2022 के 351 नई प्रजातियों का वर्णन और उनका नामकरण करेंगे वैज्ञानिक : प्राकृतिक संग्रहालय

वर्णन में गुबरैला की 84 प्रजातियां, पतंगों की 34 प्रजातियां, मोथ जीवों की 23 प्रजातियां, ट्रिमेटोड कीड़ों की 13 प्रजातियां तथा एशिया से भौंरे की दो प्रजातियां भी शामिल हैं।
फोटो साभार : नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम, एंड्रयू पोलाज़ेक, हू, ड्रमोंट और तेलनोव,  बाएं सूक्ष्म परजीवी मेगाफ्राग्मा ततैया, दांए  बहुत बड़े आकर का गुबरैला 'ऑटोक्रेट्स लिनी'
फोटो साभार : नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम, एंड्रयू पोलाज़ेक, हू, ड्रमोंट और तेलनोव, बाएं सूक्ष्म परजीवी मेगाफ्राग्मा ततैया, दांए बहुत बड़े आकर का गुबरैला 'ऑटोक्रेट्स लिनी'
Published on

प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय में शोध यात्राओं से लेकर दूर-दराज के स्थानों तक से संग्रहित की गई 8 करोड़ चीजों की छानबीन करने तक, हर साल वैज्ञानिक जीवन के इस व्यापक पुस्तकालय में योगदान दे रहे हैं। जबकि इनमें से कई प्रजातियां पहले से ही एक दूसरे के साथ रहती हैं, उन्हें वैज्ञानिक नाम देकर उनकी बेहतर सुरक्षा की जा सकती हैं।

पृथ्वी पर अधिकांश जानवर अकशेरूकीय यानी बिना रीढ़ की हड्डी के हैं, यह आश्चर्य की बात नहीं है कि इस वर्ष दर्ज अधिकांश नई प्रजातियां इसी समूह से आती हैं।

इसमें गुबरैला की 84 प्रजातियां, पतंगों की 34 प्रजातियां, मोथ जीवों की 23 प्रजातियां जिन्हें ब्रायोजोन्स भी कहा जाता है तथा ट्रिमेटोड कीड़ों की 13 प्रजातियां शामिल हैं। प्रोटिस्ट की 12 नई प्रजातियां, मक्खियों की सात प्रजातियां, एशिया से भौंरे की दो प्रजातियां, महासागरों की गहराई से दो पॉलीसेट कीड़े और कई खंडों के साथ एक कनखजूरा था जिसे वैज्ञानिकों ने पहले कभी नहीं देखा।

लेकिन जिस समूह ने इस वर्ष सबसे नई प्रजाति हासिल की, वह ततैया है। इसको लेकर कुल 85 नई प्रजातियों का वर्णन किया गया है। इसमें सबसे सुंदर, पंख वाले कुछ छोटी प्रजातियां शामिल हैं। ये छोटे जीव उस समूह के हैं जिनमें दुनिया के कुछ सबसे छोटे कीड़े शामिल हैं।

अपने छोटे आकार के बावजूद, ये परजीवी ततैया कृषि के लिए महत्वपूर्ण हैं। कीट थ्रिप्स - एक प्रकार का कीट जो फसल को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए ततैया इनसे निपटने के लिए महत्वपूर्ण जैविक नियंत्रण एजेंट हो सकते हैं।

डॉ. गेविन ब्रॉड संग्रहालय में कीड़ों के प्रभारी हैं और ततैयों वाले समूह हाइमनोप्टेरा के विशेषज्ञ हैं। गैविन बताते हैं, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि ततैया की नई प्रजातियां शीर्ष पर आईं, यह सिर्फ एक आश्चर्य की बात है कि ततैया हर साल शीर्ष पर नहीं आती हैं। पैरासिटॉइड ततैया की प्रचुरता हाइमनोप्टेरा को कीटों का सबसे अधिक प्रजाति-समृद्ध बनाती है, लेकिन यह वास्तविक प्रजातियों के विवरण के संदर्भ में कुछ अन्य समूहों से पीछे है।

उन्होंने आगे चेतावनी देते हुए जोड़ा कि अगले साल बहुत अधिक ततैया से सावधान रहने की जरूरत है।

इस वर्ष भी डंक वाले कीड़ों की 19 नई प्रजातियों का वर्णन किया गया है। ये सभी ऑस्ट्रेलिया के उष्णकटिबंध से संबंधित हैं और शोधकर्ताओं को नए एकत्रित कीड़ों, संग्रहालय के नमूनों और आनुवांशिक विश्लेषण का उपयोग करने की आवश्यकता है, यह बताने के लिए कि मूल रूप से 11 प्रजातियों के बारे में क्या सोचा गया था, जो वास्तव में 30 प्रजातियां थीं।

संग्रहालय के वैज्ञानिकों द्वारा मुट्ठी भर कशेरुकियों का भी वर्णन किया गया है, जिनमें सेशेल्स से गेको की एक नई प्रजाति, मछलियों की तीन प्रजातियां और मेंढकों की सात प्रजातियां शामिल हैं।

इनमें से छह मेंढक सबसे छोटे ज्ञात कशेरुकी जीवों में से हैं। मेक्सिको के पत्तों के ऊपर पाए जाने वाले मेंढक की लंबाई केवल आठ मिलीमीटर तक होती है, जो 1 पैसे के सिक्के से भी छोटा है। ये मेंढक विकसित होकर इतने छोटे क्यों हो गए, यह अभी तक समझ में नहीं आया है।

