साफ हवा वाले शहरों में 39 फीसदी की गिरावट, समस्तीपुर में 331 पर पहुंचा एक्यूआई

देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में चार बिहार से, दिल्ली की हवा भी बिगड़ी, समस्तीपुर से 25 गुना साफ शिलांग की हवा
प्रतीकात्मक तस्वीर: विकास चौधरी/सीएसई
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Summary
  • देश में साफ हवा वाले शहरों की संख्या एक दिन में 39 फीसदी की गिरावट।

  • समस्तीपुर (बिहार) सबसे प्रदूषित शहर रहा, एक्यूआई 331 तक पहुंचा (बेहद खराब श्रेणी)।

  • समस्तीपुर की हवा में प्रदूषण स्तर डब्ल्यूएचओ मानकों से 2,100 फीसदी अधिक।

  • देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में 4 बिहार से – समस्तीपुर, मोतिहारी (265), औरंगाबाद (191), छपरा (190)।

  • समस्तीपुर की हवा शिलांग से 25 गुना ज्यादा प्रदूषित, जबकि शिलांग सबसे साफ (एक्यूआई 13)।

  • दिल्ली की वायु गुणवत्ता बिगड़कर ‘संतोषजनक’ से मध्यम श्रेणी (एक्यूआई 105) में पहुंची।

देश में बढ़ते प्रदूषण से बिहार की स्थिति सबसे खराब है। हालात यह हैं कि समस्तीपुर में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 331 तक पहुंच गया है। मतलब कि वहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' हो गई है। इस दौरान वहां हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) पूरी तरह हावी रहे। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी मानकों के लिहाज से देखें तो समस्तीपुर में प्रदूषण का स्तर सुरक्षित सीमा से 2,100 फीसदी अधिक है।

मतलब की वहां की हवा में घुला जहर लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है। गौरतलब है कि कल सरकार ने समस्तीपुर के प्रदूषण से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए थे।

आंकड़ों के मुताबिक कल थूथुकुडी में प्रदूषण से स्थिति सबसे ज्यादा खराब थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 251 तक पहुंच गया था। वहीं कल से देखें तो आज वहां वायु गुणवत्ता में 191 अंकों का भारी सुधार आया है।

बिहार में समस्तीपुर की तरह ही मोतिहारी में भी स्थिति खराब बनी हुई है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 265 रिकॉर्ड किया गया है। इसी तरह बिहार का औरंगाबाद आज 191 अंकों के साथ देश का तीसरे सबसे प्रदूषित शहर है। छपरा में भी स्थिति कोई खास अच्छी नहीं है, जो आज 190 अंकों के साथ चौथा सबसे प्रदूषित शहर है। मतलब की देश के चार सबसे प्रदूषित शहर बिहार के हैं।

इसके बाद 175 अंकों के साथ ग्रेटर नोएडा पांचवें, जबकि विशाखापत्तनम (170) छठे पायदान पर है। इसी तरह देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज गुम्मिडिपूंडी (139), नोएडा (130), गाजियाबाद (128) और बद्दी (120) भी शामिल हैं।

विश्लेषण में यह भी सामने आया है कि कल से देश में प्रदूषित शहरों की गिनती में इजाफा हुआ है। वहीं साफ हवा वाले शहरों की संख्या में 39 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है।

दूसरी तरफ आज एक बार फिर देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 13 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर समस्तीपुर की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 25 गुणा खराब है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 09 सितम्बर 2025 को जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि आज देश के जहां 31 फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं 58 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ करीब 10.4 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज हवा संतोषजनक है, लेकिन साफ हवा वाले शहरों में आती गिरावट और प्रदूषित शहरों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है।

रुझानों में यह भी सामने आया है कि आज जहां समस्तीपुर, मोतिहारी, छपरा, गुम्मिडिपूंडी, नलबाड़ी, किशनगंज, छाल आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं। वहीं औरंगाबाद (बिहार), ग्रेटर नोएडा, विशाखापत्तनम, नोएडा, गाजियाबाद, बद्दी, दौसा, सिवान, पटना, सवाई माधोपुर, पीथमपुर, टोंक, बांसवाड़ा, दिल्ली, प्रतापगढ़ आदि शहरों की हवा में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

इन शहरों के उलट आज देश के 69 शहरों में हवा साफ है। इन साफ हवा वाले शहरों में गंगटोक, हाजीपुर, हनुमानगढ़, हापुड, होसुर, हुबली, इंदौर, जबलपुर, जयपुर, जैसलमेर, जलगांव, जालौर, झांसी, झुंझुनूं, जोधपुर, जोरापोखर, करौली, करूर, काशीपुर, खुर्जा, कोल्हापुर, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, मदिकेरी, मदुरै, महाड, मंडी गोबिंदगढ़, मंगलौर, मेरठ, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नगांव, नागपट्टिनम, नागौर, नागपुर, नाहरलगुन, नासिक, नवी मुंबई आदि शामिल हैं।

चिंता की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 39 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है।

