उत्तराखंड : सड़क दुर्घटना में गर्भवती बाघिन की मौत, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुई पुष्टि

इस वर्ष 45 के आसपास लोग वन्यजीवों के हमले में मारे गए हैं। हालांकि इसका आधिकारिक डाटा जनवरी में दिया जाएगा। इनमें सांपों के डंक से मारे जाने वाले लोग भी शामिल हैं।
Photo : वर्षा सिंह
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कार्बेट टाइगर रिजर्व के तराई पश्चिमी वन प्रभाग में एक गर्भवती बाघिन की सड़क हादसे में मौत हो गई। बाघिन दो से तीन महीने में तीन शिशुओं को जन्म देने वाली थी। पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में इसकी तस्दीक हो गई है। यही नहीं, पिछले एक हफ्ते में राज्य में चार गुलदार सड़क दुर्घटना में मारे गए हैं। वन्यजीवों को संरक्षण देने के लिहाज से राज्य की स्थिति बेहतर है। लेकिन सड़क दुर्घटनाओं में मारे जा रहे वन्यजीव विकास की कीमत चुका रहे हैं।

तराई पश्चिमी वन प्रभाग के डीएफओ हिमांशु बागड़ी बताते हैं कि शुक्रवार सुबह 8 बजे के आसपास खबर मिली कि स्टेट हाईवे पर चूनाखान क्षेत्र के पास एक बाघिन सड़क पर मृत पड़ी है। घटनास्थल पर कार की कांच के टुकड़े भी बिखरे हुए थे। उनका कहना है कि गाड़ी तेज़ रफ्तार में रही होगी, जिससे ज़ोरदार टक्कर लगी। ऐसा भी संभव है कि कोहरा होने की वजह से वाहन चालक को कुछ दिखाई नहीं दिया होगा। हालांकि क्षेत्र में लगे सीसीटीवी से वाहन की पहचान की कोशिश की जा रही है। डीएफओ ने बताया कि पोस्टमार्टम में सड़क दुर्घटना में मौत की पुष्टि हुई है, साथ ही बाघिन के तीन भ्रूण भी मिले हैं।

राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भरतरी कहते हैं कि बाघ-हाथी बहुल्य क्षेत्र में वाहन चलाते समय लोगों को सावधानी बरतने की अपील की जाती है। लोगों को जागरुक करने के भी लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस के साथ मिलकर वाहनों की गति नियंत्रित करने के प्रयास किए जाएंगे। साथ ही जंगल से सटे मार्गों पर साइन बोर्ड भी लगाए जाएंगे। राजीव भरतरी बताते हैं कि पिछले एक हफ्ते में सड़क दुर्घटना में चार गुलदार मारे गए हैं। एक गुलदार तराई पश्चिमी वन प्रभाग में ही मारा गया। जबकि नेशनल हाईवे-74 पर हरिद्वार के पास दो गुलदारों की मौत हुई। अल्मोड़ा में भी वाहन की टक्कर से एक गुलदार मारा गया।

राज्य में एक निश्चित अवधि में कितने मानव-वन्यजीव संघर्ष में कितने मनुष्य या व्यक्ति की मौत हुई, इसके सटीक आंकड़े भी नहीं मिल पाते। राजीव भरतरी का कहना है कि अब वे एक नई व्यवस्था शुरू करने जा रहे हैं। इसमें सभी वन रेंज से हर महीने शेड्यूल-1 के किसी जानवर या मनुष्य की मौत का आंकड़ा देहरादून मुख्य कार्यालय में भेजा जाएगा। जिसके आधार पर एक वार्षिक रिपोर्ट तैयार की जा सकेगी।

राज्य में मानव-वन्यजीव संघर्ष चिंता का विषय बना हुआ है। राजीव भरतरी के मुताबिक इस वर्ष 45 के आसपास लोग वन्यजीवों के हमले में मारे गए हैं। हालांकि इसका आधिकारिक डाटा जनवरी में दिया जाएगा। इनमें सांपों के डंक से मारे जाने वाले लोग भी शामिल हैं।

सड़क दुर्घटनाओं में वन्यजीवों की मौत व्यवस्था को लेकर सवाल उठाती है। हरिद्वार में नेशनल हाईवे-74 पर लंबे समय से चल रहा निर्माण कार्य वन्यजीवों के लिए मुश्किल पैदा कर रहा है। जिसके चलते वन्यजीवों को आवाजाही में दिक्कत होती है। हरिद्वार में इस हाईवे पर सड़क दुर्घटना में कई गुलदार मारे जा चुके हैं। दिसंबर महीने में ही दो गुलदार मारे गए। इसी निर्माण कार्य के चलते पिछले वर्ष दो हाथी भी मारे गए थे। जानवरों के लिए अंडर पास न बनने पर हाथी रेल की पटरी पार करते हुए मारे गए।

वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 19 सालों में सड़क दुर्घटनाओं में शेड्यूल-1 के 212 वन्यजीवों की मौत हो चुकी हैं। इनमें सबसे अधिक संख्या 133 गुलदारों की है। जबकि इसी दौरान 64 हाथी और 15 बाघ सड़क हादसों में मारे गए। 

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