, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, भिवंडी, बिहार शरीफ, बीकानेर, बिलीपाड़ा, बोईसर, ब्यासनगर, बर्नीहाट, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चेन्नई, छाल, छपरा, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, चुरू, कोयंबटूर, दौसा, देवास, धनबाद, धौलपुर, दुर्गापुर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गया, हाजीपुर, हनुमानगढ़, हिसार, हावड़ा, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जयपुर, जालंधर, जलगांव, जालौर, झुंझुनूं, जोधपुर, कैथल, कानपुर, करौली, करूर, काशीपुर, कटनी, क्योंझर, किशनगंज, कोल्हापुर, कोलकाता, कोटा, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, महाड, मांडीखेड़ा, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नागपट्टिनम, नागौर, नागपुर, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, पाली, पंचकुला, परभनी, पटियाला, पटना, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुडुकोट्टई, पुणे, राजमहेंद्रवरम, रतलाम, रोहतक, राउरकेला, सागर, सलेम, सांगली, सासाराम, सवाई माधोपुर, सिरसा, सिवान, सोलापुर, सूरत, टेन्सा, तिरुमाला, तिरुपुर, टोंक, उदयपुर, उल्हासनगर, वाराणसी, वातवा, वेल्लोर, विरार, वृंदावन शामिल हैं।
कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में नौ फीसदी का इजाफा हुआ है।
आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज देश के 32 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है। इन शहरों में अम्बाला, बद्दी, बहादुरगढ़, बल्लभगढ़, बारबिल, भोपाल, भुवनेश्वर, चरखी दादरी, कटक, धुले, फरीदाबाद, गुम्मिडिपूंडी, ग्वालियर, हल्दिया, जलना, करनाल, खन्ना, कुरूक्षेत्र, मंडी गोबिंदगढ़, मंडीदीप, मानेसर, मुजफ्फरनगर, नारनौल, पानीपत, पिंपरी-चिंचवाड, पीथमपुर, सीकर, श्री गंगानगर, तालचेर, वापी, विशाखापत्तनम, यमुनानगर शामिल हैं।
इसी तरह आज देश के 14 शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। इन शहरों में बागपत, भिवाड़ी, भिवानी, बुलन्दशहर, दिल्ली, धारूहेड़ा, फतेहाबाद, गाजियाबाद, गुरूग्राम, हापुड, खुर्जा, मेरठ, नोएडा, सोनीपत शामिल हैं। वहीं ग्रेटर नोएडा (418) में स्थिति गंभीर है।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 250 में से महज 10 शहरों में हवा 'बेहतर' है। 72 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 14 नवंबर 2025 को यह आंकड़ा 75 दर्ज किया गया था।
121 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में आज ग्रेटर नोएडा (418) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 420 के करीब पहुंच गया। बता दें कि कल ग्रेटर नोएडा में सूचकांक 368 रिकॉर्ड किया गया था। मतलब की आज वहां प्रदूषण के स्तर में 50 अंकों का भारी इजाफा हुआ है। इसके साथ ही ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता ' बेहद खराब' से 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गई।
वहीं कल बुलन्दशहर में वायु गुणवत्ता सबसे ज्यादा खराब थी, जब सूचकांक 404 दर्ज किया गया था। आज 70 अंकों के सुधार के साथ बहादुरगढ़ में वायु गुणवत्ता सूचकांक 334 पर पहुंच गया है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। हालांकि सुधार के बावजूद दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक अभी भी 386 बना हुआ है। दूसरी तरफ फरीदाबाद में कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है, जहां पांच अंकों के उछाल के साथ एक्यूआई बढ़कर 263 पर पहुंच गया।
गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में 15 नवंबर को दिल्ली चौथे स्थान पर है, वहीं नोएडा (397) दूसरे, जबकि गाजियाबाद (392) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 260, गाजियाबाद में 392, गुवाहाटी में 86, गुरूग्राम में 305, नोएडा में 397, ग्रेटर नोएडा में 418 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 159 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 182, चेन्नई में 139, चंडीगढ़ में 122, हैदराबाद में 110, जयपुर में 161 और पटना में 163 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 10 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, चामराजनगर, दमोह, कांचीपुरम, कोप्पल, नगांव, पालकालाइपेरुर, शिलांग, तिरुवनंतपुरम, विजयपुरा शामिल हैं।
वहीं अजमेर, अकोला, अलवर, अरियालूर, आरा, औरंगाबाद (बिहार), बागलकोट, बरेली, बाड़मेर, बेलगाम, भिलाई, बीदर, बिलासपुर, ब्रजराजनगर, बूंदी, चिक्कामगलुरु, कुड्डालोर, दावनगेरे, देहरादून, धारवाड़, डिंडीगुल, डूंगरपुर, गडग, गोरखपुर, गुवाहाटी, हुबली, जैसलमेर, झालावाड़, झांसी, कडपा, कलबुर्गी, कल्याण, कन्नूर, कटिहार, कोहिमा, कोरबा, कुंजेमुरा, मदिकेरी, मदुरै, मंगलौर, मंगुराहा, मैसूर, नाहरलगुन, नलबाड़ी, नयागढ़, ऊटी, पलवल, पेरुंदुरई, पुदुचेरी, पूर्णिया, रायपुर, रायरंगपुर, राजगीर, राजसमंद, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, रूपनगर, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, शिवसागर, ठाणे, तंजावुर, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तुमिडीह, उडुपी, विजयवाड़ा, यादगीर आदि 72 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।
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