

अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस हर साल 11 दिसंबर को मनाया जाता है, पर्वतों के संरक्षण और उनके महत्व के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए।
2025 की थीम है - “ग्लेशियर पानी, भोजन और आजीविका के लिए महत्त्वपूर्ण”, जिसमें ग्लेशियरों की भूमिका पर विशेष ध्यान दिया गया है।
ग्लेशियर दुनिया के लगभग 70 फीसदी ताजे या मीठे पानी का भंडार हैं, जो नदियों, कृषि, जलविद्युत और करोड़ों लोगों की जरूरतों को पूरा करते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, पिछले छह में से पांच वर्ष सबसे तेज ग्लेशियर क्षरण वाले रहे और 600 से अधिक ग्लेशियर गायब हो चुके हैं।
करीब दो अरब लोग पर्वतीय जल स्रोतों पर निर्भर हैं, जबकि 1.5 करोड़ से अधिक लोग ग्लेशियर झीलों से बाढ़ के खतरे में रहते हैं।
हर साल की तरह इस बार भी दुनिया भर में 11 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस मनाया जा रहा है। यह दिन पर्वतों के महत्व को समझने, उनके संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाने और लोगों को सकारात्मक कदम उठाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। पर्वत केवल ऊंचे-ऊंचे भू-भाग नहीं हैं, बल्कि वे जीवन, संस्कृति, प्राकृतिक संसाधनों और पृथ्वी के संतुलन के प्रमुख स्तंभ हैं।
पर्वतों में अनगिनत प्रकार के जीव-जंतु और वनस्पतियां पाई जाती हैं। यहां रहने वाले समुदाय अपनी संस्कृति, परंपराओं और जीवनशैली को पीढ़ियों से संरक्षित करते आए हैं। इसके साथ ही पर्वत हमारी धरती को स्वच्छ हवा, मीठा पानी, औषधियां और खेती के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करते हैं। इसी महत्व को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने साल 2002 में 11 दिसंबर को आधिकारिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस के रूप में घोषित किया था।
2025 की थीम
इस साल की थीम "ग्लेशियर पहाड़ों और उससे आगे के क्षेत्रों के लिए पानी, भोजन और आजीविका के लिए महत्वपूर्ण हैं” है। यह थीम हमें यह समझाने पर आधारित है कि ग्लेशियर केवल बर्फ के विशाल भंडार नहीं हैं, बल्कि वे पृथ्वी के सबसे अहम ताजे या मीठे पानी के स्रोत हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दुनिया के लगभग 70 प्रतिशत मीठे पानी का भंडारण ग्लेशियरों में है। यह पानी नदियों, सिंचाई, कृषि, जलविद्युत उत्पादन और लाखों लोगों के रोजमर्रा के जीवन का आधार है।
ग्लेशियरों पर बढ़ता खतरा
दुनिया भर में तेजी से बढ़ते तापमान की वजह से ग्लेशियरों का पिघलना एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। पिछले कई वर्षों में ग्लेशियरों के सिकुड़ने की गति पहले से कहीं ज्यादा बढ़ी है। रिपोर्टों के अनुसार, पिछले छह सालों में से पांच वर्षों में ग्लेशियरों ने सबसे तेजी से पीछे हटने का रिकॉर्ड बनाया है। अब तक लगभग 600 ग्लेशियर पूरी तरह गायब हो चुके हैं, और यदि वैश्विक तापमान इसी तरह बढ़ता रहा, तो आने वाले वर्षों में कई और ग्लेशियर हमेशा के लिए लुप्त हो सकते हैं।
ग्लेशियरों के पिघलने का एक और बड़ा खतरा ग्लेशियर झीलों में बाढ़ है। आज दुनिया में लगभग 1.5 करोड़ से अधिक लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहां ग्लेशियर झीलों के फटने की आशंका सबसे अधिक है। इन बाढ़ों से न केवल जीवन और संपत्ति को भारी नुकसान होता है, बल्कि कृषि, सड़कें, घर, जंगल और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र भी प्रभावित होते हैं।
पर्वतीय समुदायों पर असर
पर्वतीय इलाकों में रहने वाले लोग-जिनमें कई आदिवासी और स्थानीय समुदाय शामिल हैं, सीधे-सीधे ग्लेशियरों पर निर्भर करते हैं। खेती, पशुपालन, पीने का पानी, घरेलू उपयोग और सांस्कृतिक गतिविधियां अधिकांशतः ग्लेशियरों और पर्वतीय जल स्रोतों पर आधारित होती हैं। अनुमान है कि दुनिया भर में लगभग दो अरब लोग पर्वतीय जल स्रोतों पर निर्भर हैं। यदि ग्लेशियर लगातार पिघलते रहे, तो इन लोगों की आजीविका और जीवन दोनों ही खतरे में पड़ सकते हैं।
संरक्षण के उपाय और हमारी जिम्मेदारी
अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस हमें यह याद दिलाता है कि पर्वत और ग्लेशियरों का संरक्षण केवल सरकारों या वैज्ञानिकों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि इसमें हर नागरिक की भागीदारी आवश्यक है। हमें जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए ऊर्जा की बचत, वन संरक्षण, कम कार्बन उत्सर्जन और टिकाऊ जीवनशैली जैसे कदमों को अपनाना चाहिए।
स्थानीय समुदायों के ज्ञान और परंपराओं को भी बढ़ावा देने की जरूरत है, क्योंकि वे सदियों से पहाड़ों के संसाधनों का संतुलित उपयोग करना जानते हैं। स्कूलों, सोशल मीडिया, स्थानीय कार्यक्रमों और पर्यावरण अभियान के माध्यम से पर्वतों और ग्लेशियरों के महत्व को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचना आवश्यक है।
अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस 2025 हमें पर्वतों की अनमोल देन ग्लेशियर, मीठा पानी, जैव विविधता और आजीविका के संरक्षण का संदेश देता है। यदि हम अभी से जागरूक होकर कदम नहीं उठाते, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए यह प्राकृतिक विरासत खो सकती है। पर्वत हमारी धरती की रीढ़ हैं और उनका संरक्षण करना हम सभी की साझा जिम्मेदारी है।