निर्मल कुमार शर्मा
क्या मनुष्य प्रजाति इस धरती के जैवमण्डल को 1/5 भाग ऑक्सीजन देनेवाले अमेजन के जंगलों को 40-45 वर्ष में नष्ट कर देगी? उक्त विचलित कर देनेवाले प्रश्न का उत्तर 'हां' में है।
यह बात मैं नहीं कह रहा हूं,अपितु यह बात अमेजन के जंगलों के अत्यंत हतप्रभ और दुःखी कर देनेवाली स्थिति के संबंध में यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा के एक भू और पर्यावरण विशेषज्ञ वैज्ञानिक रॉबर्ट वाकर का कहना है। वह अमेजन के जंगलों के विनाश पर पिछले बीसियों वर्षों से गहन शोध कर रहे हैं।
उनका यह शोधपत्र पिछले दिनों पर्यावरण पर काम करनेवाली पत्रिका डिस्कवर में प्रकाशित हो चुका है । इस रिपोर्ट के अनुसार अमेजन के जंगलों की स्थिति अब बहुत ज्यादा खराब हो चुकी है। वर्ष 2004 से 2012 तक वहाँ के पेड़ों के कटने की दर बहुत ही कम थी, लेकिन वर्ष 2020 के बाद से पिछले दशक में अमेजन के जंगलों का सत्यानाश होने की दर इस दुनिया के पर्यावरण के प्रति अति संवेदनशील और चिंतित लोगों को डरा देती है।
वर्ष 2020 के प्रारम्भिक केवल 4 महीनों में अमेजन के जंगलों का 1202 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा निर्दयतापूर्वक उजाड़ दिया गया। भूवैज्ञानिकों के अनुसार वर्षावन अपने क्षेत्र जंगली क्षेत्र के 20 से 25 प्रतिशत भाग तक भाग के उजड़ने के बावजूद उसको संरक्षित करके जंगल को पुनर्जीवित करके पुनः कुछ ही वर्षों में संभल जाते हैं।
लेकिन जब पूरा का पूरा जंगल ही नष्ट -भ्रष्ट करके उसे एक सपाट मैदानी भाग में तब्दील कर दिया जाएगा, तो उस स्थिति में वर्षावन भी खुद असमय बेमौत मर जाने के सिवा कुछ भी नहीं कर सकते।
वहां का पूरा इकोसिस्टम ही तबाह होकर रह जाता है। यह सर्वमान्य वैज्ञानिक तथ्य है कि पेड़ वायुमंडल से नमी और कार्बनडाई ऑक्साइड लेते हैं, लेकिन सूर्य के प्रकाश में प्रकाशसंस्लेषण की अत्यंत जटिल प्रक्रिया करके पुनः वायुमण्डल में ऑक्सीजन, नमी और ठंडक लौटा देते हैं, लेकिन कथित उन्नतशील मस्तिष्क वाले मनुष्यप्रजाति के हाथों पेड़ों और जंगलों के तेजी से कटने से यह समस्त पर्यावरण संतुलन का चक्र ही विनष्ट हो जाता है।
वैश्विक स्तर पर मानवीय, पर्यावरण और पशुपक्षियों के जीवन से प्रेम करने वाले लोग जीवन के स्पंदन से युक्त इस धरती के लिए जो पूरे ज्ञात ब्रह्मांड में अपनी तरह की इकलौती और अनूठी है,के लिए प्रकृति द्वारा अमेजन के करोड़ों साल पूर्व अपने अथक मेहनत और सुविचारित, सुचिन्तित तौर पर बनाए गये इस पृथ्वी के संपूर्ण जैवमण्डल के लिए प्रयुक्त ऑक्सीजन के 20 प्रतिशत पैदा करने वाले जंगलों के विनाश पर बहुत दुःखी,स्तब्ध और क्षुब्ध हैं।
वर्तमान समय में अमेजन के जंगलों के विनाश का आकलन करते हुए सुप्रतिष्ठित वैश्विक संस्थान वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ के अनुसार भी 2030 तक अमेजन के जंगलों का 27 प्रतिशत भाग तक निश्चित रूप से नष्ट हो सकता है। इन जंगलों के इतनी भारी संख्या में बर्बाद होने से उसमें रह रहे भारी संख्या में कीट-पतंगों,रेप्टाइल्स,जलीय जीवों और स्तनधारी जीवों का भी मर-खप जाना निश्चित है।
