करीब 900 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले पश्चिमी चम्पारण के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघ के हमलों की घटनाएं अमूमन नहीं होती हैं, लेकिन सोमवार की शाम कथित तौर पर बाघ के हमले से एक किसान की मौत हो गई। इस घटना से ये सवाल भी उठने लगा है कि क्या बंगाल, उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश की तरह अब बिहार में भी बाघ और मनुष्य के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई है?
स्थानीय लोगों के मुताबिक, मृत किसान सोहन कुमार धान के खेत में कुछ काम कर रहा था, उसी वक्त बाघ ने हमला कर दिया। स्थानीय लोगों का ये भी कहना है कि बाघ ने नीलगाय पर हमला किया था, लेकिन नीलगाय किसी तरह भाग गई और सोहन निशाने पर आ गया। इस हमले में किसान की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। जहां हमला हुआ है, वो क्षेत्र वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से सटा हुआ है।
हालांकि, वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से जुड़े अधिकारी आधिकारिक तौर पर ये स्वीकार नहीं कर रहे हैं कि सोहन की मौत बाघ के हमले से ही हुई है। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर एचके रॉय ने डाउन टू अर्थ को बताया, “पोस्टमार्टम रिपोर्ट जब तक नहीं मिल जाती है, ये कहना मुश्किल है कि बाघ के हमले से ही उसकी मौत हुई है या किसी और जानवर के हमले से। फिर भी फील्ड के अधिकारी आसपास के इलाकों में घूम कर बाघ के पैरों के निशान तलाशने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि ये पता चल सके कि बाघ इस तरफ आया भी था या नहीं।”
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि मृतक के शरीर पर मिले जख्म के निशान देख कर ये कह पाना मुश्किल है कि बाघ ने ही हमला किया था, इसलिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार करना होगा। उक्त अधिकारी ने आगे कहा, “वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघ के हमलों से लोगों की मौत की घटनाएं नहीं होती हैं। अलबत्ता बाघ से हमले से कुछ लोगों के जख्मी होने की कुछेक घटनाए बीते वर्षों में जरूर हुई हैं।”
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल तीन चार महीनों के भीतर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के बाहर 20 से ज्यादा जगहों पर बाघ देखे गए थे। वन विभाग के अधिकारियों का कहना था कि बाघों की संख्या में इजाफे के कारण वे यदाकदा वन क्षेत्र से बाहर निकल जा रहे हैं। ताजा जनगणना के मुताबिक, वर्ष 2018 में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में 31 बाघ पाए गए हैं जो वर्ष 2010 के मुकाबले आठ ज्यादा हैं।
पांच साल में बाघ ने 224 लोगों को मारा
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के आंकड़े देखें, तो पिछले पांच वर्षों में बिहार में बाघ के हमले से लोगों की मौत की एक भी घटना नहीं हुई है, लेकिन अन्य राज्यों में बाघों के हमले से 224 लोगों की जान जा चुकी है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2014 में देशभर में बाघ के हमलों में 47 लोगों की मौत हुई थी। वर्ष 2015 में ये आंकड़ा 42, वर्ष 2016 में 62, वर्ष 2017 में 44 और वर्ष 2018 में 29 था। पिछले साल बाघ से हमलों में मौत की सबसे ज्यादा वारदातें पश्चिम बंगाल में दर्ज की गई थीं।