वन कई प्रकार की पारिस्थितिक सेवाएं देते हैं। ये सेवाएं टिंबर या नॉन टिंबर उत्पाद के रूप में मिलती हैं। इसके अतिरिक्त भी वन कई प्रकार की अदृश्य सेवाएं प्रदान करते हैं। वनों से प्राप्त होने वाली इन सेवाओं का ग्राफ अब धीरे-धीरे गिर रहा है। इसका मतलब हुआ कि वन संसाधन का दोहन अब पड़े पैमाने पर हो रहा है।
2011-12 में टिंबर और नॉन टिंबर उपज के बीच का अंतर बहुत कम था। 2011-12 में टिंबर की उपज 15,328 करोड़ रुपए थी जो कि 2019-20 में में बढ़कर 19,632 करोड़ रुपए हो गई। जबकि नॉन टिंबर की उपज 2011-12 में 15,378 करोड़ रुपए थी जो कि 2019-20 में घटकर 11,118 करोड़ रुपए रह गई है।
2011-12 से लेकर 2019-20 दशक के दरमियान टिंबर उपज 2016-17 में सबसे अधिक थी यानी 26,753 करोड़ रुपए जबकि इसी दशक में नॉन टिंबर उपज सबसे कम 2018-19 में 9,693 करोड़ रुपए थी। यह बात दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट द्वारा जारी स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट रिपोर्ट में कही गई है।
एसओई इन फिगर्स रिपोर्ट में बताया गया है कि 2019-20 के दौरान उत्तर-पूर्व और अंडमान के वनों का सर्वाधिक आर्थिक मूल्य आंका गया है। अंडमान में कुल वनों का मूल्य 1,01,278 रुपए प्रति हेक्टेयर है। इसमें टिम्बर प्रोविजनिंग सर्विस (वन और अन्य लकड़ी)143, एनटीएफपी सेवा (नॉन टिंबर वन उपज) 40 और कार्बन रिटेंशन सेवा (कार्बन स्टॉक से प्राप्त वार्षिक आर्थिक मूल्य) 1,01,095 रुपए प्रति हेक्टेयर है। इस मामले में अरुणाचल प्रदेश दूसरे नंबर पर है तो तीसरे नंबर पर मणिपुर है जबकि हरियाणा का नंबर सबसे आखिरी पायदान पर है।
एसओई रिपोर्ट 2023 में बताया गया है कि देश के 19 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में टिंबर परितंत्र का मूल्य घटा है। जबकि 17 राज्यों में वृद्धि देखी जा रही हे। इसके अलावा मणिपुर को छोड़कर 34 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में एनटीएफपी का मूल्य घटा है। वहीं 31 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में एनटीएफपी के मूल्य में गिरावट 30 प्रतिशत या इससे अधिक दर्ज की गई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देश के सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में कार्बन रिटेंशन सेवा में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वहीं पिछले तीन सालों में कार्बन रिटेंशन सेवा में सर्वाधिक वृद्धि हुई है। ध्यान रहे कि ये सभी क्षेत्र हिमालयी राज्यों से हैं।
वन की पारितंत्र सेवाओं में मोटे तौर पर तीन घटक शामिल हैं:
टिम्बर प्रोविजनिंग सर्विस: इसे वानिकी से प्राप्त पारिस्थितिकी तंत्र संपत्ति (वन, अन्य लकड़ी के क्षेत्र) के योगदान के रूप में परिभाषित करते हैं
नॉन टिंबर वन उपज (एनटीएफपी) सेवा- लकड़ी के अलावा वनों से प्राप्त अन्य उत्पादों के रूप में परिभाषित।
एनटीएफपी में भोजन, पेय पदार्थ, चारा, ईंधन, दवा, फाइबर और जैव रसायन के लिए इस्तेमाल होने वाले पौधों के साथ उनके उत्पाद जैसे शहद, लाख और रेशम आदि शामिल हैं
कार्बन रिटेंशन सेवा- कार्बन स्टॉक से प्राप्त वार्षिक आर्थिक मूल्य