मिल्की-वे यानी हमारी दूधिया आकाशगंगा का एक पूरा चक्कर लगाने में सूरज को 25 करोड़ वर्ष लगते हैं। सूरज की इस पूरी एक परिक्रमा को कॉस्मिक ईयर या गांगेय वर्ष भी कहते हैं। जब पिछली बार सूरज पूरा चक्कर लगाकर दूधिया आकाशगंगा के केंद्र में पहुंचा था तो उस वक्त धरती पर डायनासोर थे। अब जब सूरज यह चक्र पूरा करेगा तो कौन जानता है कि यह मानवजाति विलुप्त हो चुकी हो। जैव-विविधता और पारिस्थितिकी सेवाओं के अंतरराज्यीय विज्ञान नीति मंच (आईपीबीईएस) ने इसी वर्ष पहली बार अपनी विस्तृत रिपोर्ट में कहा था कि हम 6वीं बार सामूहिक प्रजातियों की विलुप्ति के कगार पर पहुंच रहे हैं। इससे पहले धरती पर डायनासोर समेत अन्य पांच प्रजातियों की सामूहिक विलुप्ति हो चुकी है। यानी इनका धरती से नामो-निशान मिट चुका है। विलुप्ति के पदचिन्ह 2019 में दिखाई देने लगे हैं। 2019 में ही पारिस्थितिकी को बेहतर बनाने वाली कुछ प्रजातियां पूरी तरह विलुप्त हो गईं हैं। आधिकारिक तौर पर यह घोषणा हो गई है कि अब मानवजाति के साथ यह नहीं होंगी। मानव गतिविधियों और जलवायु परिवर्तन इसके जिम्मेदार माने जा रहे -
अमेरिका के हवाई द्वीप में पेड़ पर पहने वाला (अचतिनेला एपेक्सफुलवा) घोंघा विलुप्त हो चुका है। इस परिवार के अंतिम और खूबसूरत शंख जैसे खोल में रहने वाले घोंघे जॉर्ज ने 2019 के पहले ही दिन दम तोड़ दिया। इसकी पुष्टि हवाई डिपार्टमेंट ऑफ लैंड एंड नैचुरल रिसोर्सेज के डेविड सिसको ने की थी। घोँघा पारिस्थितिकी को बेहतर रखने में बड़ी भूमिका अदा करते हैं। ऐसे में घोंघे के एक प्रजाति की विलुप्ति भी बड़ी हानि है।
हवाई द्वीप पर ऐसी सैकड़ों प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं। 20 वर्षों से जॉर्ज की प्रजाति की रक्षा के लिए लोग मेहनत कर रहे थे। पेड़ पर रहने वाले इस अंतिम घोंघे का नाम एक ब्रिटिश नाविक कप्तान जॉर्ज डिक्सन के नाम पर पड़ा था। हवाई में 752 जमीनी घोंघे की प्रजातियां थीं। जो 10 जुदा परिवारों से ताल्लुक रखती थीं। हर एक परिवार में अब 60 से 90 फीसदी तक प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं। यह द्वीप के लिए एक बडी़ त्रासदी है। हवाई डिपार्टमेंट ऑफ लैंड एंड नैचुरल रिसोर्सेज एक बार फिर से घोंघों के संरक्षण में लग गया है।