हरियाणा में मजदूरों की कमी से मंडियां गेहूं से हाउसफुल, खरीद की गति धीमी

नमी और बरदाने की कमी से जूझ रहे है किसान, 48 घंटे में भुगतान और 24 घंटे में उठान का दावा फेल
बादली अनाज मंडी गेहूं से फुल, नहीं है रखने की जगह; फोटो: शाहनवाज आलम
बादली अनाज मंडी गेहूं से फुल, नहीं है रखने की जगह; फोटो: शाहनवाज आलम
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हरियाणा सरकार ने एक अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू की थी। मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल का दावा था कि गेहूं की खरीद में कोई दिक्‍कत नहीं आएगी और 24 घंटे में मंडी से गेहूं का उठान और 48 घंटे में किसानों के खाते में पैसे ट्रांसफर कर दिए जाएंगे, लेकिन खरीद शुरू होने के 15 दिन बाद भी दावों पर अमल नहीं हो पाया है। किसानों को अब अपनी फसल बेचने के लिए मंडियों में इंतजार करना पड़ रहा है। गेहूं की उठान नहीं होने से मंडियां भर चुकी है। प्रदेश के 160 से अधिक मंडियों में अघोषित तौर पर खरीद पर रोक लगा दी गई है। बारिश होने की सूरत में गेहूं को नुकसान होना तय है। सरकार ने खुद 18 मंडियों में खरीद पर 24 घंटे के लिए रोक लगा दी थी, लेकिन फिर भी हालत नहीं सुधरे नहीं है। मंडियों में अचानक मजदूरों की कमी हो गई है। कोविड-19 के दूसरी लहर के बाद सरकारों द्वारा लगाए जा रहे नए प्रतिबंध और लॉकडाउन के भय से बिहार, उत्‍तर प्रदेश, झारखंड, मध्‍य प्रदेश से आए दिहाड़ी मजदूर वापस लौट रहे है। मंडियों में बरदाना, बोरी सिलाई, गेहूं उठान व फसल के भुगतान नहीं होने से पूरी खरीद व्‍यवस्‍था चरमरा गई है।

15 अप्रैल के शाम तक हरियाणा के 396 मंडियों में 44.65 लाख मीट्रिक टन गेहूं की आवक मंडियों में हो चुकी। जिसमें से 38.07 लाख टन गेहूं की खरीद सरकारी एजेंसियों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की है, लेकिन अब तक 5.98 लाख मीट्रिक टन की उठान मंडियों में हो पाई है। हरियाणा में 25 लाख हेक्‍टेयर से अधिक रकबे में बुआई हुई थी। बंपर पैदावार की वजह से प्रदेश के सभी अनाज मंडी में गेहूं लेकर पहुंचने वाले किसानों को कई मुसीबतों से गुजरना पड़ रहा है। इसके पीछे सरकार की उठान नीति को आढ़ती जिम्‍मेवार बता रहे है। भिवानी, यमुनानगर, कैथल, करनाल और अंबाला में किसानों को फिलहाल मंडी आने के लिए मैसेज नहीं दिया जा रहा है।

किसानों का कहना है प्रदेश सरकार के दावे और हकीकत में बहुत अंतर है। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष रतन मान कहते है कि सरकार का मैसेज सिस्‍टम के हिसाब से किसानों की बिक्री नहीं हो सकती है। कंबाइन मिलने और फिर ट्रैक्‍टर-ट्रॉली से फसल मंडी तक पहुंचाना एसएमएस के हिसाब से नहीं हो सकता है। मंडियों में अनाज के लिए जगह नहीं होने पर सड़कों किनारे फसल गिराने पर रहे है। दो-दो दिन जागकर किसान इसकी निगरानी कर रहे है।

