सांभर के पास नलियासर झील में बीते दो दिन से मृत प्रवासी पक्षी मिल रहे हैं। 9 और 10 मई सुबह तक 12 पक्षियों के शव बरामद हो चुके हैं। शनिवार को 7 और रविवार सुबह 5 और मृत पक्षी बरामद हुए हैं। साथ ही अब तक दो घायल पक्षी भी मिले हैं। इसके अलावा झील में एक घायल फ्लेमिंगो भी रेस्क्यू किया गया है। मृत पक्षी रफ़और सेंड पाइपर प्रजाति के हैं जो उत्तरी एशियाई देशों से यहां आते हैं।
नलियासर फुलेरा तहसील में है और सांभर झील से करीबपांच किमी दूर है। वन विभाग और एक स्थानीय एनजीओ वाइल्ड लाइफ क्रीएचर ऑर्गेनाइजेशन की टीम के रुटीन दौरे के दौरान ये पक्षी मिले हैं. सांभर झील की तरह यहां भी मृत पक्षियों में एवियन बोटुलिज्म के लक्षण दिखाई दिए हैं।
क्षेत्रीय वन अधिकारी सुरेन्द्र सिंह ने शनिवार को डाउन-टू-अर्थ को बताया कि रूटीन गश्त के दौरान मृत पक्षी मिले हैं. अभी तक सात मृत पक्षी मिल चुके हैं. पक्षियों की मौत तीन-चार दिन पहले हुई है. मृत पक्षियों के सैंपललैब में भेजे गए हैं। सिंह का कहना है कि नलियासर क्षेत्र में फ्लेमिंगो के अलावा और किसी प्रजाति के पक्षी नहीं हैं. इसके अलावा एक घायल फ्लेमिंगो भी मिला है, जिसे इलाज के लिए कांचरोंदा नर्सरी में भेजा गया है।
वाइल्ड लाइफ क्रीएचर ऑर्गेनाइजेशनके सदस्य दिनेश यादव ने हमें बताया कि मृत पक्षियों में 10 रफ प्रजाति के हैं और दो सेंड पाइपर हैं.कुछ पक्षियों को दफना दिया है और कुछ को सैंपल के तौर पर जयपुर लैब में भेज दिया गया है। सुरेन्द्र सिंह से इतर यादव का कहना है कि नलियासर झील में अभी करीब 10 हजार के आस-पास प्रवासी पक्षी हैं। इनमें रफ़, सेंड पाइपर,फ्लेमिंगो, पेलिकन, पेंटट स्टॉक, रेडनेब्ड आईबिस, नॉर्दन शॉबलर, स्पॉड विल्डक, कॉमन कूट, ब्लैक विंग स्टिल्ट, लिटिल ग्रेव जैसे प्रवासी पक्षी शामिल हैं। यादव ने बताया कि पक्षियों के अलावा रविवार सुबह झील के किनारे छोटी मछलियां भी मरी मिली हैं। वन विभाग को तुरंत मामले की पड़ताल करनी चाहिए।
एनजीओ के एक अन्य सदस्य अभिषेक ने डाउन-टू-अर्थ से इस बारे में विस्तृत बात की। उन्होंने बताया कि हमें सांभर और नलियासर झील में फ्लेमिंगो और अन्य प्रवासी पक्षियों के शिकार की शिकायतें आ रही हैं। इसीलिए हम वन विभाग और अपनी टीम के साथ शनिवार सुबह निगरानी के लिए गए थे। इसी दौरान हमें एक घायल फ्लेमिंगो और सात प्रवासी पक्षी मृत मिले हैं। इनमें वही लक्षण हैं जो बीते साल नवंबर में सांभर झील के पक्षियों में दिखे थे।बता दें कि सांभर झील में पिछले साल नवंबर और दिसंबर महीने में एवियन बोटुलिज्म संक्रमण से 30 हजार प्रवासी पक्षियों की मौत हुई थी।