शिलांग सहित देश के 56 फीसदी शहरों में हवा साफ, तीन फीसदी में स्थिति चिंताजनक

चिंता की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में पांच फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है
फोटो: आईस्टॉक
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  • देश के 56% शहरों में हवा साफ है, जबकि 3% में स्थिति चिंताजनक है।

  • छपरा की हवा सबसे प्रदूषित है, जहां एक्यूआई 140 दर्ज किया गया।

  • शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां एक्यूआई 13 है।

  • गुवाहाटी और भागलपुर भी प्रदूषण के मामले में शीर्ष पर हैं। दिल्ली में वायु गुणवत्ता संतोषजनक बनी हुई है।

देश के सभी शहरों में आज एक बार फिर छपरा की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 140 दर्ज किया गया। इस दौरान बिहार के इस शहर की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी रहे। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी मानकों के लिहाज से देखें तो वहां प्रदूषण का स्तर सुरक्षित सीमा से 833 फीसदी अधिक है।

मतलब की वहां की हवा में घुला जहर लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।

आंकड़ों के मुताबिक कल भी बिहार के इस शहर में प्रदूषण से स्थिति सबसे ज्यादा खराब थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 209 तक पहुंच गया था। मतलब कि कल से आज वहां वायु गुणवत्ता में 69 अंकों का सुधार आया है।

दूसरी तरफ आज देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 13 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर छपरा की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 10 गुणा खराब है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 07 सितम्बर 2025 को जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि आज देश के जहां करीब 56 फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं 41 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 3 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा साफ है।

रुझानों से पता चला है कि आज प्रदूषण के मामले में गुवाहाटी दूसरे जबकि भागलपुर तीसरे स्थान पर है। बता दें जहां गुवाहाटी में सूचकांक 119 दर्ज किया गया, वहीं भागलपुर में 118 तक पहुंच गया है। इसी तरह देश के सबसे प्रदूषित शहरों में आज अंगुल (116), विशाखापत्तनम (109), सहरसा (107) और गुम्मिडिपूंडी (102) भी शामिल हैं।

विश्लेषण से पता चला है कि आज जहां देश में छपरा, भागलपुर, अंगुल, गुम्मिडिपूंडी आदि शहरों में पीएम2.5 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। वहीं विशाखापत्तनम, सहरसा आदि शहरों में पीएम10 हावी हैं।

वहीं दूसरी तरफ आज देश में आगरा सहित 123 शहरों  में हवा साफ है। इन शहरों में नागौर, नागपुर, नाहरलगुन, नलबाड़ी, नमक्कल, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, ऊटी, पाली, पालकालाइपेरुर, पटियाला, पेरुंदुरई, पीथमपुर, प्रयागराज, पुडुकोट्टई, पुणे, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनाथपुरम, रतलाम, रूपनगर, सवाई माधोपुर, शिलांग, सिरोही आदि शामिल हैं।

चिंता की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में पांच फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। राजधानी दिल्ली की बात करें तो भले ही कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है, लेकिन अभी भी वायु गुणवत्ता संतोषजनक बनी हुई है।

साफ हवा वाले शहरों की तरह ही आज देश के छोटे बड़े 90 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक है। इन शहरों में दुर्गापुर, गया, गाजियाबाद, गोरखपुर, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, हल्दिया, हावड़ा, हैदराबाद, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, झालावाड़, कडपा, कल्याण, कांचीपुरम, कन्नूर, कानपुर, कटिहार, क्योंझर, कोहिमा, कोलकाता, कोल्लम, कोटा, लखनऊ, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, नांदेड़, नोएडा, परभनी, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, पूर्णिया, रायरंगपुर, राजसमंद, राउरकेला आदि शामिल हैं।

राहत की खबर यह है कि कल से देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में आठ फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।

इन शहरों के उलट आज देश के सात शहरों  में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में अंगुल, भागलपुर, छपरा, गुम्मिडिपूंडी, गुवाहाटी, सहरसा, विशाखापत्तनम शामिल हैं। कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में 36 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 220 में से 123 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 90 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 06 सितम्बर 2025 को यह आंकड़ा 83 दर्ज किया गया था।

