फल खाने वाले पक्षियों के बिना कार्बन जमा करने में आएगी 38 फीसदी की कमी : अध्ययन

अध्ययन के आंकड़ों से पता चलता है कि कम घने जंगल पक्षियों की आवाजाही को सिमित करते हैं, जिससे कार्बन रिकवरी की संभावना 38 फीसदी तक कम हो जाती है।
उष्णकटिबंधीय जंगलों में 70 से 90 फीसदी पेड़ की प्रजातियां जानवरों द्वारा बीजों के फैलाने पर निर्भर हैं।  फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, मैट मैकगिलिव्रे
उष्णकटिबंधीय जंगलों में 70 से 90 फीसदी पेड़ की प्रजातियां जानवरों द्वारा बीजों के फैलाने पर निर्भर हैं। फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, मैट मैकगिलिव्रे
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एक नए शोध में उष्णकटिबंधीय जंगलों के प्राकृतिक पुनर्जनन में एक बड़ी रुकावट का पता चला है। ब्राजील के अटलांटिक जंगलों में एकत्रित जमीनी आंकड़े दिखाते हैं कि जब जंगली उष्णकटिबंधीय जंगलों में पक्षी स्वतंत्र रूप से घूमते हैं, तो वे पुनर्जीवित उष्णकटिबंधीय वनों के कार्बन भंडारण को 38 फीसदी तक बढ़ा सकते हैं

फल खाने वाले पक्षी जैसे कि रेड-लेग्ड हनीक्रीपर, पाम टैनेजर, या रूफस-बेलिड थ्रश वन पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, वे जंगलों में फलों को खाकर उनके बीजों को पूरे जंगल में फैलाते हैं।

उष्णकटिबंधीय जंगलों में 70 से 90 फीसदी पेड़ की प्रजातियां जानवरों द्वारा बीजों के फैलाने पर निर्भर हैं। यह शुरुआती प्रक्रिया जंगलों को बढ़ने के लिए जरूरी है। जबकि पहले के अध्ययनों में कहा गया है कि पक्षी वन जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण हैं, शोधकर्ताओं को अब इस बात की समझ है कि वे जंगलों की बहाली में कैसे योगदान देते हैं।

नेचर क्लाइमेट चेंज नामक पत्रिका में प्रकाशित नए अध्ययन में पेड़ों के दोबारा उगने में जंगली पक्षियों (फ्रुजीवोर्स) के महत्वपूर्ण योगदान का प्रमाण मिलता है। शोधकर्ताओं ने कम घने जंगलों में कार्बन भंडारण क्षमता की तुलना बहुत कम घने जंगलों से की। आंकड़ों से पता चलता है कि कम घने जंगल पक्षियों की आवाजाही को सिमित करते हैं, जिससे कार्बन रिकवरी की संभावना 38 फीसदी तक कम हो जाती है।

 ब्राजील में अटलांटिक के जंगलों वाले इलाकों में, शोधकर्ताओं ने पाया कि न्यूनतम 40 फीसदी वन आवरण बनाए रखना महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी पाया कि जंगल वाले इलाकों के बीच 133 मीटर या उससे कम की दूरी यह सुनिश्चित करती है कि पक्षी पूरे परिदृश्य में घूमते रहें और पारिस्थितिकी के पुनर्प्राप्ति में सहायता करें।

अध्ययन में यह भी पाया गया कि पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों के बीज फैलाव के मामले में अलग-अलग प्रभाव होता है। छोटे पक्षी अधिक बीज फैलाते हैं, लेकिन वे केवल कम कार्बन भंडारण क्षमता वाले पेड़ों से छोटे बीज ही फैला सकते हैं। इसके विपरीत, टोको टूकेन या कर्ल-क्रेस्टेड जे जैसे बड़े पक्षी भारी कार्बन भंडारण क्षमता वाले पेड़ों के बीज फैलाते हैं। समस्या यह है कि बड़े पक्षियों के अत्यधिक कमी वाले जंगलों में जाने की संभावना कम होती है।

