
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पूर्वी बेंच ने 15 मई, 2025 को ओडिशा के बेलपहाड़ नगर पालिका और राज्य प्रशासन को फटकार लगाते हुए कहा कि एक गरीब किसान की जमीन पर कचरा डंप करके उसे बर्बाद कर दिया गया, और राज्य प्रशासन इस पर कोई भी जरूरी कार्रवाई करने में नाकाम रहा है।
एनजीटी ने कहा कि एक कल्याणकारी राज्य के तौर पर प्रशासन को ऐसे मामलों में विशेष ध्यान देना चाहिए था, जहां एक अत्यंत गरीब किसान की जमीन पर बेलपहाड़ नगरपालिका के कार्यकारी अधिकारी ने अतिक्रमण कर गंदा पानी और कचरा डालना शुरू कर दिया।
इससे किसान की जमीन खराब हो गई, और यह बात दाखिल हलफनामों में भी स्वीकार की गई है।
न्यायमूर्ति बी अमित स्थलेकर की बेंच ने ओडिशा सरकार को दो सप्ताह के भीतर इस मामले में ताजा स्थिति पर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 30 जून, 2025 को होगी।
14 मई 2025 को झारसुगुड़ा के जिलाधिकारी द्वारा दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि बेलपहाड़ नगरपालिका ने बिना ट्रीटमेंट वाला गंदे सीवेज को फिलहाल एक अस्थाई जगह पर इकट्ठा करने की व्यवस्था की है और इसे नगरपालिका के सेसपूल एम्प्टीयर से नियमित रूप से हटाया जा रहा है। आवेदक नवीन किसन के एक पत्र के मुताबिक भुवनेश्वर की इकोमेट्रिक्स कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने इस गंदे पानी को डायवर्ट करने के लिए सर्वे किया है। इसकी अनुमानित लागत 16.27 करोड़ रुपए बताई गई है।
इस पर न्यायमूर्ति बी अमित स्थलेकर ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि अदालत यह नहीं समझ पा रही है कि बिना ट्रीटमेंट वाले गंदे पानी के डायवर्जन की अनुमानित लागत तय करने में आवेदक नवीन किसान की क्या भूमिका हो सकती है।
न्यायमूर्ति स्थलेकर ने कहा, "वह एक अनपढ़, बेहद गरीब ग्रामीण किसान है, जिसकी छोटी सी जमीन पर नगरपालिका ने उसकी अनुमति के बिना ही शहरी कचरा डालना शुरू कर दिया।" आवेदक की सभी अर्जियों में सिर्फ यही मांग की गई है कि उसकी जमीन से गंदा पानी हटाया जाए, जमीन को पहले जैसी हालत में बहाल किया जाए और उसे उचित मुआवजा दिया जाए।
ओडिशा सरकार के विशेष वकील ने इस मामले में अदालत से दो सप्ताह का समय मांगा है, ताकि वह यह बताने वाली स्थिति रिपोर्ट पेश की जा सके कि राज्य सरकार ने आवेदक की जमीन की बहाली और उसे हुए नुकसान के मुआवजे को लेकर अब तक क्या कदम उठाए हैं।
सालबोनी झील की हालत पर एनजीटी सख्त, अधिकारियों से रिपोर्ट तलब
नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (एनजीटी) की पूर्वी बेंच ने सालबोनी झील की सफाई और संरक्षण को लेकर पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निरीक्षण रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। साथ ही 15 मई, 2025 को कोर्ट ने पूछा है कि झील को बहाल करने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।
इसके साथ ही, कोलकाता नगर निगम को भी हलफनामा दाखिल करने और इस मामले में अब तक की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट देने को कहा गया है।
एनजीटी ने कोलकाता नगर निगम को निर्देश दिया है कि वह राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार सालबोनी झील की पूरी सीमा तय करे और उस सम्बन्ध में स्थिति रिपोर्ट अदालत में पेश करे।
सुका-पैका नहर की बहाली जून तक पूरी होने की उम्मीद, एनजीटी ने मांगी स्थिति रिपोर्ट
सुका-पैका नहर के जीर्णोद्धार का काम लगभग पूरा हो चुका है और इसके 21 जून, 2025 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है। यह जानकारी ओडिशा सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सरकारी अधिवक्ता ने 15 मई, 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में दी है।
इस पर न्यायमूर्ति बी अमित स्थलेकर की बेंच ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह अगली सुनवाई से पहले नहर की बहाली से जुड़ी ताजा स्थिति रिपोर्ट अदालत में पेश करे। इस मामले में अगली सुनवाई 28 अगस्त, 2025 को होगी।
सुका-पैका नहर, जिसे ‘डेड रिवर’ (मृत नदी) भी कहा जाता है, ओडिशा के कटक जिले में महानदी की एक शाखा है। 1950 के दशक में इसके मुहाने को बंद कर दिया गया था, जिससे इसका प्रवाह रुक गया और यह मृतप्राय हो गई।