महासागर 99.8 फीसदी जीव प्रजातियों का घर है, पर इसके लगातार बने रहने पर अब खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। दुनिया भर में, पिछली आधी शताब्दी में अधिक मछली पकड़े जाने, तथा इसकी तकनीकी क्षमता में काफी विस्तार हुआ है। जो कि समुद्री जैव विविधता के लिए एक खतरे का सबब बना हुआ है। इसके कारण बहुत सी मछली प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गईं हैं, जिसमें से एक सॉफिश है जिसपर दुनिया भर से विलुप्त होने का खतरा बढ़ गया है।
साइमन फ्रेजर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के एक नए अध्ययन के अनुसार, सॉफिश दुनिया के आधे तटवर्ती समुद्री इलाको से गायब हो गई है और इसे विशिष्ट तरह की शार्क जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है जो कि विलुप्त हो चुकी हैं।
सॉफिश, अपने अनोखे लंबे, पतली नाक के नाम के लिए जाना जाता है, इनके पंक्तिबद्ध दांतों को रोस्ट्रा कहा जाता है, जो एक आरी की तरह दिखाई देता है। कभी ये 90 देशों के तटो पर पाए जाते थे, लेकिन अब वे दुनिया के सबसे लुप्तप्राय समुद्री मछलियों के परिवार में शामिल हो गए हैं। इनमें से 46 देशों से ये विलुप्त हो चुके हैं। 18 देश ऐसे हैं जहां सॉफिश की कम से कम एक प्रजाति गायब हो गई है और 28 देशों में जहां दो प्रजातियां गायब हो गई हैं।
एसएफयू के शोधकर्ता हेलेन यान और निक ड्यूलवी ने बताया कि इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) की रेड लिस्ट ऑफ थ्रेटड स्पीसीज के मुताबिक, सॉफिश की पांच में से तीन प्रजातियां गंभीर रूप से खतरे में हैं, और अन्य दो खतरे में हैं।
सॉफिश के लंबे दांतेदार रोस्ट्रम आसानी से मछली पकड़ने के जाल में फंस जाते हैं। दुनिया भर में शार्क फिन व्यापार में सॉफिश के फिन सबसे मूल्यवान हैं। सॉफिश के रोस्ट्रा को अनूठे, चिकित्सा और मुर्ग़ो की लड़ाई के लिए स्पर्स के रूप में भी बेचा जाता है।
दुनिया भर में सभी सॉफिश की वर्तमान उपस्थिति के बारी में बहुत अधिक जानकारी नहीं है, लेकिन शोधकर्ता ड्यूलवी इनके पूरी तरह से विलुप्त होने के बारे में चेतावनी देते हैं। उन्होंने कहा यदि जरूरत से ज्यादा मछली पकड़ने पर अंकुश नहीं लगाया गया और इनके मैन्ग्रोव जैसे खतरे वाले निवासों की रक्षा करने के लिए कुछ नहीं किया गया तो सॉफिश का जीवित रहना असंभव हो जाएगा। यह शोध साइंस एडवांसेज नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
ड्यूलवी कहते हैं हमने सॉफिश की दुर्दशा देखी है। हमने दस्तावेजीकरण के माध्यम से देखा कि जरूरत से ज्यादा मछली पकड़ने से स्थानीय समुद्री मछलीयां विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई हैं। हम जानते हैं कि जरूरत से ज्यादा मछली पकड़ने का प्रभाव महासागर की जैव विविधता के लिए सबसे बड़ा खतरा है। इस अध्ययन के साथ, हम एक बुनियादी चुनौती से निपटते हैं। जैव विविधता पर नज़र रखने से पता चलता है कि स्थानीय प्रजातियों के विलुप्ति से आबादी में गंभीर रूप से गिरावट आती है।
अध्ययन में सिफारिश की गई है कि अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण प्रयास आठ देशों जिसमें क्यूबा, तंजानिया, कोलंबिया, मेडागास्कर, पनामा, ब्राजील, मैक्सिको और श्रीलंका पर ध्यान केंद्रित किया गया हैं जहां संरक्षण के प्रयास और मछली पकड़ने के पर्याप्त संरक्षण से प्रजातियों को बचाया जा सकता हैं। यह ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका में भी पाया गया, जहां पहले से ही पर्याप्त सुरक्षा मौजूद है और कुछ सॉफिश अभी भी मौजूद हैं, उन्हें " जीवनरक्षक नौका" राष्ट्र माना जाना चाहिए।
यान ने कहा जब स्थिति गंभीर होती है, तो हम इन प्राथमिकता वाले देशों में प्रजातियों को बचाने की कोशिशें जारी हैं ताकि इनकी हानी की भरपाई की जा सके। हमने अपनी खोज में अपनी ऐतिहासिक सीमा के 70 प्रतिशत से अधिक हिस्से को देखा है, अगर हम अभी कार्य शुरू करते हैं तो सॉफिश को बचाया जा सकता है।