बढ़ते शहरीकरण के कारण परागण करने वाले जीवों के व्यवहार में बदलाव आ रहा है: शोध

शोध के मुताबिक, परागणकों और पौधों के बीच होने वाली क्रिया के असर की पहचान करने के लिए, एक साल तक हर महीने बेंगलुरु में सब्जी उगाने वाले 36 खेतों का विश्लेषण किया गया।
बढ़ते शहरीकरण के कारण परागण करने वाले जीवों के व्यवहार में बदलाव आ रहा है: शोध
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दुनिया भर में बढ़ता शहरीकरण जैव विविधता के लिए खतरा बनता जा रहा है। साथ ही, फूलों के पौधे अक्सर ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरों में अधिक विविध होते हैं। इसका कारण फूलों वाले पौधे और कृषि फसलें हैं, जो शहरों में बहुत ज्यादा तथा तेजी से उगाई जा रही हैं।

एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि पौधों और परागणकों के बीच परस्पर क्रिया, जो कृषि उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण हैं, वह तेजी से बदल रही है। उदाहरण के लिए, परागण में शामिल पौधे और मधुमक्खी की प्रजातियां अलग-अलग मौसमों के बीच बहुत भिन्न होती हैं। इस बात का खुलासा गौटिंगेन विश्वविद्यालय के नेतृत्व में किए गए एक अंतरराष्ट्रीय शोध टीम द्वारा किया गया है।

वैज्ञानिकों ने दक्षिण भारतीय महानगर बेंगलुरु में सब्जियों का उत्पादन करने वाले खेतों का अध्ययन किया, जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में तेजी से बढ़ते शहर का एक अनोखा उदाहरण है। जैसा कि शहरी और ग्रामीण खेती वाले इलाकों की तुलना से पता चला है, शहरीकरण पौधों के परागण नेटवर्क में मौसमी अंतर को बढ़ाता है। यह शोध इकोलॉजी लेटर्स नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

परागणकों और पौधों के बीच होने वाली क्रिया के असर की पहचान करने के लिए, शोधकर्ताओं ने एक साल तक हर महीने बेंगलुरु में सब्जी की उपज वाले 36 खेतों का विश्लेषण किया। इस तरह, उन्होंने उन मौसमों को कवर किया जो स्थानीय जलवायु की विशेषता हैं, जिसमें हल्की-शुष्क सर्दी, गर्म-शुष्क गर्मी और बरसाती या मॉनसून का मौसम शामिल है।

खेतों को दो हिस्सों में बांटा गया था जो शहरी और ग्रामीण इलाकों में थे। शोधकर्ताओं ने हर एक जगह पर मधुमक्खी की प्रजातियों, मधुमक्खियों द्वारा विभिन्न पौधों की प्रजातियों पर बैठने इनके परस्पर होने वाली क्रियाओं की आवृत्ति को रिकॉर्ड किया।

आंकड़ों के आधार पर उन्होंने प्रत्येक जगह और मौसम में पौधे के परागण करने वाले नेटवर्क की पहचान की

शोधकर्ताओं ने इस बात का पता लगाने के लिए विश्लेषण किया कि कौन से कारण परस्पर क्रिया में अंतर बताते हैं, साल का समय, या शहर के केंद्र से दूरी, या बढ़ते शहरीकरण से, जैसा कि सड़कों, इमारतों या फुटपाथों जैसी सतहों के अनुपात से इसका इशारा मिलता है।

अध्ययन ने उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पौधों और परागणकों से जुड़े नेटवर्क में तेजी से हो रहे बदलाव के पीछे शहरीकरण की भूमिका को लेकर एक नई जानकारी प्रदान की। यह इसलिए महत्वपूर्ण अध्ययन है, क्योंकि अब बड़े पैमाने पर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में शहरों का विस्तार हो रहा है, जहां उन पर समशीतोष्ण क्षेत्रों की तुलना में विभिन्न पारिस्थितिकी, जलवायु और सामाजिक कारणों का असर पड़ता है।

शोध के परिणाम सालभर के दौरान पौधे के परागण नेटवर्क में बड़े बदलावों, पौधों और उनके परागणकों के परस्पर प्रभाव के लिए मौसमी महत्व की ओर इशारा करते हैं, विशेष रूप से तेजी से बढ़ते उष्णकटिबंधीय महानगरों में ऐसा देखा गया है।

यह शोध भारत में शहरी और ग्रामीण वातावरण के परस्पर प्रभाव व सामाजिक-पारिस्थितिकी प्रणालियों में बदलाव की जांच पड़ताल करता है।

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