कुछ जानवर समय के साथ आकार में बड़े तथा कुछ छोटे होते गए, आखिर क्यों?

अलास्का के घोड़े, क्रिप्टोडिरन कछुए और आइलैंड की छिपकलियां समय के साथ क्यों सिकुड़ गईं, इसका रहस्य एक नए अध्ययन में सुलझाया गया है।
फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, हरिकृष्णन एस
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दुनिया भर में कुछ जानवरों का आकार बढ़ता गया, जबकि कुछ जानवरों का आकार छोटा होता चला गया, जैसे अलास्का के घोड़े, क्रिप्टोडिरन कछुए और आइलैंड की छिपकलियां समय के साथ क्यों सिकुड़ गई, इसका रहस्य एक नए अध्ययन के द्वारा सुलझाया गया है।

अध्ययन में कहा गया है कि समय के साथ जानवरों का आकार दो प्रमुख पारिस्थितिक कारणों पर निर्भर करता है, पहला प्रजातियों के बीच संसाधनों के लिए सीधी और तीखी प्रतिस्पर्धा और दूसरा पर्यावरण से विलुप्त होने का खतरा।

कम्युनिकेशंस बायोलॉजी नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन, जानवरों के विकास का सिमुलेशन करने वाले कंप्यूटर मॉडल का उपयोग करते हुए, इस बात की पहचान की गई है कि क्यों कुछ प्रजातियां धीरे-धीरे छोटी हो जाती हैं, जैसा कि जीवाश्म रिकॉर्ड से पता चलता है।

शोध का नेतृत्व करने वाले यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के पारिस्थितिकी तंत्र मॉडलर डॉ. शोवोनलाल रॉय ने कहा, जिस तरह हम जहां रहते हैं उसके आधार पर हम गर्म या ठंडे मौसम के अनुकूल होने की कोशिश करते हैं। हमारे शोध से पता चलता है कि जानवरों का आकार बड़ा या छोटा हो सकता है, इसके पीछे आवास या पर्यावरणीय कारण हो सकते हैं।

अध्ययन में कहा गया है कि ऐसे स्थानों और समय में जहां भोजन और आश्रय के लिए विभिन्न प्रजातियों के बीच बहुत प्रतिस्पर्धा होती है, वहां जानवरों का आकार अक्सर छोटा हो जाता है क्योंकि प्रजातियां फैलती हैं और संसाधनों और प्रतिस्पर्धियों के वितरण के अनुकूल होती हैं। उदाहरण के लिए, छोटे घोड़े जो बर्फ के दौरान अलास्का में रहते थे जलवायु और वनस्पति में बदलाव के कारण इनकी आयु तेजी से घटी है।

अलास्का के प्लेइस्टोसिन घोड़े, समय के साथ जिनका आकार छोटा होता गया, फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, क्लाउडिया फेह 

जहां सीधी प्रतिस्पर्धा कम होती है, वहां आकार बड़े होते जाते हैं, भले ही बड़े और संख्या में कम होने के कारण जानवरों को मरने का खतरा अधिक हो सकता है, जैसे कि डायनासोर के साथ क्या हुआ था

पारिस्थितिक कारणों में बदलाव को समझने के लिए जीवाश्म रिकॉर्ड अहम है, जो आकार में विकास के पैटर्न का भ्रमित करने वाले मिश्रण को दिखाते हैं, जहां  कुछ वंशावली समय के साथ छोटी हो रही हैं या सिकुड़ रही हैं और कुछ बढ़ रही हैं।

अध्ययन में कहा गया है कि शोध दल ने "कोप के नियम" के सामने उत्पन्न जीवाश्म सबूतों के विरोधाभासों को चुनौती देकर अपना अध्ययन किया है। कोप का नियम कुछ पशु समूहों की हजारों और लाखों वर्षों में बड़े शरीर के आकार विकसित करने की प्रवृत्ति से जुड़ा है।

इस नियम का नाम 19वीं सदी के जीवाश्म विज्ञानी एडवर्ड कोप के नाम पर रखा गया है, जिन्हें जीवाश्म रिकॉर्ड में इस पैटर्न को पहली बार देखने का श्रेय दिया गया था। उदाहरण के लिए, शुरुआती घोड़ों के पूर्वज छोटे कुत्ते के आकार के जानवर थे जो विकासवादी समय के साथ इनका आकार बढ़ गया अंततः आधुनिक घोड़े की उत्तपत्ति हुई।

हालांकि, जीवाश्म सबूत उल्लेखनीय रूप से विरोधाभासी रुझान दिखाते हैं, कुछ समूहों में आकार बढ़ा है लेकिन अन्य में आकार कम हुआ है।

विकासवादी दबाव

विकास का सिमुलेशन या अनुकरण करने वाले कंप्यूटर मॉडल का उपयोग करते हुए, अध्ययन ने विभिन्न परिस्थितियों में उभरने वाले शरीर के आकार में बदलाव के तीन अलग-अलग पैटर्न की पहचान की:

समय के साथ धीरे-धीरे आकार में वृद्धि: ऐसा तब होता है जब प्रजातियों के बीच प्रतिस्पर्धा मुख्य अंतर के बजाय उनके सापेक्ष शरीर के आकार से निर्धारित होती है। उदाहरण के लिए, लाखों वर्षों में समुद्री पशु प्रजातियों, जैसे अकशेरुकी की कई प्रजातियों का आकार धीरे-धीरे बढ़ता गया।

विलुप्त होने के बाद आकार में वृद्धि: यहां सबसे बड़े जानवर बार-बार विलुप्त हो जाते हैं, जिससे अन्य प्रजातियों के लिए उनकी जगह लेने और भी बड़े शरीर विकसित करने के अवसर मिलते हैं, जिससे यह चक्र जारी रहता है। बड़े पैमाने पर विलुप्त होने से बड़े शरीर वाले शीर्ष शिकारियों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। बहुत बड़े स्तनधारी और पक्षी विशेष रूप से विलुप्त होने के प्रति संवेदनशील हैं, उदाहरण के लिए, डायनासोर और विशाल उड़ने वाले सरीसृप।

समय के साथ धीरे-धीरे आकार में कमी: सिमुलेशन ने कोप के नियम के विपरीत भी पूर्वानुमान लगाया, समय के साथ प्रजातियां छोटी होती रही हैं। ऐसा तब होता है जब प्रतिस्पर्धा अधिक होती है और आवास और संसाधन उपयोग में कुछ हद तक एक दूसरे के इलाके में हस्तक्षेप करते हैं।

जैसे-जैसे प्रजातियां अलग-अलग हिस्सों में विकसित होती हैं, उन्हें आकार में कमी करने के विकासवादी दबाव का सामना करना पड़ता है। आकार में गिरावट पहले कशेरुक, बोनी मछली, क्रिप्टोडिरन कछुए, अलास्का प्लेइस्टोसिन घोड़ों और द्वीप छिपकलियों के लिए दर्ज की गई थी।

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