भारत में विलुप्त हो चुके चीतों को दोबारा बहाल करने के प्रयासों में एक बार फिर आशा की किरण दिखाई दी है। कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) के अधिकारियों ने तीन जनवरी, 2023 को जानकारी दी है कि वहां चीते के तीन शावकों का जन्म हुआ है। गौरतलब है कि यह परियोजना चीतों की होती मृत्यु के चलते विवादों में आ गई थी।
हालांकि इस सकारात्मक खबर से एक बार फिर इसको लेकर उम्मीदें बढ़ गई हैं। यह दूसरा मौका है जब कूनो राष्ट्रीय उद्यान में शावक पैदा हुए हैं। इस बारे में जानकारी साझा करते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने एक्स (जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता है) पर एक पोस्ट शेयर करते हुए इन शावकों के जन्म की पुष्टि की है।
उन्होंने लिखा है कि, "यह बताते हुए खुशी हो रही है कि कूनो नेशनल पार्क ने तीन नए सदस्यों का स्वागत किया है। इन शावकों का जन्म नामीबियाई चीता, 'आशा' से हुआ है।
इस तरह यह नए पैदा हुए शावक 2022 में भारतीय धरती पर पैदा हुए चार अन्य शावकों में शामिल हो जाएंगे।
बता दें कि मार्च 2023 में पहले शावक का जन्म तीन वर्षीय सियाया से हुआ था, जिसका नाम ज्वाला रखा गया। इसे भी नामीबिया से लाया गया था। इन मादा शावकों में से केवल एक ही जीवित बची है, वहीं अन्य तीन की प्यास और कमजोरी के कारण मृत्यु हो गई थी। ज्वाला को कभी जंगल में आजाद नहीं किया गया।
अब तक कूनो नेशनल पार्क में 15 चीते थे, जिनमें सात नर और मादा और एक शावक शामिल है। अब इन शावकों को शामिल करने के बाद इनकी संख्या 18 हो गई है।
इस बारे में कूनो नेशनल पार्क के मुख्य वन संरक्षक उत्तम शर्मा का कहना है कि, "शावक करीब छह से आठ दिन के हैं, जो संभवतः 26 दिसंबर के आसपास पैदा हुए हैं। वे सभी स्वस्थ हैं और पशु चिकित्सकों की देखरेख में हैं।"
मुख्य वन संरक्षक का यह भी कहना है कि, शावकों के लिंग का निर्धारण करने में करीब छह महीने लगेंगे। शर्मा के मुताबिक "इन शावकों के माता-पिता के बारे में जानकारी बाद में साझा की जाएगी।"
वहीं "द एंड ऑफ ए ट्रेल: द चीता इन इंडिया" नामक पुस्तक के अनुसार चीते 20 से 24 महीने की उम्र में प्रजनन के लिए तैयार होते हैं, और उनकी गर्भावस्था 90 से 100 दिनों के बीच रहती है।
ऐसी सम्भावना जताई जा रही है कि सेप्टीसीमिया के कारण वयस्क चीतों की मौत के बाद जुलाई और अगस्त से शावकों को कैद में रखा गया था, जब वे बाड़े के अंदर थे।
इस बीच, नाम न छापने की शर्त पर एक विशेषज्ञ ने बताया कि पिछले साल का जीवित शावक अभी भी कैद में है और उसे हाथ से पाला गया है। उन्होंने कहा, “मुझे यकीन नहीं है कि हम क्यों जश्न मना रहे हैं।"
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इनका जन्म कैद में हुआ है। विशेषज्ञ का आगे कहना है कि, "अफ्रीका से चीतों को लाने की मूल योजना एक स्वतंत्र आबादी स्थापित करना था और हम इसे हासिल करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहे हैं।"
2023 में जारी एक वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, 20 जुलाई, 2023 को क्वारंटाइन करने के लिए आशा को पकड़ लिया गया था। उसने स्वतंत्र -परिस्थितियों में कुल 131 दिन बिताए हैं।
दिसंबर 2023 के अंत में, वन विभाग ने अग्नि, वायु, वीरा और पवन को पार्क में छोड़ा था। हालांकि अग्नि को शांत करके वापस लाना पड़ा था क्योंकि वह राजस्थान की सीमा में बहुत दूर तक चली गई थी।
इस बारे में दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञ विंसेंट वैन डेर मेरवे ने डाउन टू अर्थ से की बातचीत में कहा कि, "भारत में प्रोजेक्ट चीता की देखरेख करने वाले जमीनी अधिकारियों को बधाई। यह एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इन शावकों के लिए आगे एक लंबी चुनौतीपूर्ण राह है।"
उनका यह भी कहना है कि, "पारिस्थितिकी तंत्र का एक कार्यात्मक हिस्सा बनने की दिशा में उनकी यात्रा में होने वाले नुकसान का अनुमान लगाया जाना चाहिए। हम चीतों और परियोजना के कर्मचारियों को शुभकामनाएं देते हैं।" बता दें कि विंसेंट वैन डेर मेरवे एक दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञ हैं जो इस परियोजना के शुरूआती चरण में शामिल थे।