मध्य प्रदेश: घर से गेहूं बेचने के लिए निकले दो किसानों ने गंवाई जान

एक ओर मध्यप्रदेश सरकार रिकॉर्डतोड़ गेहूं खरीदने का दावा कर रही है, वहीं कई-कई दिन तक मंडियों में खड़े रहने के बाद भी किसानों का गेहूं नहीं बिक पाया
मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में खरीदी केंद्र पर इंतजार करते रह गए 100 से अधिक किसान। फोटो: मनीष चंद्र मिश्र
मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में खरीदी केंद्र पर इंतजार करते रह गए 100 से अधिक किसान। फोटो: मनीष चंद्र मिश्र
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मध्यप्रदेश के देवास अमोना गांव के किसान जयराम मंडलोई लगातार चार दिनों तक गेहूं तुलाई केंद्र पर अपनी बारी का इंतजार करते रहे। 31 मई को उन्हें तुलाई केंद्र पर ही सीने में दर्द महसूस हुआ और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। वे 80 क्लिंटल गेहूं बेचने के लिए चार दिनों से इंतजार कर रहे थे। जिला प्रशासन ने उनके परिजनों को चार लाख रुपए की सहायता देने की घोषणा की है।

एक दूसरे मामले में मध्यप्रदेश के आगर मालवा में एक किसान की सात दिन तुलाई के लिए इंतजार करना भारी पड़ गया। अपनी बारी का इंतजार करते-करते 25 मई को उसकी मौत हो गई। मामला तनोडिया स्थित प्राथमिक कृषि सहकारी साख संस्था के उपार्जन केंद्र का है, जहां मृतक किसान प्रेम सिंह मानसिंह (45) 17 मई से ही अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे।

31 मई को ज्यादातक जिलों में गेहूं खरीदी का आखिरी दिन था और हजारों किसान अपनी बारी का इंतजार करते रह गए, लेकिन तुलाई नहीं हुई। कोविड-19 की वजह से देरी से खरीदी शुरू होने वाले जिले भोपाल, इंदौर और उज्जैन में पांच जून तक खरीदी का काम जारी रहेगा। धार, रतलाम, शाजापुर और देवास के कुछ खरीदी केंद्रों पर भी यह काम पांच जून तक चलेगा।

रिकॉर्ड खरीदी का दावा, लेकिन किसान फिर भी परेशान

सरकार रिकॉर्ड गेहूं खरीदी का दावा कर रही है लेकिन हर वर्ष की तरह किसानों की परेशानी इस बार भी कम होती नहीं दिखी। प्रदेश के लगभग हर जिले में गेहूं खरीदी केंद्रों पर इस तरह की परेशानियों की तस्वीरें आ रही हैं। विदिशा जिले के किसान विशाल दांगी ठाकुर ने डाउन टू अर्थ को बताया कि वे 16 मई को एसएमएस मिलने के बाद से तुलाई का इंतजार कर रहे हैं। खरीदी केंद्र पर 200 क्लिंटल गेहूं खुले में पड़ा है लेकिन तुलाई की कोई उम्मीद नहीं है। वहां तकरीबन 100 से अधिक किसान अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।

विशाल बताते हैं कि उन्होंने खेती के लिए किसान क्रेडिट कार्ड से पैसा लिया था, जिसका भुगतान गेहूं बेचकर करना है। अच्छी उपज होने के बावजूद बिक्री न होने की वजह से 14 प्रतिशत के दर से अब ब्याज भरना पड़ेगा। प्रदेशभर में विशाल की तरह सैकड़ों किसान हैं जो खरीदी न होने की वजह से परेशान हुए। मध्यप्रदेश के सीहोर, श्योपुर सहित कई जिलों में किसानों ने खरीदी की तारीख बढ़ाने की मांग के साथ चक्का जाम और विरोध प्रदर्शन भी किया।

क्या बंपर उत्पादन बनी परेशानियों की वजह?

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मध्यप्रदेश ने इसबार रिकॉर्डतोड़ खरीदी की है।  31 मई तक प्रदेश में 15,55,453 किसानों 1,22,28,379 मीट्रिक टन गेहूं का उपार्जन किया गया। पिछले वर्ष 2018-19 में 9,66,000 से 7 करोड़ 36 लाख क्विंटल  गेहूं खरीद हुई थी। अभी तक की उच्चतम खरीदी वर्ष 2012-13 में थी जो 10 लाख 27 हजार किसानों से 8 करोड़ 48 लाख क्विंटल थी। कृषि विभाग को इस बार रिकॉर्ड 190 लाख टन का उत्पादन होने की उम्मीद है। यानी पिछले बार के मुकाबले 25 लाख टन ज्यादा। सरकार ने 100 लाख टन गेहूं खरीदी का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब तक 122 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदी जा चुका है।

किसानों को हो रही परेशानी पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि प्रदेश में 100 लाख मीट्रिक टन खरीदी की व्यवस्था थी, लेकिन बंपर उत्पादन की वजह से रिकॉर्ड खरीदी हुई है। बारदानों की कमी की वजह से समस्या सामने आई लेकिन अब उसकी कमी पूरी की जा रही है। मध्यप्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री कमल पटेल बारदानों की आपूर्ति के लिये केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को पत्र लिखा है। पटेल ने बताया कि केंद्र से 10 हजार गठान जूट (बीटी गठान) बारदाना की अतिरिक्त आवश्यकता के बारे में बताया गया है।

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