पटौदी के किसान जगदीप बताते है, सरकार ने बुधवार को मैसेज भेजकर फसल लेकर आने को कहा था, लेकिन बृहस्‍पतिवार शाम तक खरीद नहीं हुई। ट्रैक्‍टर किराए का है। अब इसका अतिरिक्‍त किराया कौन देगा। दूसरे किसान गोंदरवासी कबूल सिंह ने बताया कि किसानों को नमी के नाम पर परेशान किया जा रहा है। अचानक 12 प्रतिशत नमी की कैटेगरी बदल दी गई है। अब आढ़ती 1800 रुपये प्रति कुंतल दे रहा है। जबकि एमएसपी 1975 रुपये का है। नमी के कारण किसानों को बैरंग लौटाया जा रहा है। बता दें कि एफसीआई ने गेहूं की फसल में नमी की तय सीमा 14 से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया जाता है। फर्रूखनगर के किसान अशोक पाटली का कहना है 14 दिन बीतने के बाद भी भुगतान नहीं मिल रहा है। 48 घंटे में भुगतान किसानों के खाते में आने की बात कही गई थी। अभी तक कोई पैसा नहीं आया है।

आढ़ती एसोसिएशन के वाइस चेयरमैन संजय वर्मा बताते है कि प्रदेश के सभी मंडियों में बारदाने की कमी बनी हुई है, जिसके कारण खरीद प्रभावित हो रही है। सबसे अधिक शिकायत फतेहाबाद, भिवानी, करनाल, पानीपत, जींद, सिरसा जिले से है। मंडी में जगह नहीं होने के कारण टोकन सिस्टम भी प्रभावित हो गया है। टोकन कटवाने के लिए किसानों को तीन से छह घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है।

भारतीय खाद्य निगम, हैफेड, हरियाणा वेयर हाउस और खाद्य आपूर्ति विभाग के जरिये गेहूं की खरीद हो रही है। लेकिन इन खरीद एजेंसियों के पास बरदाने की कमी के कारण प्रदेश के 160 से अधिक खरीद केंद्र पर रोक लगी हुई है। इससे गुस्‍साए किसानों ने जींद, सिरसा, रोहतक के गढ़ी में हाईवे जाम कर विरोध जताया था। वहीं इस बार सरकार ने सीधे अकाउंट में पैसे भेजने का निर्णय लिया है। इसकी वजह से आढ़ती किसानों से हस्‍ताक्षर किए हुए खाली चेक ले ले रहे है, ताकि भुगतान के बाद आढ़त नहीं मिलने की सूरत में किसानों से वह रकम वसूली जी सके।

हरियाणा व्‍यापार मंडल के अध्‍यक्ष बजरंग दास गर्ग ने डाउन टू अर्थ को बताया कि इस बार सरकार की जे-फॉर्म नीति ही गलत है। हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड ने अनाज मंडियों में खरीदे गए गेहूं के उठान के लिए आनलाइन व्यवस्था की थी। कभी वेबसाइट नहीं खुलने तो कभी सर्वर डाउन होने के कारण ऑनलाइन आवेदन ही आढ़ती नहीं कर पा रहे है। एक ट्रक में औसतन गेहूं की 500 बोरियों को लोड किया जाता है। अगर किसी आढ़ती ने कम बोरियों के लिए आवेदन किया तब दूसरे आढ़ती के यहां से फसल उठानी पड़ती है। अगर किसी आढ़ती के गेहूं में कमी पाई जाती है तो सभी आढ़तियों को उनकी बोरियां लौटा दी जाती है। अलग-अलग जगहों से उठान करने में आधा दिन निकल जाते है। अचानक मंडियों में मजदूरों की कमी हो गई है।

खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्‍त मुख्‍य सचिव अनुराग रस्‍तोगी का कहना है कि अगर कही बारदाने की दिक्कत है तो उसे दूर कर लिया जाएगा। एसएमएस की जहां तक बात है किसान अब पोर्टल पर जाकर खुद अपनी फसल के लिए शेड्यूल तय कर सकेंगे। मंडियों से उठान के लिए दिशा-निर्देश दिए जा चुके है। वरिष्‍ठ अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। 

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