फिर लौटा भेड़िया: उत्तर प्रदेश के बहराइच में दो बच्चों की मौत, छह घायल

पिछले साल भी बहराइच भेड़ियों के एक झुंड के हमलों से दहल गया था, जो सितंबर में चरम पर पहुंच गए थे
फोटो: आईस्टॉक
फोटो: आईस्टॉक
Published on

पूर्वी उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में एक बार फिर से भेड़ियों का आतंक फैल गया है। इस बार भेड़ियों के दो अलग-अलग हमलों में दो बच्चों की मौत हो चुकी है और छह लोग घायल हुए हैं।

बहराइच के प्रभागीय वन अधिकारी राम सिंह यादव ने डाउन टू अर्थ के साथ इस घटना की पुष्टि करते हुए बताया, “हां, दो घटनाएं हुई हैं। एक 9 और दूसरी 12 सितंबर को हुई। इनमें दो बच्चियों की मौत हुई है, जबकि लोग भी घायल हुए हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि स्थानीय प्रशासन और वन विभाग की टीमें क्षेत्र में भेड़ियों की तलाश कर रही हैं। इसके लिए थर्मल कैमरे, ड्रोन, सीसीटीवी और कैमरा ट्रैप का उपयोग किया जा रहा है। यादव ने कहा, “क्षेत्र की लगातार निगरानी की जा रही है।”

यादव के मुताबिक यह इलाका भेड़ियों के लिए उपयुक्त आवास है और यहां पहले भी भेड़ियों के हमले होते रहे हैं। इस बार जो हमले हुए हैं, वो साल 2024 में हुए हमले के स्थान के आसपास ही है।

उन्होंने आगे जोड़ा कि यह बता पाना मुश्किल है कि हमलावर भेड़िये के साथ कोई झुंड भी है या नहीं, लेकिन हम यह पता लगाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं और अगर झुंड है तो उसे नियंत्रित करने के प्रयास किए जाएंगे।

2024 के हमले

पिछले वर्ष नेपाल की सीमा से लगे बहराइच जिले में मार्च से सितंबर के बीच भेड़ियों के हमलों की एक श्रृंखला ने दहशत फैला दी थी।

ऐसा माना गया था कि इन हमलों को छह भेड़ियों के एक झुंड द्वारा अंजाम दिया गया। महसी तहसील (उपजिला) में हुए इन हमलों में नौ बच्चों और एक महिला की मौत हो गई थी, जबकि 50 से अधिक लोग घायल हुए थे।

प्रशासन ने इनमें से पांच भेड़ियों को पकड़ लिया था। छठे भेड़िये को अक्टूबर में स्थानीय लोगों ने पीट-पीटकर मार डाला, जिसके बाद हमले बंद हो गए।

यहां यह उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में भेड़ियों का हमला कोई नई बात नहीं है। वर्ष 1996 में भेड़ियों की एक श्रृंखलाबद्ध हमलों ने प्रतापगढ़, सुलतानपुर और जौनपुर जिलों में दहशत फैला दी थी।

भारतीय भेड़िया (कैनिस ल्यूपस पैलिपेस) को अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) ने ‘कम चिंता वाली प्रजाति’ के रूप में वर्गीकृत किया है। इसका अर्थ है कि इस प्रजाति की संख्या फिलहाल इतनी स्थिर या पर्याप्त है कि उसके तुरंत विलुप्त होने का खतरा नहीं है। यह 1972 के वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम की अनुसूची–I में सूचीबद्ध है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in