
आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि आज देश में ग्रेटर नोएडा की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 37 अंकों के उछाल के साथ बढ़कर 144 तक पहुंच गया है। इस दौरान ग्रेटर नोएडा की हवा में कार्बन और पीएम10 के महीन कण हावी थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी मानकों के लिहाज से देखें तो काशीपुर में प्रदूषण का स्तर तय सुरक्षित सीमा से 1,957 फीसदी अधिक है।
मतलब की वहां की हवा में जहर इस तरह रच-बस गया है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
गौरतलब है कि कल सिंगरौली में प्रदूषण से स्थिति सबसे ज्यादा खराब थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 401 तक पहुंच गया। हालांकि आज इसमें 361 अंकों का भारी सुधार आया है। मतलब की एक ही दिन में सिंगरौली की वायु गुणवत्ता गंभीर से साफ हो गई है। दूसरी तरफ आज देश में चित्तौड़गढ़ की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 16 रिकॉर्ड किया गया।
ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर ग्रेटर नोएडा की तुलना चित्तौड़गढ़ से करें तो वहां स्थिति 8 गुणा खराब है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 22 अगस्त 2025 को जारी आंकड़ों से पता चला है कि देश के जहां 58 फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं 35 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 7 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज हवा साफ है।
देश के सबसे प्रदूषित शहरों में राजसमंद (129) दूसरे जबकि नंदेसरी (128) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 127 अंकों के साथ आज काशीपुर चौथे स्थान पर है। कमोबेश ऐसी ही स्थिति भिवाड़ी की भी है, जहां एक्यूआई 118 दर्ज किया गया।
विशाखापत्तनम (117), अजमेर (115) में भी हालात कुछ खास अच्छे नहीं, जो आज प्रदूषित शहरों में छठे और सातवें स्थान पर है। इसी तरह देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में गुम्मिडिपूंडी (115), छपरा (114) और श्री गंगानगर (114) भी शामिल हैं।
आंकड़ों से पता चला है कि जहां आज नंदेसरी, श्री गंगानगर, चित्तूर आदि शहरों में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं। वहीं विशाखापत्तनम, गुम्मिडिपूंडी, गाजियाबाद, समस्तीपुर, धुले आदि की हवा में पीएम10 काबिज है। इसी तरह जहां राजसमंद, अजमेर, तिरुमाला में ओजोन से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
देश में आज चित्तौड़गढ़ सहित 133 शहरों में हवा साफ है। इन शहरों में बेगूसराय, बेलापुर, भरतपुर, भिलाई, भीलवाड़ा, भोपाल, बिलासपुर, बिलीपाड़ा, बोईसर, बूंदी, ब्यासनगर, चामराजनगर, चिकबलपुर, चित्तौड़गढ़, कटक, दमोह, देहरादून, देवास, डिंडीगुल, डूंगरपुर, दुर्गापुर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गया, गोरखपुर, गुवाहाटी, ग्वालियर, हल्दिया, होसुर, हावड़ा, हुबली, इंदौर, जबलपुर, जैसलमेर, जलगांव, जालौर, झुंझुनूं, जोरापोखर, कलबुर्गी, कल्याण आदि शामिल हैं।
चिंता की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में आठ फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।
आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज देश के छोटे बड़े 81 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक है। इन शहरों में भुवनेश्वर, बिहार शरीफ, बीकानेर, ब्रजराजनगर, बुलन्दशहर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चेंगलपट्टू, चेन्नई, चुरू, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दौसा, धनबाद, धारवाड़, धौलपुर, एलूर, गुरूग्राम, हाजीपुर, हनुमानगढ़ आदि शामिल हैं। कल से तुलना करें तो देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में पांच फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है, जहां 23 अंकों के उछाल के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक 100 के पार पहुंच गया है।
दिल्ली की तरह ही आज देश के 16 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में अजमेर, भिवाड़ी, छपरा, चित्तूर, दिल्ली, धुले, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुम्मिडिपूंडी, काशीपुर, नंदेसरी, राजसमंद, समस्तीपुर, श्री गंगानगर, तिरुमाला, विशाखापत्तनम आदि शामिल हैं। कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में 60 फीसदी का इजाफा हुआ है।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 230 में से 133 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 81 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 21 अगस्त 2025 को यह आंकड़ा 77 दर्ज किया गया था।
