जंगलों को बाढ़ से बचाने के लिए नदियों की सफाई की गुहार  

एनजीटी ने यूपी के प्रधान सचिव (वन) से बाढ़ की वजह से जलमग्न होने वाले जंगलों की समस्या के लिए उठाए गए कदमों की रिपोर्ट तलब की है।
जंगलों को बाढ़ से बचाने के लिए नदियों की सफाई की गुहार   
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प्रत्येक वर्ष जंगलों में आग लगने की घटना तो होती है, लेकिन हमारे जंगल हर वर्ष बाढ़ में भी डूब जाते हैं। इस बाढ़ को रोकने के लिए उपाय करने को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से गुहार लगाई गई है। एनजीटी का दरवाजा खटखटाने वाले याची गोपाल चंद्र सिन्हा ने अपनी याचिका में कहा है कि खासतौर से जंगल के दायरे में मौजूद नदियों की साफ-सफाई का काम समय-समय पर होना चाहिए ताकि जंगल को जलमग्न होने से रोका जा सके। उन्होंने एक ऐसी वैज्ञानिक और प्रबंधन योजना की मांग भी की है, जिससे नदियों और जलाशयों में जमा होने वाली गाद को उचित समय पर हटाया जाए।

जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने 26 अप्रैल को इस मामले पर गौर किया। उन्होंने कहा कि इस मामले में किसी तरह का ठोस आदेश देने से पहले यह जरूरी है कि उत्तर प्रदेश के वन, प्रधान सचिव तीन महीनों के भीतर अपनी तथ्यात्मक और कार्रवाई रिपोर्ट ट्रिब्यूनल को ई-मेल के जरिए भेजें।

याची का कहना है कि खासतौर से जंगलों में नदियों का रास्ता रोकने वाले बोल्डर्स और उनकी सतह को उभार देने वाले गाद को संग्रहित करने का काम किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय कार्य योजना संहिता -2014 इस बात पर जोर देता है कि जंगलों और जैव विविधता का टिकाऊ प्रबंधन होना चाहिए। गाद-बोल्डर्स आदि की की नियंत्रित सफाई से नदियों का पर्यावरणीय-प्रवाह भी ठीक होता है।

एनजीटी ने याची से भी कहा है कि वह अपनी याचिका, आदेश की प्रति और दस्तावेजों को प्रधान सचिव (वन) के पास भी पहुंचाए। साथ ही एक हफ्ते के भीतर हलफनामा भी दाखिल करे। पीठ ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 05 सितंबर को की जाएगी।

"डाउन टू अर्थ" की बीते वर्ष 4 अप्रैल को लिखी गई रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया भर में 1980 से बाढ़ की संख्या में 400 फीसदी की वृद्धि हुई है। ऐसे में जाहिर है कि जंगलों के किनारे बहने वाली नदियों में गाद या बोल्डर्स भर जाने के कारण उनका रुख और फैलाव क्षेत्र जंगल में ही हो जाता है। इससे न सिर्फ जंगल के फल-फूल और वनस्पितयां जलमग्न होती हैं बल्कि जंगलों में रहने वाले जीव भी बाढ़ का शिकार हो जाते हैं।

वर्ष 2015 में ब्रह्मपुत्र नदी के ओवरफ्लो होकर बहने के कारण असम में काजीरंगा राष्ट्रीय पार्क में पानी घुस गया था जिसमें न सिर्फ जंगल बल्कि मशहूर गैंडे भी बाढ़ के शिकार हुए थे। ऐसे ही देश के दूसरे हिस्सों में जंगल और वन्यीजीवों के डूबने और जलमग्न होने की खबरें आती रहती हैं।

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