इस कुकृत्य से पहले से ही ऑक्सीजन की भयंकरतम् कमी से बुरी तरह जूझ रही ये दुनिया और अधिक व भयावह ऑक्सीजन की कमी से त्रस्त हो जाएगी । इसके फलस्वरूप कॉर्बन डाईऑक्साइड जैसी गैस की तेजी से अभिवृद्धि होने से उच्च पर्वत शिखरों पर लाखों-करोड़ों सालों से सदानीरा, जीवनदायिनी, आविरल, स्वच्छ जल की श्रोत नदियों के उद्गम स्थल दुग्धधवल लाखों ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना शुरू हो जाएगा, जिससे पहाड़ों से निकलने वाली हजारों नदियाँ पहले नालों में परिवर्तित होने लगेंगी और एक दिन अंततः सूख जाने को अभिशापित होकर मृत होकर रह जाएंगी।
इसका यह प्रतिफल होगा कि मैदानी क्षेत्रों में भूगर्भीय जल का तेजी से ह्रास होगा,वहाँ सिंचाई के लिए लगे लाखों कुँए,हैंडपंप और ट्यूबवेल आदि सभी फेल होकर रह जाएंगे, सूखे और अकाल से करोड़ों लोग भूखों मरने लगेंगे ।
अमेजन जंगल 21 लाख वर्गमील या 54.39 लाख वर्ग किलोमीटर के विस्तृत क्षेत्र में फैला हुआ दुनिया का एक समृद्धतम् जंगल है,जिसमें दुनिया की सबसे ज्यादे जलसंचयन करनेवाली अपने हजारों -लाखों नालों,उपनदियों, सहायक नदियों के समृद्धशाली परिवार के साथ जिसमें लाखों आश्चर्यजनक जीवों, वनस्पतियों, सरिसृपों, स्तनपाईयों, पक्षियों, तितलियों, कीटों आदि के परिवार को परिपोषित करती हुई करोड़ों साल से सतत बहती हुई,अमेजन नदी आबाद है।
इसके विस्तृत क्षेत्रफल का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि इसके बराबर क्षेत्रफल का कोई देश होता तो वह दुनिया का 9 वाँ विशाल देश होने का दर्जा प्राप्त कर लेता ।
अमेजन के जंगलों में पेरू की सीमा के नजदीक वर्ष 2012 में केवल 1 किलोमीटर लम्बी एक मयानतुयाकू नामक एक ऐसी नदी की खोज की गई है, जिसका जल 80 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर हमेशा उबलता रहता है। इस आश्चर्यजनक नदी की खोज सुप्रसिद्ध भूवैज्ञानिक आंद्रे रूजो ने किया था, इसका पानी रहस्यमय तरीके से उबलता रहता है।
इसका पानी इतना ज्यादा गर्म है कि उससे आसानी से हम चाय बना सकते हैं। इस नदी का पानी इतना गर्म है कि अगर कोई जीवधारी इसमें गिर जाय तो उसकी तुरंत मौत हो जाती है।
भूवैज्ञानिक आंद्रे रूजो ने इस नदी के उबलते पानी में कई छोटे जीवों को गिरकर मौत के मुँह में जाते हुए खुद अपनी आँखों से देखा था । भूगर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसा संभव ही नहीं है कि किसी नदी का जल इतने अधिक तापमान पर लगातार उबलता रहे,जब तक कि उसके आसपास कोई धधकती ज्वालामुखी न हो।
वैज्ञानिक इस उबलती नदी के रहस्य को सुलझाने के लिए लगातार शोध कर रहे हैं,लेकिन अभी तक उन्हें सफलता प्राप्त नहीं हुई है । भूवैज्ञानिक आंद्रे रूजो इस रहस्यमय उबलती नदी पर एक पुस्तक 'द बॉयलिंग रीवरः एडवेंचर एंड डिसकवरी इन अमेजन नामक पुस्तक भी लिख चुके हैं।