अध्ययन के हवाले से शोधकर्ता ने कहा, यह महत्वपूर्ण जानकारी हमें जंगलों की सक्रिय बहाली प्रयासों, जैसे कि वृक्षारोपण को इस वन आवरण सीमा से नीचे  वाले परिदृश्यों में शामिल करने में सक्षम बनाती है, जहां सहायता प्राप्त बहाली सबसे जरूरी और प्रभावी है।

कार्यशील पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बहाल करना

अध्ययन में शोधकर्ता ने कहा कि बड़े फलभक्षी जीवों को जंगल में स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति देना स्वस्थ उष्णकटिबंधीय जगलों को दोबारा हासिल करने  के लिए महत्वपूर्ण है। यह अध्ययन दर्शाता है कि विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय पारिस्थितिकी तंत्रों में पक्षियों के माध्यम से बीजों का फैलाव, उन प्रजातियों को निर्धारित करने में एक जरूरी भूमिका निभाता है जो पुनर्जीवित हो सकती हैं।

वर्तमान आंकड़ों के आधार पर, यह अध्ययन ब्राजील में अटलांटिक के जंगलों में शोधकर्ताओं द्वारा किए गए पिछले जमीनी अध्ययनों से शोध को आगे बढ़ाता है। जंगल दुनिया के सबसे जैविक रूप से विविध क्षेत्रों में से एक है, लेकिन यह सबसे अधिक खंडित क्षेत्रों में से भी एक है, जिसमें मूल वन का केवल 12 फीसदी ही बचा है और यह छोटे क्षेत्रों में है।

यह जंगल बड़े पैमाने पर पारिस्थितिक बहाली के लिए धरती पर सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है, जिसमें अटलांटिक में जंगलों की बहाली संधि के तहत बहाली और प्राकृतिक पुनर्प्राप्ति के लिए 1.2 करोड़ हेक्टेयर भूमि चुनी गई है।

शोध से पता चलता है कि 40 फीसदी से अधिक जंगलों के इलाकों में वृद्धि न केवल प्रजातियों की विविधता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है, बल्कि इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जंगलों की बहाली करने की पहल की सफलता को बढ़ाने के लिए बीज फैलाव और कार्बन भंडारण जैसी पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के कामकाज को बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकती है।

अध्ययन में शोधकर्ता ने कहा, हम हमेशा से जानते हैं कि पक्षी आवश्यक हैं, लेकिन उन प्रभावों के पैमाने की खोज करना बहुत जरूरी है। अगर हम इन जंगलों के भीतर जीवन की जटिलता को ठीक कर सकते हैं, तो उनकी कार्बन भंडारण क्षमता काफी बढ़ जाएगी।

उष्णकटिबंधीय जंगलों को दोबारा हासिल करने की रणनीतियां

पहले के शोध से पता चलता है कि जंगलों को दोबारा हासिल करने से अटलांटिक में जंगलों के इलाके में 2.3 अरब मीट्रिक टन से अधिक कार्बन को रोका जा सकता है और सक्रिय रोपण की तुलना में प्राकृतिक तरीके से पेड़ों के उगने से अधिक किफायती होने की संभावना है, जिससे इसे करने की लागत में 77 फीसदी तक की कमी आ सकती है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि फलों के पेड़ लगाने और अवैध शिकार को रोकने जैसी कई रणनीतियां उष्णकटिबंधीय इलाकों में जानवरों की आवाजाही को बढ़ा सकती हैं, जहां अपने आप बहाली की संभावना अधिक है। अत्यधिक खंडित जंगलों में सक्रिय बहाली आवश्यक है।

बीजों के फैलाव की अनुमति देने वाले आस-पास के परिदृश्य में वन आवरण की पहचान करके, हम उन क्षेत्रों की पहचान कर सकते हैं जहां प्राकृतिक तरीके से पेड़ों का पुनर्जनन संभव है, साथ ही ऐसे क्षेत्र जहां हमें सक्रिय रूप से पेड़ लगाने की आवश्यकता है, जिससे हम जंगलों की बहाली को किफायती बना सकते हैं।

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