वैज्ञानिक इस वर्ष न केवल जीवित, बल्कि मृतकों की भी तीन नई प्रजातियों के नाम वाले डायनासोर का वर्णन कर रहे हैं। दो चीन के कवच वाले डायनासोर हैं। इनमें से पहला एशिया में पाया जाने वाला सबसे पुराना और सबसे पूर्ण कवच वाला डायनासोर है, जबकि दूसरा अब तक का सबसे पुराना स्टेगोसॉर है। साथ में, दो प्रजातियां शोधकर्ताओं को यह समझने में मदद कर रही हैं कि भारी कवचवाले समूह कैसे विकसित हुए।

इस वर्ष वर्णित तीसरा नया डायनासोर उत्तरी अर्जेंटीना में पाए जाने वाले छोटे हाथों वाली एक मांसाहारी प्रजाति है। सात करोड़ वर्ष पुराना, यह इस बात का सुराग दे रहा है कि दुनिया के इस हिस्से ने डायनासोर को मिटा देने वाले एस्टेरॉइड या क्षुद्रग्रह को कैसे प्रतिक्रिया दी।

यह केवल डायनासोर के जीवाश्म नहीं हैं जो शोधकर्ताओं को अतीत को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर रहे हैं। एक 20 करोड़ वर्ष पुरानी जीवाश्म छिपकली जो संग्रह में छिपी हुई थी, न केवल एक नई प्रजाति निकली, बल्कि विज्ञान के लिए जानी जाने वाली सबसे पुरानी छिपकली भी थी, जिसने इस समूह की उत्पत्ति को तीन करोड़ वर्ष पीछे धकेल दिया है।

इसके अलावा संग्रह में एक भयानक मगरमच्छ जैसा शिकारी भी था, जिसका मूल रूप से कुछ पांच दशक पहले पता चला था, जो ट्राइसिक काल के दौरान देखें गए जो अब तंजानिया है।

इस साल के सबसे दिलचस्प जीवाश्मों में से एक यूक्रेनी एम्बर में फंसा एक छोटा गुबरैला या बीटल है, जो 3.5 करोड़ साल पहले का है। यह टो-विंग्ड बीटल के रूप में जाना जाता है, कीड़ों का यह विशेष समूह अब केवल उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है, बीटल के जीवाश्म से पता चलता है कि यूक्रेन में जलवायु बहुत अधिक दुधारू रही होगी जब कीट लेट इओसीन के दौरान जीवित थे।

नए बीटल जीवाश्म को यूक्रेन में चल रहे युद्ध के सामने अंतरराष्ट्रीय सहयोग के एक शो के रूप में चेक गणराज्य, लातविया, रूस, यूक्रेन और यूनाइटेड किंगडम के शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम द्वारा वर्णित किया गया था।

मछली के जीवाश्म से कुछ नई प्रजातियों का पता चला हैं, साथ ही जुरासिक, शार्क के अंडे के जीवाश्म के नाम पर थोड़ी असामान्य नई प्रजातियां हैं। महासागरों में रहते हुए, ट्रिलोबाइट्स की तीन नई प्रजातियां, समुद्री बिच्छुओं की चार नई प्रजातियां और एक कवच वाला कीड़ा मिला है जिसने जीवाश्म रिकॉर्ड में एक बड़ी कमी को पूरा कर दिया है।

अंत में, इस वर्ष खनिजों की तीन नई प्रजातियों का वर्णन किया गया, जिनमें ब्रिजसाइट नामक भंगुर पारभासी नीले क्रिस्टल वाली एक प्रजाति शामिल है, जिसे कम्ब्रिया, यूनाइटेड किंगडम में खोजा गया था।

कई पौधों और शैवाल की भी सूची बनाई गई है। शोधकर्ताओं ने इस वर्ष शैवाल की कुल 11 नई प्रजातियों का वर्णन किया, दोनों जीवाश्म और जीवित, जबकि पौधों की चार नई प्रजातियों का वर्णन पूरे दक्षिण एशिया से किया गया, जिसमें सुलावेसी की एक प्रजाति भी शामिल है, जो डरावनी दिखने वाली रीढ़ से ढकी हुई है।

यद्यपि फूलों के पौधों को जीवों के समूहों के रूप में अपेक्षाकृत अच्छी तरह से जाना जाता है, यह अनुमान लगाया गया है कि भले ही हमने लगभग 450,000 प्रजातियों को वैज्ञानिक नाम दिए हैं, लेकिन उनमें से लगभग 25 फीसदी का वर्णन करना बाकी है। खोजने के लिए नहीं - निश्चित रूप से, ये जिन चीजों के बारे में हम नहीं जानते हैं, वे स्थानीय और स्वदेशी लोगों द्वारा जानी जाती हैं, जहां वे होती हैं- हम उन्हें केवल ऐसे नाम देते हैं जो वैश्विक वनस्पति विज्ञान की भाषा है।

अधिकांश पौधों के विभिन्न नाम होते हैं, कुछ एक क्षेत्र या भाषा समूह के लिए विशिष्ट होते हैं, अन्य अधिक व्यापक होते हैं, लेकिन हम जो वैज्ञानिक नाम देते हैं, उनका उपयोग कोई भी कहीं भी कर सकता है। इसका मतलब है कि एक आम भाषा है, उन चीजों में से एक जिसकी हमें वास्तव में आवश्यकता है। शोधकर्ता ने यह भी कहा कि अगर हम किसी प्रजाति के बारे में बात नहीं करते हैं, तो हम उसे बचा कैसे सकते हैं।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in