135 वर्षों में संजोई तस्वीरों ने किया बयां, अवैध शिकार के कारण छोटे हो रहे हैं गैंडों के सींग

शिकार से न केवल गैंडों की आबादी में भारी गिरावट आई, बल्कि साथ ही समय के साथ लम्बे सींगों वाले गैंडों का शिकार होता गया, जिस वजह से छोटी सींगों वाले गैंडे बाकी बचे रह गए
1869 में बनाई काले गैंडों की तस्वीर, फोटो: कार्ल क्लॉस वॉन डर डेक्केन/ राइनो रिसोर्स सेंटर
1869 में बनाई काले गैंडों की तस्वीर, फोटो: कार्ल क्लॉस वॉन डर डेक्केन/ राइनो रिसोर्स सेंटर
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आपको यह जानकर हैरानी होगी की पिछले कई दशकों से जिस तरह गैंडों का अवैध शिकार हो रहा है उसके कारण उनके सींग छोटे हो रहे हैं। इस बारे में यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के शोधकर्ताओं द्वारा किए अध्ययन में सामने आया है कि बड़े पैमाने पर गैंडों के होते शिकार के कारण समय के साथ उनके सींग छोटे होते गए। इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट जर्नल पीपल एंड नेचर में प्रकाशित हुई है।

गौरतलब है कि गैंडों के सींग वैश्विक बाजार में काफी महंगे बिकते हैं। साथ ही चीन और वियतनाम में पारंपरिक दवाओं में इनके उपयोग के कारण इनकी भारी मांग है, जिसके चलते इनका अवैध व्यापार तेजी से फलता फूलता गया।

शोधकर्ताओं की मानें तो शिकार से न केवल गैंडों की आबादी में भारी गिरावट आई, बल्कि साथ ही समय के साथ लम्बे सींगों वाले गैंडों का शिकार होता गया जिस वजह से छोटी सींगों वाले गैंडे बाकी बचे रह गए। इन गैंडों ने जब अपनी प्रजाति का विस्तार किया तो उसके साथ उनकी छोटी सींगों के लक्षण भी भविष्य की पीढ़ियों में स्थानांतरित हो गए। गौरतलब है कि अन्य प्रजातियों में लक्षणों का इस तरह का स्थानांतरण पहले भी दर्ज किया गया है।

इसे समझने के लिए वैज्ञानिकों ने एक सदी से भी ज्यादा समय से संजोई तस्वीरों का विश्लेषण किया है। अपने इस अध्ययन में उन्होंने 1886 से 2018 के बीच करीब 80 गैंडों के सींगों को मापा है। यह तस्वीरें राइनो रिसोर्स सेंटर द्वारा ऑनलाइन रिपॉजिटरी के माध्यम से संजोई गई हैं।

इसमें गैंडों की सभी पांचों प्रजातियां को शामिल किया गया है जिनमें सफेद, काले, भारतीय, जावन और सुमात्रा के गैंडे शामिल हैं। पता चला है कि पिछली शताब्दी में इन सभी प्रजातियों की सींगों की लंबाई में काफी कमी आई है।

इन सींगों के बारे में शोधकर्ता ऑस्कर विल्सन ने जानकारी दी है कि गैंडों में अनेक कारणों से अपने सींग विकसित किए हैं, इनकी अलग-अलग प्रजातियां अलग-अलग तरीकों से सींगों का इस्तेमाल करती हैं जैसे भोजन जमा करना या शिकारियों से बचाव करना, दूसरे जीवों से मुकाबला करना। ऐसे में शोधकर्ता विल्सन को लगता है कि छोटे सींग उनके अस्तित्व के लिए खतरा बन सकते हैं।

1950 के बाद से शिकार और संरक्षण के बारे में बदला रही हैं धारणाएं

अपनी इस रिसर्च में शोधकर्ताओं ने सींगों के साथ शरीर और सिर की लंबाई के साथ शरीर के अन्य हिस्सों को भी मापा है जिससे शरीर के आकार के अनुपात में सींग की लंबाई को सटीक रूप से मापा जा सके। उन्होंने पिछले 500 वर्षों में बनाए गए हजारों चित्रों और तस्वीरों का भी विश्लेषण किया है। इस विश्लेषण में सामने आया है कि 1950 के आसपास बदलाव देखा गया जब जानवर शिकार के बजाय संरक्षण प्रयासों का केंद्र बन गए।

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह बदलाव यूरोपीय साम्राज्यों के पतन के साथ भी मेल खाता है, जब अफ्रीकी देश स्वतंत्र हो गए और यूरोपीय शिकारियों के पास शिकार के लिए अफ्रीका तक की पहुंच आसान नहीं थी।

इन तस्वीरों में 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में शिकारियों द्वारा मारे गए गैंडों की सैकड़ों तस्वीरें शामिल हैं, जिनमें 1911 में ली गई एक तस्वीर भी शामिल है जिसमें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट की तस्वीर शामिल है जो उनके द्वारा किए गए काले गैंडे के शिकार को दर्शाती है।

वहीं हाल की छवियां प्राकृतिक दुनिया के सामने आने वाले खतरों के बारे में लोगों की बढ़ती जागरूकता को दर्शाती हैं। कम से कम पिछले कुछ दशकों में गैंडों के संरक्षण पर बहुत अधिक ध्यान दिया गया है और यह हाल की छवियों में स्पष्ट देखा जा सकता है।

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