कॉमनवेल्थ सांइटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गानाइजेशन नामक संस्था के अनुसार पिछले 30 वर्षों में अमेजन के 324,000 वर्ग किलोमीटर के जंगल निर्दयतापूर्वक जलाए जा चुके हैं। वर्तमान समय में केवल 1988 से 2001 के बीच के केवल 12 वर्षों में हर साल इन जंगलों में 800 प्रतिशत की बढ़ी हुई दर से जानबूझकर आग लगाकर इसे जलाकर नष्ट करने का कुकृत्य किया जा रहा है।
यूरोपियन यूनियन अर्थ ऑब्जर्वेशन प्रोग्राम के सेटेलाइट और विभिन्न समाचार माध्यमों से प्राप्त सूचनाओं के अनुसार अमेजन के इन जंगलों के बहुत बड़े विस्तृत क्षेत्र में पिछले साल पिछले दो हफ्ते या महीनों तक भयावह आग लगी रही इस आग की भयंकर लपटें 2700 किलोमीटर दूर से दिखाई दे रहीं थीं, जिस पर बहुत दिनों तक काबू नहीं पाया जा सका था।
दुनिया के समूचे वनक्षेत्र के एक तिहाई क्षेत्रफल यानी लगभग 54.39 लाख वर्ग किलोमीटर के विस्तृत क्षेत्र में फैले इस जंगल की आग की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि घटनास्थल से 3200 किलोमीटर दूरस्थ ब्राजीलियन शहर साओ पाउला और उसके आसपास के 45 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में इतना काला धुँआ भर गया था कि वहाँ दिन में भी सूरज नहीं दिखाई दे पा रहा था ।
अब तक 47 हजार वर्ग किलोमीटर विस्तृत क्षेत्र के वन क्षेत्र को आग ने उसमें रहने वाले विभिन्न किस्म के कीटपतंगों,परिदों,स्तनधारी जीवों,सरिसृपों आदि सहित भस्म कर चुकी है । पर्यावरण वैज्ञानिकों के अनुसार अमेजन के जंगल प्रति वर्ष 140 अरब टन कार्बनडाई ऑक्साइड सोख कर ग्लोबल वार्मिंग से परेशान पृथ्वी को बहुत बड़ी राहत प्रदान करते हैं।
इस विस्तृत जंगल में 410 किस्म की आदिमानव प्रजातियाँ यहां पिछले 11000 वर्षों से यहाँ रह रहीं हैं। 6900 किलोमीटर क्षेत्र में बहने वाली अमेजन नदी अपने 2500 मछलियों की प्रजातियों के साथ दुनिया की 20 प्रतिशत मीठा पानी इस घाटी में समेटे हुए है।
वानस्पतिक और जैविक रूप से यह इलाका इतना समृद्ध है कि यहाँँ 1500 किस्म की चिड़ियों, 500 किस्म के स्तनधारी जीवों,550 किस्म के सरिसृपों,30 हजार किस्मों के वृक्षों का बसेरा है, जबकि पिछले 20 सालों में इस जंगल में 22 सौ किस्मों के नये पौधे वैज्ञानिकों ने ढूंढ निकाला है ।
ब्राजील के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस रिसर्च संस्थान के अनुसार पिछले मात्र 8 महीनों में इस जंगली क्षेत्र में 73 हजार बार मतलब आग लगने की 83 प्रतिशत मामलों में वृद्धि दर्ज की गई इस एजेंसी ने अमेजन के घटते जंगलों का आंकड़ा भी दुनिया के सामने प्रस्तुत कर दिया, जिससे धुर दक्षिण पंथी विचारधारा का पोषक राष्ट्रपति जैर बोल्सानारो ने इस अपराध के लिए इस एजेंसी के डायरेक्टर को ही निलंबित कर दिया।
वैज्ञानिकों के अनुसार आग कभी भी प्राकृतिक रूप से इतने बड़े इलाके में नहीं लगती है, उसे जंगलों को नष्ट करके खेती करने, मांस के लिए पशुपालन, लकड़ी माफिया और खनन माफिया के इशारों पर सत्ता के कर्णधारों की मिलीभगत से जानबूझकर इतनी बड़ी आग लगाई जाती रही है।
