शोधकर्ताओं की एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय टीम ने शेरों का व्यापक आनुवांशिक विश्लेषण किया है, जिससे उनके विकास के इतिहास के बारे में पता चला है। अध्ययन में शेरों के समूह का वर्णन किया गया है कि कैसे विलुप्त होती शेरों की आबादी का विभाजन हुआ था। उन्होंने शेरों के आधुनिक नमूनों के बीच आनुवंशिक विविधता भी पाई है। यह अध्ययन प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
पूर्व के शोधों से पता चला है कि शेर दुनिया के कई हिस्सों में रह चुके हैं, यहां तक कि अमेरिका भी उनका निवास स्थान रह चुका है। हालांकि ज्यादातर ऐसी प्रजातियां अब विलुप्त हो गईं हैं, जिनमें गुफा में रहने वाले शेर भी शामिल हैं।
अब शेर केवल अफ्रीका और भारत के कुछ हिस्सों में बचे हैं और वे भी लुप्तप्राय श्रेणी में रखे गए हैं। आज सिर्फ 20 हजार अफ्रीकी शेर जंगलों में हैं, और उनकी संख्या लगातार घट रही है। इस नए प्रयास से शोधकर्ताओं ने उन्हें विलुप्त होने से बचाने के लिए शेर के जीनोम का एक व्यापक परीक्षण किया है। एक जीव का जीनोम उसके वंशानुगत जानकारी उनके डीएनए या आरएनए में होती है।
इस नए प्रयास के तहत शेरों के 20 नमूनों के जीनोम का विश्लेषण करना शामिल है। जिसमें गुफा में रहने वाले शेर और 12 ऐतिहासिक शेर भी शामिल हैं जो कि 15 वीं और 20 वीं शताब्दी के बीच वहां रहा करते थे। इसमें आधुनिक अफ्रीकी और एशियाई शेरों के छह नमूने भी शामिल हैं।
निष्कर्षों से पता चलता है कि आधुनिक शेर और कई विलुप्त हुए शेरों के पूर्वज एक ही थे। उन्होंने यह भी पाया कि लगभग 70 हजार साल पहले, आधुनिक शेर वंशावली के दो अलग-अलग वंश उभरे थे। ये गुफा में रहने वाले शेर ठंडे इलाको में रहते थे।
शोधकर्ताओं ने देखा कि शेर के जीनोम के पूर्व अध्ययन में माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए का विश्लेषण किया गया था। इस अध्ययन में, उन्होंने पूरे जीनोम को देखते हुए उससे भी बहुत आगे का परीक्षण किया। इन जीनोम के नमूनों में से कुछ 30 हजार साल पहले के शेरों के जीवाश्म से प्राप्त हुए थे। इससे उनको पता चला कि आधुनिक शेर अफ्रीका में दो अलग-अलग वंशों में बट गए हैं जिनमें से एक अफ्रीका के उत्तरी हिस्सों में तथा दूसरा दक्षिण भाग में हैं।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि भारत के गुजरात राज्य में, गिर के जंगलों में रहने वाले एशियाई शेरों की आबादी कम होने के कारण उनकी आनुवंशिक विविधता भी कम हो गई है। उन्होंने यह भी पाया कि एशियाई शेर अफ्रीका में उत्तरी रेंज में फैल गए थे, हालांकि उनके जीनोम में अभी भी दक्षिणी शेरों के अवशेष पाए गए हैं। शोधकर्ताओं को वर्तमान समय में अफ्रीकी शेरों के भारत में आने के कोई सबूत नहीं मिले। शोधकर्ताओं का कहना है कि उनके निष्कर्ष भारत और अफ्रीका में शेर संरक्षण के प्रयासों में मदद करेंगे।