7 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में छपरा (140) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 150 के करीब पहुंच गया। कल छपरा में वायु गुणवत्ता सूचकांक 209 रिकॉर्ड किया गया।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में इजाफा हुआ है। इसके साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 82 पर पहुंच गया। मलतब की दिल्ली में वायु गुणवत्ता संतोषजनक श्रेणी में बनी हुई है। वहीं आज फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं। 

गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज अंगुल चौथे स्थान पर है, वहीं गुवाहाटी (119) दूसरे, जबकि भागलपुर (118) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 50, गाजियाबाद में 62, गुवाहाटी में 119, गुरूग्राम में 52, नोएडा में 68, ग्रेटर नोएडा में 99 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 51 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 54, चेन्नई में 68, चंडीगढ़ में 41, हैदराबाद में 73, जयपुर में 52 और पटना में 71 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 123 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, आगरा, अकोला, अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, अरियालूर, आसनसोल, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बागलकोट, बालासोर, बांसवाड़ा, बारां, बरेली, बाड़मेर, बठिंडा, बेलापुर, बेंगलुरु, बेतिया, भरतपुर, भिलाई, भीलवाड़ा, भोपाल, भुवनेश्वर, बोईसर, ब्रजराजनगर, बुलन्दशहर, बूंदी, चामराजनगर, चंडीगढ़, चेंगलपट्टू, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, चित्तौड़गढ़, चुरू, कोयंबटूर, कुड्डालोर, कटक, दमोह, दौसा, दावनगेरे, देहरादून, देवास, धौलपुर, धुले, डिंडीगुल, डूंगरपुर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गंगटोक, ग्वालियर, हनुमानगढ़, हापुड, होसुर, हुबली, इंदौर, जबलपुर, जलगांव, जलना, झांसी, झुंझुनूं, जोधपुर, जोरापोखर, कलबुर्गी, करौली, करूर, कारवार, काशीपुर, कटनी, खन्ना, खुर्जा, कोल्हापुर, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, लुधियाना, मदिकेरी, मदुरै, महाड, मालेगांव, मंगलौर, मेरठ, मीरा-भायंदर, नगांव, नागपट्टिनम, नागौर, नागपुर, नाहरलगुन, नलबाड़ी, नमक्कल, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, ऊटी, पाली, पालकालाइपेरुर, पटियाला, पेरुंदुरई, पीथमपुर, प्रयागराज, पुडुकोट्टई, पुणे, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनाथपुरम, रतलाम, रूपनगर, सवाई माधोपुर, शिलांग, सिरोही, शिवसागर, सुआकाती, सूरत, टेन्सा, तिरुनेलवेली, तिरुपुर, टोंक, उदयपुर, वाराणसी, वेल्लोर, विजयपुरा, विरार, विरुधुनगर शामिल हैं।

वहीं अहमदाबाद, अहमदनगर, अजमेर, अलवर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अनंतपुर, अंकलेश्वर, अररिया, आरा, औरंगाबाद (बिहार), बद्दी, बदलापुर, बारबिल, बारीपदा, बैरकपुर, बेगूसराय, भिवाड़ी, भिवंडी, बिहार शरीफ, बीकानेर, बिलासपुर, बिलीपाड़ा, बक्सर, ब्यासनगर, चंद्रपुर, चेन्नई, छाल, चित्तूर, दिल्ली, दुर्गापुर, गया, गाजियाबाद, गोरखपुर, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, हल्दिया, हावड़ा, हैदराबाद, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, झालावाड़, कडपा, कल्याण, कांचीपुरम, कन्नूर, कानपुर, कटिहार, क्योंझर, कोहिमा, कोलकाता, कोल्लम, कोटा, लखनऊ, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, नांदेड़, नोएडा, परभनी, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, पूर्णिया, रायरंगपुर, राजसमंद, राउरकेला, सागर, सांगली, सासाराम, सतना, शिवमोगा, सीकर, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिवान, सोलापुर, श्री गंगानगर, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुमाला, तुमिडीह, उल्हासनगर, वापी, विजयवाड़ा, वृंदावन आदि 90 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

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