उक्त निहित स्वार्थी लोगों और पर्यावरण के दुश्मनों की गहरी साजिश के तहत ब्राजील के अमेजन के जंगलों को तेजी से काटा जा रहा है । यह भी कहा जा रहा है जब से बाल्सोनारो राष्ट्रपति बने हैं, तब से इस जंगल में आग लगने की घटनाओं में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हुई है।
यह अकारण नहीं है, क्योंकि एक प्रश्न के उत्तर में राष्ट्रपति बाल्सोनारो ने अपनी नीतियों को स्पष्ट करते हुए स्वीकार किया है कि अमेजन इलाके में खेती करना, मांस निर्यात हेतु पशुपालन करना और खनन करना उनकी प्राथमिकता है। राष्ट्रपति की तरफ से यह स्पष्ट किया गया कि 'खेती के लिए जंगलों की सफाई का मौसम है, इसलिए किसान जंगलों को आग लगाकर खेती के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं।
वैज्ञानिक आँँकड़ों के अनुसार इस साल मात्र जुलाई 2019 के एक महिने में अमेजन के जंगलों के 1345 वर्ग किलोमीटर विस्तृत भूभाग से जंगलों का निर्ममतापूर्वक सफाया कर दिया गया। इसके क्षेत्रफल का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया के सबसे घने और विस्तृत क्षेत्र में फैले जापान की राजधानी टोक्यो के क्षेत्रफल से यह दुगुना क्षेत्रफल है ।अब तक के ज्ञात इतिहास में इतने बड़े विस्तृत क्षेत्र में जंगल का इतने कम समय में इतना बड़ा विनाश पहली बार किया गया है ।
इस लेख का सार यह है कि अमेजन के जंगलों का इतनी तेजी से विध्वंस करना मानव प्रजाति सहित इस पृथ्वी के समस्त जैवमण्डल के लिए भी अत्यंत घातक साबित होगा, इसलिए इस पृथ्वी के सभी जीवजंतुओं के सांस लेने के लिए इस पृथ्वी के बचे-खुचे जंगलों को किसी भी तरह बचाना ही होगा, नहीं तो निकट भविष्य में एक दिन ऐसा अवश्य आने वाला है, जब ऑक्सीजन के अभाव में इस धरती के सभी जीवों की सांस घुट-घुटकर धीरे-धीरे मौत आकर अपने आगोश में ले लेगी।
और यह पृथ्वी भी इस ब्रह्मांड के अन्य अरबों-खरबों तारों, ग्रहों, उपग्रहों आदि की तरह ही सांसों के स्पंदन से मुक्त एक वीरान रेगिस्तान ग्रह के रूप में सदा के लिए तब्दील हो जायगी। इससे दुःखद स्थिति से पूर्व इस पृथ्वी के हम समस्त जागरुक और मानवीय सोच वाले मानवों को संभल जाना चाहिए और एक पागल, सनकी व्यक्ति के सनक भरे निर्णय पर रोक लगाकर,अपनी इस शस्यश्यामला धरती को बचा लेना चाहिए।
इसी में सभी की भलाई और मंगकामना अंतर्निहित है। इसके अतिरिक्त विश्व जनमत को ब्राजील देश जिसमें अमेजन जंगल स्थित है,के कर्णधारों को आंशिक रूप से ही खेती,पशुपालन और माँस के लिए विध्वंस करने के लिए दबाव डालना चाहिए,तथा अमेजन जंगल की क्षतिपूर्ति के लिए दुनियाभर के देशों को अपने-अपने देशों में उचित मैदानी क्षेत्रों, बांधों,स्कूली प्रांगणों,सड़कों,रेलवे लाइनों के किनारे या जहाँ भी खाली जगह हो सघन वृक्षारोपण करके उनका समुचित लालनपालन और सुरक्षा प्रदान करके अमेजन के जंगलों के विनाश से हुई पर्यावरणीय क्षति की भरपाई की जानी चाहिए ।
निर्मल कुमार शर्मा पर्यावरण विषय पर स्वतंत्र लेखन करते हैं। इस लेख में व्यक्त विचार उनके व्यक्तिगत हैं।