50 साल पहले की तुलना में आज 50 प्रतिशत कम हुआ मधुमक्खियों का जीवनकाल

अध्ययन के अनुसार मधुमक्खियों का जीवन काल जो कि 1970 के दशक में 34.3 दिन था आज यह घट कर 17.7 दिन रह गया है।
50 साल पहले की तुलना में आज 50 प्रतिशत कम हुआ मधुमक्खियों का जीवनकाल
Published on

यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के कीट विज्ञानियों द्वारा किए गए एक नए अध्ययन से पता चला है कि एक नियंत्रित, प्रयोगशाला वातावरण में रखी गई मधुमक्खियों का जीवनकाल 1970 के दशक की तुलना में 50 प्रतिशत कम हो गया। 

इसका कारण मधुमक्खी पालन व्यवसाय में कॉलोनी में होने वाला बदलाव है, क्योंकि कॉलोनियों में रहने वाली मधुमक्खियां स्वाभाविक रूप से कम उम्र में मर जाती है।

पिछले एक दशक में मधुमक्खियों के जीवनकाल में यह कमी ज्यादा दिख रही है। इसका मतलब है कि मधुमक्खियों की उम्र बढ़ाने के लिए कॉलोनियों का तरीका बदलना पड़ेगा। इसे समझने के लिए शोधकर्ताओं ने पर्यावरणीय तनाव, बीमारियों, परजीवियों, कीटनाशकों के संपर्क और पोषण पर गौर किया।

यह पहला अध्ययन है जो संभावित रूप से पर्यावरणीय तनावों से मधुमक्खी के पुरे जीवनकाल में होने वाली गिरावट को दर्शाता है, यह इस ओर इशारा करता है कि पारंपरिक मधुमक्खी पालन उद्योग में देखे जाने वाले बड़े रुझानों को प्रभावित कर सकती है।

कीट विज्ञान विभाग में शोधकर्ता छात्र और प्रमुख अध्ययनकर्ता एंथोनी नियरमैन ने कहा कि यदि हम कुछ आनुवंशिक कारकों को अलग कर सकते हैं, तो शायद हम प्रजनन के माध्यम से मधुमक्खियों को लंबे समय तक जीवित रख सकते हैं।

नियरमैन ने बताया कि प्रयोगशाला में वयस्क मधुमक्खियों के पालन पर कीट विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डेनिस वैन एंगेल्सडॉर्प के साथ एक अध्ययन करते समय मैंने पहली बार मधुमक्खियों के जीवनकाल में गिरावट देखी।

पहले के अध्ययनों को दोहराते हुए, शोधकर्ताओं ने मधुमक्खी के छत्ते से मधुमक्खी के प्यूपा को एकत्र किया, जब प्यूपा मोम की कोशिकाओं से निकलने के 24 घंटों के बराबर के थे, जिसमें उन्हें पाला गया था। एकत्रित मधुमक्खियों ने एक इनक्यूबेटर में बढ़ना शुरू कर दिया और फिर उन्हें वयस्क होने पर विशेष पिंजरों में रखा गया।

नियरमैन पिंजरों में रह रहे मधुमक्खियों के चीनी के पानी के आहार को सादे पानी के साथ पहले की तरह प्राकृतिक परिस्थितियों की बेहतर नकल करने के प्रभाव का मूल्यांकन कर रहे थे, जब उन्होंने देखा कि आहार की परवाह किए बिना, पिंजरों में रह रहे मधुमक्खियों का औसत जीवनकाल 1970 के दशक में इसी तरह के प्रयोगों में बंद मधुमक्खियों की तुलना में आधा हो गया।

मधुमक्खियों का जीवन काल जो कि 1970 के दशक में 34.3 दिन था आज यह घट कर 17.7 दिन रह गया है। उन्होंने बताया कि इसमें पिछले 50 वर्षों में प्रकाशित प्रयोगशाला अध्ययनों की गहन समीक्षा की गई।

नियरमैन ने कहा जब मैंने समय के साथ जीवनकाल संबंधी प्रयोग किया, तो मुझे एहसास हुआ, वास्तव में समय का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ रहा है। 2000 के दशक तक लैब में मधुमक्खियों के पालन के लिए मानकीकृत प्रोटोकॉल को वास्तव में औपचारिक रूप नहीं दिया गया था, इसलिए आप सोचेंगे कि जीवनकाल लंबा या अपरिवर्तित होगा, क्योंकि हम इसमें बेहतर हो रहे हैं, इसके बजाय, हमने दोगुनी मृत्यु दर देखी।

हालांकि एक प्रयोगशाला वातावरण एक कॉलोनी से बहुत अलग है, प्रयोगशाला में रखी मधुमक्खियों के ऐतिहासिक रिकॉर्ड कॉलोनी मधुमक्खियों के लिए एक समान जीवनकाल का सुझाव देते हैं। वैज्ञानिक आमतौर पर मानते हैं कि अलग-अलग कारण हैं जो एक वातावरण में जीवनकाल को कम करते हैं।

पिछले अध्ययनों से यह भी पता चला था कि वास्तविक दुनिया में, मधुमक्खी के जीवन काल में भोजन ढूढ़ने का कम समय और कम शहद उत्पादन के अनुरूप पाए गए थे। उन कारणों को कॉलोनी में होने वाले बदलाव की दरों से जोड़ने वाला यह पहला अध्ययन है।

जब टीम ने मधुमक्खी पालन पर जीवनकाल में 50 प्रतिशत की कमी के प्रभाव का मॉडल तैयार किया, जहां गायब हुई कॉलोनियों को सालाना बदल दिया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप नुकसान की दर लगभग 33 प्रतिशत थी। यह पिछले 14 वर्षों में मधुमक्खी पालकों द्वारा दी गई जानकारी के औसत के 30  से 40 प्रतिशत की वार्षिक नुकसान की दर के बराबर है।

नियरमैन और वैनएंगल्सडॉर्प ने गौर किया कि उनकी प्रयोगशाला में रखी मधुमक्खियां अपने लार्वा चरण के दौरान किसी प्रकार के निम्न-स्तर के संक्रामक  संदूषण या कीटनाशक के संपर्क का अनुभव कर सकती हैं, इसी तरह जब वे छत्ते में रह रही होती हैं और श्रमिक मधुमक्खियां उन्हें खिला रही होती हैं। लेकिन मधुमक्खियों ने उन खतरों के स्पष्ट लक्षण नहीं दिखाए हैं  जैसे कि फल की मक्खियों जैसे अन्य कीड़ों में लंबे जीवनकाल के लिए एक आनुवंशिक तरीका दिखाया गया है। यह अध्ययन साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in