बढ़ते तापमान के चलते बदल रहा चीतों का व्यवहार, दूसरे शिकारियों से बढ़ सकती है मुठभेड़

चीते जोकि जमीन पर सबसे तेज दौड़ने वाले जीव हैं, वो पहले ही अनगिनत समस्याओं से जूझ रहे हैं। आज इनकी वैश्विक आबादी घटकर 7,000 से भी कम रह गई है
केन्या के मसाई मारा में धूप में आराम करता चीता; फोटो: आईस्टॉक
केन्या के मसाई मारा में धूप में आराम करता चीता; फोटो: आईस्टॉक
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जलवायु में आता बदलाव और बढ़ता तापमान न केवल हम इंसानों को बल्कि दूसरे जीवों को भी प्रभावित कर रहा है। यहां तक की इसके प्रभाव से बड़े शिकारी जीव भी सुरक्षित नहीं है। जलवायु परिवर्तन के इन शिकारी जीवों के व्यवहार पर पड़ते प्रभावों को लेकर किए नए अध्ययन में इस बात को लेकर आशंका जताई है कि बढ़ता तापमान चीते जैसे शिकारी जीवों के व्यवहार में बदलाव की वजह बन रहा है।

रिसर्च से पता चला है कि गर्मी की वजह से ये शिकारी जीव दिन में शिकार करने की जगह सुबह सूरज उगने या शाम को ढलने के बाद शिकार करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। गौरतलब है कि चीते आमतौर पर दिन के समय शिकार करना पसंद करते हैं। इस तरह उनके और दूसरे बड़े शिकारियों के बीच शिकार को लेकर होने वाली मुठभेड़ का खतरा कम हो जाता है।

लेकिन वैज्ञानिकों ने प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी: बायोलॉजिकल साइंस नामक जर्नल में प्रकाशित नए अध्ययन में दावा किया है कि गर्म मौसम के दौरान यह बड़ी बिल्लियां अपने शिकार के समय में बदलाव कर उसे सुबह या शाम के समय शिफ्ट कर सकती हैं। ऐसे में शोधकर्ताओं का अनुमान है कि इसकी वजह से चीतों, शेर एवं तेंदुओं जैसे रात में शिकार करने वाले शिकारी जीवों के बीच संघर्ष की आशंका बढ़ सकती है। जो पहले ही संकट में पड़े चीतों के लिए खतरा बन सकता है।

चीते जोकि जमीन पर सबसे तेज दौड़ने वाले जीव हैं, पहले ही अनगिनत समस्याओं से जूझ रहे हैं। यही वजह है कि जहां 1975 में इनकी वैश्विक आबादी 15,000 थी, जो अब घटकर 7,000 से भी कम रह गई है।

इस बारे में वाशिंगटन विश्वविद्यालय की जीवविज्ञानी और अध्ययन से जुड़ी शोधकर्ता ब्रियाना अब्राह्म्स का कहना है कि, "तापमान में आता बदलाव इस बात को प्रभावित कर सकता है कि बड़े मांसाहारी कैसे व्यवहार करते हैं, साथ ही यह इन जीवों के बीच के आपसी संबंधों को भी बिगाड़ सकता है।"

रिसर्च के अनुसार चीते केवल ताजा मांस खाते हैं। वहीं शेर और तेंदुए जैसे शिकारी खुद शिकार करने के साथ-साथ मौकापरस्त भी होते हैं। जो चीते जैसे दूसरे शिकारियों से मौका मिलने पर उनका शिकार तक छीन लेते हैं। वहीं दूसरी तरफ चीते इन दूसरी बड़ी बिल्लियों से होने वाले संघर्ष से बचते हैं और इनका सामना होने पर वो अपना शिकार तक छोड़कर चले जाते हैं।

बता दें कि अपने इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने चीता, शेर, तेंदुए और अफ्रीकी जंगली कुत्तों जैसे 53 बड़े शिकारियों पर जीपीएस ट्रैकर लगाए थे, जिन्हें उन्होंने आठ वर्षों तक ट्रैक किया था, और यह जानने का प्रयास किया था कि इस बीच वो जीव कहां गए और कब सक्रिय थे। फिर, उन्होंने इस दर्ज जानकारी को प्रत्येक दिन रिकॉर्ड किए गए उच्चतम तापमान के आंकड़ों के साथ मिलान करके देखा है।

बढ़ते तापमान से शिकार के समय में बढ़ रहा है टकराव

रिसर्च से पता चला है कि इन शिकारी जीवों ने एक दूसरे से होने वाले संभावित टकराव से बचने के लिए दिन के अलग-अलग समय पर शिकार करने की रणनीति विकसित की है। हालांकि रिसर्च से पता चला है कि अत्यधिक गर्म दिनों में जब दिन का अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, तो चीते दिन की जगह रात में अधिक सक्रिय हो जाते हैं। इस तरह वो बढ़ती गर्मी से बचने के लिए अपनी शिकार की आदतों में बदलाव कर रहे हैं। इसकी वजह से दूसरी बड़ी प्रतिद्वंद्वी बिल्लियों के साथ उनके शिकार के समय के बीच टकराव की आशंका 16 फीसदी तक बढ़ सकती है।

वाशिंगटन विश्वविद्यालय और बोत्सवाना प्रीडेटर कंजर्वेशन ट्रस्ट के जीवविज्ञानी कासिम रफीक का इस बारे में प्रेस विज्ञप्ति में कहना है कि, "इसकी वजह से चीतों के लिए भोजन की कमी और संघर्ष के बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है।"

शोध के मुताबिक 2011 से 2018 के बीच तापमान में जो अधिकांश बदलाव देखे गए उनकी वजह मौसमी परिवर्तन था। हालांकि वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि जीवों के व्यवहार में जो बदलाव देखे गए हैं, वे बढ़ते तापमान के बीच गर्म होती दुनिया में क्या हो सकता है, इसकी एक झलक देते हैं।

शोध के अनुसार चीतों को न केवल शेरों और तेंदुओं से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही उन्हें आवास को होते नुकसान के साथ-साथ इंसानों के साथ बढ़ते संघर्ष और उससे उपजी समस्याओं से भी दो-चार होना पड़ रहा है।

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