पठानकोट में बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016 का पालन कर रही हैं सभी स्वास्थ्य सुविधाएं: रिपोर्ट

इस मामले में राजेश कुमार शिकायत की थी कि पठानकोट के अस्पताल बायो-मेडिकल कचरे को अवैध रूप से गलियों, सड़कों और खाली जमीन पर फेंक रहे हैं, जो बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016 का उल्लंघन है
फोटो: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई)
फोटो: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई)
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पंजाब के पठानकोट में सभी 214 स्वास्थ्य देखभाल और सामान्य जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उपचार सुविधाएं अब बायोमेडिकल अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 का पालन कर रही हैं। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) इन सुविधाओं की निगरानी करेगा और यदि कोई उल्लंघन पाया जाता है तो वो उसपर कानूनी कार्रवाई करेगा। यह जानकारी पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 24 जून, 2024 को एनजीटी के समक्ष दायर रिपोर्ट में दी है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एसपीसीबी के बटाला स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारी नियमित तौर पर स्वास्थ्य सुविधाओं और पठानकोट में सामान्य जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उपचार सुविधा का दौरा और निरीक्षण करते हैं। साथ ही वो समय समय पर जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी करते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक सभी स्वास्थ्य सुविधाओं ने पठानकोट में सामान्य जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उपचार सुविधा (सीबीडब्ल्यूटीएफ) के साथ जैव-चिकित्सा अपशिष्ट निपटान के लिए वैध समझौता किया है।

गौरतलब है कि अमृतसर में गुरु रामदास नगर निवासी राजेश कुमार ने बायो-मेडिकल कचरे को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में शिकायत दर्ज कराई थी। उनका कहना था कि पठानकोट के अस्पताल अवैध रूप से बायो-मेडिकल कचरे को गलियों, सड़कों और खाली जमीन पर फेंक रहे हैं, जो बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016 का उल्लंघन है। इतना ही नहीं यह स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रहा है।

जगरांव में मंदिर के पास डंपिंग साइट को किया जा रहा है साफ, नहीं हो रही कोई नई डंपिंग: एसपीसीबी

जगरांव में मां भद्रकाली मंदिर के पास डंप कचरा साफ किया जा रहा है। इसके साथ ही पंजाब की जगरांव नगर परिषद ने जानकारी दी है कि पुरानी डंपिंग साइट से 6,000 मीट्रिक टन कचरा साफ किया जा चुका है, जबकि करीब 20,000 मीट्रिक टन कचरा अभी साफ किया जाना बाकी है।

परिषद ने रिपोर्ट में यह भी कहा है कि वहां कोई नया कचरा नहीं डाला जा रहा है, अब इसे नई डंपिंग साइट पर ले जाया जा रहा है। साइट को साफ और हरा-भरा रखने के लिए वहां 100 पौधे लगाए गए हैं, साथ ही 2000 और पौधे लगाने की योजना है। इसके साथ ही गीले कचरे को 78 गड्ढों की मदद से जैव-उर्वरक में बदला जा रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक साइट से सटे नाले को नियमित तौर पर साफ किया जाता है और नाले में डेयरी फार्म से जुड़ा कचरा फेंकने वालों को नोटिस दिए गए हैं। कुछ लोगों ने "धार्मिक और राजनीतिक समर्थन" की आड़ में साइट की संपत्ति पर अतिक्रमण किया है, जिसके लिए अलग से कार्रवाई की जानी चाहिए।

जगरांव नगर परिषद ने शेड बनाने के लिए 5,73,000 रुपए, जबकि तालाब के जीर्णोद्धार पर 99,32,000 रुपए का अनुमान लगाया है। ये अनुमान चंडीगढ़ में पंजाब म्यूनिसिपल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी को भेजे जा रहे हैं। छह जून 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक वहां  हर दिन ठोस कचरे की सफाई की जाती है और तालाब के चारों ओर जाली लगाई गई है। मंदिर के आसपास के क्षेत्र की भी नियमित सफाई की जा रही है।

गौरतलब है कि प्रशर देव शर्मा ने एनजीटी के समक्ष दायर अपने आवेदन में कहा था कि जगरांव नगर परिषद ने मां भद्रकाली मंदिर के आसपास के तालाब में कचरा भर दिया है।

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