जंगलों की बहाली से जल चक्र पर पड़ता है असर, जानें कैसे?

वायुमंडल का लगभग 70 फीसदी अतिरिक्त पानी भूमि पर वापस आता है, जबकि शेष 30 फीसदी वर्षा के माध्यम से महासागरों में बह जाता है
जंगलों की बहाली से जल चक्र पर पड़ता है असर, जानें कैसे?
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दुनिया भर के बड़े इलाकों में वनीकरण या पेड़ों को लगाने से पानी का प्रवाह किस तरह प्रभावित होगा? इस बारे में पता लगाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने अध्ययन किया है। वनों से वर्षा पर पड़ने वाले प्रभाव देश या महाद्वीपों से बहुत आगे तक पहुंचते हैं। उदाहरण के लिए, अमेजन में वनों की फिर से बहाली करने से यूरोप और पूर्वी एशिया में वर्षा प्रभावित हो सकती है।

पानी के प्रवाह और पानी की उपलब्धता पर पेड़ों को लगाने के वैश्विक प्रभाव के बारे में पता लगाया है। यह अध्ययन मार्टिन हेरोल्ड, जीएफजेड के साथ वैगनिंगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ता ऐनी होक वैन डिजके के नेतृत्व में किया गया है।

पेड़ों को कार्बन भंडारण और पारिस्थितिक तंत्र के जैव विविधता के कामकाज को बढ़ाने के लिए एक समाधान के रूप में देखा जाता है। अध्ययन में नए आंकड़े और विश्लेषण के आधार पर प्रकाश डाला गया है कि इस तरह के प्रकृति-आधारित समाधान कैसे और कहां अधिक हैं, इसके लिए हाइड्रोलॉजिकल प्रभाव महत्वपूर्ण हैं। यहां बताते चलें कि हाइड्रोलॉजी का मतलब पृथ्वी की सतह पर और उसके नीचे और वायुमंडल में पानी के गुणों और इसके बहने से है।

शोधकर्ताओं ने दुनिया भर में जंगलों को बढ़ाने की क्षमता के हाइड्रोलॉजिकल प्रभावों का पता लगाया। इसमें 90 करोड़ हेक्टेयर इलाके पर प्रकाश डाला गया, जहां स्थानीय जलवायु परिस्थितियों में और कृषि और शहरी भूमि का उपयोग किए बिना पेड़ लगाए जा सकते हैं।

वनों के बढ़ते आवरण के चलते वाष्पीकरण में वृद्धि अधिक पाई गई। अध्ययन में आंकड़ों का उपयोग करने के लिए मॉडल का इस्तेमाल किया गया जो इस बात का पता लगाता है कि कितना पानी वाष्प बन कर उड़ जाएगा और कितना बह जाएगा।

वैगनिंगन यूनिवर्सिटी एंड रिसर्च के हाइड्रोलॉजी और रिमोट सेंसिंग ऐनी होक वैन डिजके का कहना है कि इन मॉडलों में वन वाले और बिना वन वाले क्षेत्रों  की स्थिति के लिए एक वनस्पति पैरामीटर शामिल किया गया। जिसे विभिन्न वाष्पीकरण और पानी के बहने की मापों के साथ जोड़ा गया था। बाद में हमने गणना की कि कहां और किस हद तक, वाष्पीकरण के चलते बढ़ी हुई बारिश भूमि की सतह पर वापस आएगा।

पानी की उपलब्धता में स्थानीय और वैश्विक बदलाव

परिणाम बताते हैं कि बड़े पैमाने पर पेड़ों को लगाने से स्थानीय स्तर पर बहाल के गए जंगल के हर वर्ग मीटर के लिए सालाना औसतन लगभग 10 लीटर तक का वाष्पीकरण बढ़ सकता है। विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय इलाकों में, यह प्रभाव बहुत बड़ा हो सकता है, प्रत्येक वर्ग मीटर के लिए लगभग 250 लीटर तक वाष्पीकरण बढ़ सकता है।  

महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सारा पानी जमीन की सतह पर वापस नहीं आता है। वायुमंडल का लगभग 70 फीसदी अतिरिक्त पानी भूमि पर वापस आता है, जबकि शेष 30 फीसदी वर्षा के माध्यम से महासागरों में बह जाता है। इसका मतलब यह है कि वैश्विक स्तर पर पेड़ों की बहाली करने से पानी की उपलब्धता में कमी आती है।

अलग-अलग नदी घाटियों के लिए, पेड़ों की बहाली का प्रभाव अधिक पेचीदा है। पेड़ों की बहाली के बाद, प्रमुख नदी घाटियों के लिए पानी के बहने की गति  आम तौर पर कम हो जाएगी जो लगभग 10 फीसदी तक कम हो सकती है।

लेकिन अन्य नदी घाटियों जैसे यांग्त्ज़ी और अमेजन नदी के लिए, पानी के बहने की दर में कमी नहीं होगी क्योंकि इन क्षेत्रों में जंगलों के कारण बारिश बढ़ जाती हैं। यहां बढ़ी हुई बारिश से बढ़े हुए वाष्पीकरण के बुरे प्रभाव की भरपाई हो जाती है।

अध्ययन वर्तमान जलवायु परिस्थितियों के तहत परिणामों को सामने रखता है। एक गर्म होती जलवायु के तहत, पेड़ों की बहाली की क्षमता कम हो जाएगी। इसके अलावा, भविष्य के जलवायु परिवर्तन से वाष्पीकरण और वार्षिक वर्षा दर बढ़ सकती है, जो वैश्विक वायुमंडलीय पैटर्न को प्रभावित करेगा। यह अध्ययन नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित हुआ है।

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