इसी तरह देश के छोटे बड़े 128 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक दर्ज की गई है। इन शहरों में कानपुर, काशीपुर, कटनी, कोहिमा, कोलकाता, कोल्लम, कोटा, कुंजेमुरा, लातूर, लखनऊ, मालेगांव, मेरठ, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नगांव, नागौर, नासिक, नवी मुंबई, ऊटी, पाली, पंचगांव, परभनी, पिंपरी-चिंचवाड, पुणे, रायरंगपुर, राजगीर, राजसमंद, रतलाम, रूपनगर, सांगली, सतना, सीकर, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, शिवसागर, श्रीगंगानगर, सुआकाती, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली आदि शामिल हैं।

कल से देखें तो देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में 39 फीसदी का इजाफा हुआ है।

वहीं दूसरी तरफ आज देश के 21 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में दर्ज की गई। इन शहरों में औरंगाबाद (बिहार), बद्दी, बांसवाड़ा, छाल, छपरा, दौसा, दिल्ली, एलूर, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुम्मिडिपूंडी, किशनगंज, नलबाड़ी, नोएडा, पटना, पीथमपुर, प्रतापगढ़, सवाई माधोपुर, सिवान, टोंक, विशाखापत्तनम आदि शामिल हैं। कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में 200 फीसदी का इजाफा हुआ है।

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 220 में से 69 (-39%) शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 128 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 08 सितम्बर 2025 को यह आंकड़ा 92 दर्ज किया गया था।

21 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में समस्तीपुर (331) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 350 के करीब पहुंच गया। कल थूथुकुडी में वायु गुणवत्ता सूचकांक 251 रिकॉर्ड किया गया।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में इजाफा हुआ है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 23 अंकों के उछाल के साथ बढ़कर 105 पर पहुंच गया है। मलतब की दिल्ली में वायु गुणवत्ता संतोषजनक से मध्यम श्रेणी में पहुंच गई है। वहीं आज फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं। 

गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज छपरा चौथे स्थान पर है, वहीं मोतिहारी (265) दूसरे, जबकि औरंगाबाद (बिहार) (191) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 65, गाजियाबाद में 128, गुवाहाटी में 65, गुरूग्राम में 68, नोएडा में 130, ग्रेटर नोएडा में 175 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 62 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 55, चेन्नई में 84, चंडीगढ़ में 55, हैदराबाद में 88, जयपुर में 87 और पटना में 112 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 69 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, अकोला, अमृतसर, आसनसोल, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बागलकोट, बरेली, बाड़मेर, बठिंडा, भरतपुर, भिलाई, भुवनेश्वर, बिलासपुर, चामराजनगर, चंद्रपुर, चेंगलपट्टू, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, कोयंबटूर, कटक, दमोह, दावनगेरे, डिंडीगुल, डूंगरपुर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गंगटोक, हसन, हुबली, जबलपुर, जैसलमेर, जलगांव, जलना, करौली, करूर, खन्ना, खुर्जा, कोल्हापुर, कोरबा, मदिकेरी, मदुरै, महाड, मंडी गोबिंदगढ़, मंगलौर, मंगुराहा, नागपट्टिनम, नागपुर, नाहरलगुन, नांदेड़, नयागढ़, पटियाला, पेरुंदुरई, प्रयागराज, पुडुकोट्टई, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनाथपुरम, सहरसा, सलेम, शिलांग, शिवमोगा, सोलापुर, सूरत, तंजावुर, तिरुमाला, तिरुनेलवेली, वाराणसी, विजयपुरा, यादगीर शामिल हैं।

वहीं आगरा, अहमदाबाद, अहमदनगर, अजमेर, अलवर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अनंतपुर, अंगुल, अंकलेश्वर, अरियालूर, आरा, बदलापुर, बागपत, बालासोर, बारां, बारबिल, बारीपदा, बैरकपुर, बेगूसराय, बेलापुर, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भीलवाड़ा, भिवाड़ी, भिवंडी, भोपाल, बिलीपाड़ा, बोईसर, ब्रजराजनगर, बुलन्दशहर, बूंदी, बक्सर, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चेन्नई, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, चुरू, कुड्डालोर, देवास, धनबाद, धारवाड़, धौलपुर, धुले, दुर्गापुर, गया, गोरखपुर, गुरूग्राम, गुवाहाटी, ग्वालियर, हाजीपुर, हल्दिया, हनुमानगढ़, हापुड, हावड़ा, हैदराबाद, इंदौर, जयपुर, जालंधर, जालौर, झालावाड़, झांसी, झुंझुनूं, जोधपुर, जोरापोखर, कडपा, कलबुर्गी, कल्याण, कानपुर, काशीपुर, कटनी, कोहिमा, कोलकाता, कोल्लम, कोटा, कुंजेमुरा, लातूर, लखनऊ, मालेगांव, मेरठ, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नगांव, नागौर, नासिक, नवी मुंबई, ऊटी, पाली, पंचगांव, परभनी, पिंपरी-चिंचवाड, पुणे, रायरंगपुर, राजगीर, राजसमंद, रतलाम, रूपनगर, सांगली, सतना, सीकर, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, शिवसागर, श्रीगंगानगर, सुआकाती, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुपति, तिरुपुर, तुमिडीह, उदयपुर, उल्हासनगर, वापी, वेल्लोर, विजयवाड़ा, विरार, विरुधुनगर, वृंदावन आदि 128 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

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