बैठे ठाले: अगले जनम मोहे कूनो न भेजियो!

प्रभु मुझे कूनो नहीं भा रहा है। मैं चाहती हूं कि आप मुझे नामीबिया भेज दें जहां मैं सत्यवान के बच्चों की मां बन सकूं।
सोरित / सीएसई
सोरित / सीएसई
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गुफा की घंटी बजी। सावित्री ने दौड़कर गुफा का दरवाजा खोला तो उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हुआ। उसके सामने हट्टा-कट्टा स्वादिष्ट भैंसा खड़ा था।

अब खबरें तफसील से सुनिए। बहुत पुरानी बात है। अफ्रीका के एक जंगल में सावित्री नामक मादा चीता अपने पति सत्यवान के साथ हैपी-हैपी रहती थी। लेकिन उनकी यह खुशी ज्यादा दिनों की नहीं थी। वैसे भी जब इस फैशन के दौर में गारंटी की कोई गारंटी नहीं है तो खुशी की कोई कैसे गारंटी दे? हुआ यह कि एक दिन चीतों का समूह जंगल में घूम रहा था, तभी अचानक सावित्री-सत्यवान समेत कुछ और चीतों को पकड़कर भारत के कूनो में भेज दिया गया।

नया देश, नई आबोहवा और नया पॉलिटिकल एटफोस्फेयर। जब तक वह कुछ समझते अचानक कूनो में किसी महामारी के बहाने लॉकडाउन डिक्लेयर कर दिया गया। सारे पशु अपनी गुफाओं में और पक्षी अपने घोंसलों में दुबक गए। शाकाहारी जानवर तो अपनी गुफाओं के आसपास के घास-पत्ते खाकर गुजारा कर रहे थे पर मांसाहारियों पर इस लॉकडाउन का बहुत बुरा असर पड़ा। सावित्री-सत्यवान जैसे चीतों को खाने के लाले पड़ गए। दोनों अपनी गुफा के अंदर भूख से बिलबिला रहे थे। दोनों अपने-अपने फोन से तमाम फूड डिलिवरी ऐप को खटखटा चुके थे कि नीलगाय या जंगली भैंस नहीं तो एक-आध हिरन ही आ जाए।

अचानक गुफा के दरवाजे की घंटी बजी और सावित्री ने लपक कर यह सोचते हुए दरवाजा खोला कि शायद ऑनलाइन फूड डिलिवरी से कोई आया है। दरवाजा खोलते ही उसे सामने एक मोटा-ताजा भैंसा दिखा।

पर जैसे ही सावित्री उस भैंसे पर लपकी स्वयं यमराज ने उसका रास्ता रोक लिया। अपना आधार कार्ड दिखाते हुए यमराज ने कहा, “मैं वाई डॉट राज उर्फ यमराज हूं और सत्यवान को लेने आया हूं जिसने अभी-अभी भूख से बिलबिला कर दम तोड़ा है।”

इतना कहते हुए वह सत्यवान को लेकर चीतों के स्वर्ग की ओर चल पड़े। सावित्री असमंजस में थी। एक ओर सत्यवान था, दूसरी ओर लाइफ इंश्योरेंस के करोड़ों रुपए और सत्यवान की सरकारी नौकरी जो उसे मिलने वाली थी। कूनों की भूमि को धन्य करते हुए सावित्री ने सत्यवान को चुना और यमराज से बोली, “प्रभु मुझे सत्यवान चाहिए!”

जैसा कि कहानी में होना था, यमराज ने कहा, “तुम चाहो तो तीन वर मांग लो पर सत्यवान को मैं ले जाऊँगा।” सावित्री बोली, “प्रभु मुझे पहला वर यह दीजिए कि मैं कौन बनेगा करोड़पति का जैकपॉट जीत जाऊं जिससे एक छोटा-मोटा स्टार्ट अप शुरू कर सकूं।”

यमराज बोले, “तथास्तु!”

सावित्री के जनधन खाते में टुन्न की घंटी बजी और एक करोड़ रुपए आ गए।

सावित्री बोली, “मुझे दूसरा वर यह दीजिए कि मेरे स्टार्ट अप को शार्क-टैंक में एक धमाकेदार डील मिल जाए।” यमराज बोले, “स्मार्ट लेडी! तथास्तु! अब जल्दी बताओ तीसरा वर क्या है?”

सावित्री बोली, “प्रभु मुझे कूनो नहीं भा रहा है। रह-रह कर नामीबिया के जंगलों की याद आती है। मैं चाहती हूं कि आप मुझे नामीबिया भेज दें जहां मैं सत्यवान के बच्चों की मां बन सकूं।”

यमराज बोले, “तथास्तु!”

सावित्री इठलाकर बोली, “प्रभु सत्यवान को आप ले जाओगे तो मैं भला उसके बच्चों की मां कैसे बन पाऊंगी?” अब यमराज को अपनी गलती का पता चला पर बहुत देर हो चुकी थी।

जल्द ही सावित्री अपने सत्यवान, करोड़ रुपए और शार्क टैंक की एक धमाकेदार डील के साथ एयर नामीबिया के प्राइवेट जेट में सवार थी।

सावित्री ने दूर तक फैले कूनो के जंगलों को आखिरी बार के लिए देखा जहां उसके साथ आए चीतों में दस मर चुके थे। उसने बुदबुदा कर कहा, “अगले जनम मोहे कूनो न भेजियो!”

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