16 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में ग्रेटर नोएडा (144) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 410 के करीब पहुंच गया। कल सिंगरौली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 401 रिकॉर्ड किया गया।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में इजाफा हुआ है। इसके साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 102 पर पहुंच गया। मलतब की दिल्ली में वायु गुणवत्ता संतोषजनक से मध्यम श्रेणी में पहुंच गई है। वहीं आज फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं।
गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज काशीपुर चौथे स्थान पर है, वहीं राजसमंद (129) दूसरे, जबकि नंदेसरी (128) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 49, गाजियाबाद में 109, गुवाहाटी में 45, गुरूग्राम में 91, नोएडा में 92, ग्रेटर नोएडा में 144 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 49 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘बेहतर‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 51, चेन्नई में 62, चंडीगढ़ में 56, हैदराबाद में 71, जयपुर में 56 और पटना में 64 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 133 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, अहमदाबाद, अहमदनगर, अकोला, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अंगुल, अरियालूर, आरा, आसनसोल, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बागलकोट, बालासोर, बांसवाड़ा, बारां, बारबिल, बारीपदा, बाड़मेर, बैरकपुर, बेगूसराय, बेलापुर, भरतपुर, भिलाई, भीलवाड़ा, भोपाल, बिलासपुर, बिलीपाड़ा, बोईसर, बूंदी, ब्यासनगर, चामराजनगर, चिकबलपुर, चित्तौड़गढ़, कटक, दमोह, देहरादून, देवास, डिंडीगुल, डूंगरपुर, दुर्गापुर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गया, गोरखपुर, गुवाहाटी, ग्वालियर, हल्दिया, होसुर, हावड़ा, हुबली, इंदौर, जबलपुर, जैसलमेर, जलगांव, जालौर, झुंझुनूं, जोरापोखर, कलबुर्गी, कल्याण, कांचीपुरम, करौली, कारवार, क्योंझर, खन्ना, खुर्जा, कोल्हापुर, कोलकाता, कोरबा, कोटा, कुंजेमुरा, लातूर, मदिकेरी, मदुरै, महाड, मालेगांव, मंडीदीप, मंगुराहा, मीरा-भायंदर, मुंबई, मुंगेर, मैसूर, नागपट्टिनम, नागौर, नागपुर, नाहरलगुन, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, पालकालाइपेरुर, पंचगांव, परभनी, पटियाला, पेरुंदुरई, पीथमपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुदुचेरी, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनाथपुरम, रतलाम, ऋषिकेश, राउरकेला, सागर, सहरसा, सलेम, सांगली, सवाई माधोपुर, शिवमोगा, सिलीगुड़ी, सिंगरौली, सिरोही, शिवसागर, सिवान, सोलापुर, सुआकाती, सूरत, तालचेर, टेन्सा, ठाणे, तंजावुर, तिरुचिरापल्ली, तिरुनेलवेली, तिरुपुर, टोंक, तुमिडीह, उदयपुर, वाराणसी, विजयपुरा, विरार शामिल हैं।
वहीं आगरा, अलवर, अमृतसर, अनंतपुर, अंकलेश्वर, अररिया, औरंगाबाद (बिहार), बद्दी, बदलापुर, बरेली, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भिवंडी, भुवनेश्वर, बिहार शरीफ, बीकानेर, ब्रजराजनगर, बुलन्दशहर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चेंगलपट्टू, चेन्नई, चुरू, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दौसा, धनबाद, धारवाड़, धौलपुर, एलूर, गुरूग्राम, हाजीपुर, हनुमानगढ़, हापुड, हैदराबाद, जयपुर, जालंधर, झालावाड़, झांसी, जोधपुर, कन्नूर, कानपुर, कटिहार, कटनी, किशनगंज, कोहिमा, कोल्लम, लखनऊ, लुधियाना, मंडी गोबिंदगढ़, मंगलौर, मेरठ, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, नलबाड़ी, नांदेड़, नोएडा, ऊटी, पाली, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, पुणे, राजगीर, रानीपेट, रूपनगर, सीकर, सिलचर, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपति, उल्हासनगर, वापी, वातवा, वेल्लोर, विजयवाड़ा, विरुधुनगर, वृंदावन आदि 81 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।