अवैध शिकार के कारण कई बड़े स्तनधारी जीवों पर मंडरा रहा है विलुप्ति का खतरा

दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में एशिया और अफ्रीका में कहीं ज्यादा तेजी से इन जीवों का शिकार किया जा रहा है
अवैध शिकार के कारण कई बड़े स्तनधारी जीवों पर मंडरा रहा है विलुप्ति का खतरा
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दुनिया भर के पिछड़े और गरीब देशों में कई बड़े स्तनधारी जीवों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। यह जानकारी हाल ही में किए एक नए अध्ययन में सामने आई है। इस शोध अनुसार दुनिया भर में और विशेष रूप से पिछड़े देशों में हो रहे अवैध शिकार के कारण कई बड़े स्तनपायी जीवों की आबादी में चिंताजनक रूप से गिरावट आई है। सबसे चौंका देने वाली बात यह है कि इन जीवों का अवैध शिकार इनके संरक्षित इलाकों में भी जारी है।  यह शोध 1980 से 2020 के बीच किये गए 81 अध्ययनों के विश्लेषण पर आधारित है। जिसे यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है जोकि जर्नल प्लोस वन में प्रकाशित हुआ है।

यह अध्ययन चार महाद्वीपों में मौजूद 294 स्तनपायी प्रजातियों पर किया है। जिनकी सुरक्षा के लिए बनाए गए राष्ट्रीय उद्यानों में ही उनकाअवैध शिकार किया गया था। शोधकर्ताओं ने इनके शिकार के लिए इनके मांस, खाल और अंगों के व्यापर को बड़ी वजह माना है इसके साथ ही इनके संरक्षण के लिए जरुरी संसाधनों की कमी भी इनके बढ़ते शिकार की एक वजह है। इसको रोकने के लिए शोधकर्ताओं ने सरकारों और नीति निर्माताओं को गरीबी पर विशेष ध्यान देने की बात कही है ।

गरीबी और संरक्षण से जुड़े संसाधनों की कमी है बढ़ते शिकार की वजह

यह शोध तंजानिया के सोकोइन यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर से सम्बन्ध रखने वाले अल्फान रिज़ा के नेतृत्व में किया गया है। उन्होंने बताया कि हालांकि हमें कई वर्षों से पता है कि अवैध शिकार के कारण बड़े स्तनपायी जीवों की आबादी घट रही है। लेकिन हमारे द्वारा किये इस शोध से पता चला है कि यह शिकार संरक्षित क्षेत्रों में भी जारी है। साथ ही विशेष रूप से सबसे गरीब देशों में जहां संसाधनों की कमी है वहां यह ज्यादा हो रहा है। दुनिया के तंजानिया जैसे देशों में जहां गरीबी ज्यादा है, वहां जंगली जानवरों का मीट प्रोटीन का एक मुख्य स्रोत है। साथ ही इन देशों में राष्ट्रीय उद्यानों की सुरक्षा के लिए बहुत ही कम संसाधन उपलब्ध है, जिस वजह से इन जीवों को आसानी से निशाना बनाया जा सकता है।

उनके अनुसार अवैध शिकार बड़े स्तनधारियों के लिए ज्यादा खतरनाक है, जिनका वजन 100 किलोग्राम से ज्यादा होता है। जिसकी बड़ी वजह उनकी धीमी विकास दर है जिस वजह से उनकी आबादी में तेजी से कमी आ सकती है।

इससे इन जीवों के अस्तित्व के साथ-साथ उनसे जुड़े पूरे इकोसिस्टम पर भी इसका खतरा मंडरा रहा है। यह जीव उसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं और कई जरुरी गतिविधियों में अपना योगदान देते हैं। जैसा की यह जीव बीजों के फैलाव में भी अहम् योगदान देते हैं जिससे कई जीवों और वनस्पतियों का अस्तित्व निर्भर करता है।

एशिया में कहीं ज्यादा तेजी से किया जा रहा है शिकार

शोध के अनुसार दुनिया भर में जहां संरक्षित क्षेत्रों में सख्ती है वहां जीवों की आबादी में बहुत ही कम असर पड़ा है। जबकि एशिया में ऐसा नहीं है। यहां अवैध शिकार एक बड़ी समस्या है। यहां जीवों की आबादी में अधिक गिरावट दर्ज की गई है। इस अध्ययन से जुड़े वरिष्ठ शोधकर्ता डॉ कॉलिन बेले के अनुसार एशिया में जीवों के अंगों के लिए अवैध शिकार बढ़ता जा रहा है। यहां कड़े नियमों के बावजूद शिकारी संरक्षित क्षेत्रों में शिकार कर रहे हैं। विशेष रूप से जहां हिम तेंदुए, बाघ, पैंगोलिन, ऑरंगुटन्स और सन बियर जैसी प्रजातियां हैं जिनकी मांग ज्यादा है, वहां शिकार भी बढ़ रहा है।

शोधकर्ताओं का मानना है कि संरक्षित क्षेत्रों में यदि अवैध शिकार को रोक दिया जाता है तो वो पूरे एशिया में जैव विविधता को बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा। जिसके लिए कई उपाय करने होंगे इसमें कानूनों का सख्ती से पालन करना तो शामिल है ही साथ ही उन क्षेत्रों में रहने वाले मूल निवासियों का भी सहयोग जरुरी है। जिनकी मदद से इन जीवों और वहां के इकोसिस्टम को बचाया जा सकता है।

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