भारत में आदिवासी महिलाओं के पोषण में अहम भूमिका निभाते हैं जंगली खाद्य पदार्थ : अध्ययन

अध्ययन के नतीजों से पता चला है कि जो महिलाएं जंगली खाद्य पदार्थों का सेवन करती हैं, उनका औसत आहार विविधता स्कोर जून में 13 फीसदी और जुलाई में 9 फीसदी से अधिक था
फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स
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एक नए अध्ययन से पता चला है कि जंगली खाद्य पदार्थ भारत में महिलाओं, विशेषकर आदिवासियों की आहार विविधता में अहम भूमिका निभाते हैं और खाद्य तथा पोषण सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। इससे आदिवासी महिलाओं में कुपोषण पर अंकुश लगाने के प्रयासों को गति मिल सकती है

नेचर फूड पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन जिसका शीर्षक 'जंगली खाद्य पदार्थ भारत में महिलाओं की आहार विविधता में भारी योगदान करते हैं'। यह अध्ययन ग्रामीण भारत में महिलाओं के भोजन को लेकर, जंगलों और आम भूमि से एकत्र किए गए खाद्य पदार्थों पर प्रकाश डालता है। यह अध्ययन इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) के शोधकर्ताओं की अगुवाई में किया गया है। 

अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने झारखंड और पश्चिम बंगाल के दो आदिवासी बहुल और जंगली जिलों के 570 घरों से आहार संबंधी हर माह के आंकड़े एकत्र किए और पाया कि जंगल में पाए जाने वाले खाद्य पदार्थ महिलाओं के भोजन में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। विशेष रूप से जून और जुलाई के महीनों के दौरान, जब अन्य फसलें अभी भी खेतों में उग रही होती हैं।

अध्ययन के नतीजों से पता चला कि जो महिलाएं जंगली खाद्य पदार्थों का सेवन करती हैं, उनका औसत आहार विविधता स्कोर जून में 13 फीसदी और जुलाई में 9 फीसदी से अधिक था। यह उन लोगों की तुलना में अधिक था, जो जंगल में उगने वाले खाद्य पदार्थों को एकत्र नहीं करते हैं।

अध्ययन में शामिल 40 फीसदी महिलाएं एक वर्ष की अवधि में कभी भी कम से कम आहार विविधता को पूरा नहीं कर पाईं, इस प्रकार खराब आहार पर गौर करने की सख्त जरूरत पर प्रकाश डाला गया।

अध्ययन के निष्कर्षों से पता चलता है कि आदिवासी क्षेत्रों में कमजोर महिलाओं के लिए जंगली खाद्य पदार्थों का सेवन महत्वपूर्ण है, खासकर जून और जुलाई के दौरान जब खेतों में अन्य फसलें अभी भी उग रही होती हैं।

सह-अध्ययनकर्ता और भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी (आईएसबी) के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर अश्विनी छत्रे ने कहा कि, जंगली खाद्य पदार्थों को ऐसे व्यंजनों के रूप में जाना जाता है जिन्हें केवल अमीर लोग ही खरीद सकते हैं, ट्रफ़ल्स और मोरेल इसका उदाहरण हैं।

लेकिन हम इस बारे में बहुत कम जानते हैं कि गरीब लोग उन पर कितने निर्भर हैं और ये जंगली खाद्य पदार्थ जंगल में रहने वाले लोगों की पोषण सुरक्षा के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं।

इन जंगली खाद्य पदार्थों और उनके फैले होने, मौसमी और बहुतायत से जुड़े ज्ञान को पोषण में सुधार के लिए खाद्य प्रणालियों और हस्तक्षेपों के विश्लेषण में शामिल करने की आवश्यकता है। जब जलवायु में बदलाव के कारण जंगली क्षेत्रों में वर्षा आधारित फसलों को नष्ट कर देते हैं, तो यह जंगली खाद्य पदार्थ ही होते हैं जो सबसे गरीब परिवारों के लिए भोजन की खपत को स्थिर करते हैं।

अध्ययन के परिणामों ने ऐसी सार्वजनिक नीतियों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है जो जंगली खाद्य पदार्थों के ज्ञान को बढ़ावा देते हैं और पोषण में सुधार के साधन के रूप में जंगलों और आम भूमि तक पहुंचने के लोगों के अधिकारों की रक्षा करती हैं।

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