दुनिया भर के जंगलों को बचाए रखने में वनवासियों और देशी समुदायों की महत्वपूर्ण भूमिका है, जिसे कम करने नहीं आंका जा सकता। हाल ही में ब्राजील में जारी नई रिपोर्ट ने भी इस पर मोहर लगा दी है, जिसके अनुसार देशी समुदायों के अधिकार में मौजूद भूमि, वन विनाश के लिए अवरोध का काम करती है।
इस बारे में मैपबायोमास द्वारा मंगलवार को प्रकाशित एक नई रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन दशकों के दौरान ब्राजील के स्वदेशी लोगों को मिले भूमि आरक्षण ने वन विनाश के खिलाफ एक बाधा का काम किया है। हालांकि साथ ही रिपोर्ट में इस बात को भी माना है कि राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के शासन में अमेजन वर्षावनों का विनाश पहले से तेज हो गया है।
रिपोर्ट के हवाले से पता चला है कि ब्राजील में पिछले 30 वर्षों में 6.9 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में फैली स्थानीय वनस्पति खत्म हो चुकी है, जिसका केवल 1.6 फीसदी हिस्सा स्वदेशी समुदायों के अधिकार में था। वहीं जिस भूमि पर जंगलों का कटाव देखा गया है उसका करीब 70 फीसदी हिस्सा निजी हाथों में था।
इस बारे में बायोमास परियोजना के कोर्डिनेटर टैसो अजेवेडो का कहना है कि उपग्रह से प्राप्त तस्वीरों से इस बात पर कोइ संदेह नहीं रह गया है कि स्वदेशी लोग अमेजन में हो रहे वन विनाश को धीमा कर रहे हैं। उनके अनुसार स्वदेशी आरक्षण के बिना, यह जंगल निश्चित रूप से 'टिपिंग पॉइंट' के बहुत नजदीक पहुंच जाएंगें। इसके बाद यह उन महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी सेवाओं को देना बंद कर देंगें जिनपर हमारी कृषि, उद्योग और शहर निर्भर हैं।
इससे पहले भी कई अध्ययनों में यह साबित हो चुका है कि स्वदेशी भूमि की रक्षा इन देशज जंगलों के विनाश की गति को धीमा करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है। जो जलवायु परिवर्तन की रोकथाम में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
आंकड़ों के मुताबिक ब्राजील के कुल क्षेत्र के करीब 13.9 फीसदी हिस्से पर स्वदेशी लोगों को आरक्षण मिला हुआ है। इसमें करीब 11 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में फैली देशी वनस्पति भी शामिल है। जोकि देश की कुल देशी वनस्पति का एक चौथाई हिस्सा है।
लेकिन यह क्षेत्र अब बोल्सोनारो के दबाव का सामना कर रहे हैं, जो कृषि व्यवसायियों के समर्थक हैं। उन्होंने चुनाव जीतने के बाद और एक सेंटीमीटर भूमि पर स्वदेशी आरक्षण न देने का वादा किया था। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 2019 में जब से उन्होंने राष्ट्रपति का पदभार संभाला है, तब से पिछले एक दशक कि तुलना में ब्राजील के अमेजन वनों का औसत वार्षिक विनाश 75 फीसदी से ज्यादा बढ़ गया है।
अरबों खर्च करके भी कई सरकारें नहीं कर पा रही इन समुदायों की बराबरी
जंगलों को बचाने में स्थानीय समुदायों के महत्व को उजागर करते हुए संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी) रिपोर्ट का कहना है कि दुनिया की कई सरकारें इन जंगलों को बचाने के नाम पर अरबों खर्च कर रही हैं। इसके बावजूद वो इस मामले में देशी और स्थानीय समुदायों की बराबरी नहीं कर पा रही हैं।
रिपोर्ट के अनुसार देशी व वनवासी समुदाय दुनिया में करीब 40 फीसदी वन क्षेत्र का संरक्षण कर रहे हैं। इस वनभूमि की मदद से वो करीब 30,000 करोड़ टन कार्बन का प्रबंधन कर चुके हैं। इसी तरह आईपीबीईएस ने पृथ्वी पर मौजूद जैवविविधता के संरक्षण बारे में अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया में हर जगह जैव-विविधता में अप्रत्याशित गिरावट हो रही है, लेकिन अभी भी कुछ जगहें ऐसी हैं जहां के वनवासियों और स्थानीय लोगों ने अपनी जमीन और उस पर मौजूद जैवविविधता को संजोकर रखा हुआ है।
वहीं यूएनसीसीडी ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर दुःख जताया है कि जंगलों को बचाने की जद्दोजहद में लगे इन समुदायों के योगदान को कोई मान्यता नहीं दी जा रही, बल्कि उन्हें अपने जीवन और अधिकारों के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।
देखा जाए तो दुनिया की आधी से अधिक भूमि का प्रबंधन देशी व स्थानीय समुदाय कर रहे हैं लेकिन इनमें से केवल 10 फीसदी के पास ही उनका मालिकाना हक है। उन्हें उनके योगदान के लिए ईनाम मिलना तो बड़ी दूर की बात है बल्कि उन्हें इन संरक्षित क्षेत्रों से जो उनका घर है उनसे जबरन निकाला जा रहा है, जिसके लिए उनके साथ हिंसा तक की जा रही है। ऐसे में सरकार को अपनी सोच बदलने के साथ इन समुदायों से बहुत कुछ सीखने की जरुरत है। जो आज भी अपने पुरखों की विरासत को संजो कर रखने में सफल रह पाए हैं।