वन्यजीवों की रक्षा और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए नेपाल सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला

याचिका में कहा गया था कि देश के शक्तिशाली और संभ्रांत वर्ग के बीच बाघ की खाल जैसे संरक्षित वन्यजीव वस्तुओं के अवैध स्वामित्व पर नकेल कसने के लिए कानून पर्याप्त नहीं हैं
फोटो साभार : विकिमीडिया कॉमन्स
फोटो साभार : विकिमीडिया कॉमन्स
Published on

लैंकेस्टर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के मुताबिक, वैज्ञानिक समाज में जानवरों के प्रति व्यवहार में बदलाव लाने के लिए विज्ञान का फायदा उठा सकते हैं। इसमें कई अलग-अलग तरीकों से खतरे वाले जानवरों के संरक्षण को लेकर अदालत जाना भी शामिल है।

इसी क्रम को आगे ले जाते हुए, नेपाल के एक संरक्षणवादी ने नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिसका उद्देश्य एक ऐसा आदेश पारित करवाना था जो प्रमुख वन्यजीव संरक्षण कानूनों को बेहतर ढंग से लागू करे, साथ ही यह आदेश देश के शक्तिशाली और संभ्रांत वर्ग पर भी लागू हो।

नेपाली संरक्षणवादी और शोधकर्ता कुमार पौडेल के द्वारा अदालत में एक याचिका दायर की गई थी। यह याचिका दायर करने में लैंकेस्टर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का भी सहयोग रहा है।

उनकी याचिका में कहा गया था कि सरकार विशेष रूप से देश के शक्तिशाली और संभ्रांत वर्ग के बीच बाघ की खाल जैसे संरक्षित वन्यजीव वस्तुओं के अवैध स्वामित्व पर नकेल कसने के लिए कानून पर्याप्त नहीं है। उनकी याचिका में नेपाल के पूर्व प्रधान मंत्री से जुड़े एक मामले पर प्रकाश डाला गया, जिन्होंने अपने घर में एक टीवी साक्षात्कार के दौरान एक बंगाल टाइगर की खाल का प्रदर्शन किया था।

नेपाल में संरक्षित वन्यजीवों को पालने और उनके उपयोग पर रोक लगाने वाले कड़े कानून हैं। हालांकि, पौडेल ने कहा कि, इन कानूनों को ज्यादातर गरीब और हाशिए पर रहने वाले लोगों पर लागू किया जाता है। न्यायालय के नए आदेश में कहा गया है कि, वन्यजीव संग्राहकों को चाहिए कि वे सरकार को अपने पास रखी वन्यजीव से संबंधित वस्तुओं की जानकारी दें। साथ ही यह आदेश अपराधी की सामाजिक प्रतिष्ठा की परवाह किए बिना सरकार को अवैध व्यापार की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने के लिए भी मजबूर करता है।

लैंकेस्टर एनवायरनमेंट सेंटर के डॉ. जैकब फेल्प्स और लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी के लॉ स्कूल के डॉ. गैरी पॉटर के साथ मिलकर किए गए शोध से इस विचार को शामिल किया गया। उनका शोध, 'संरक्षण प्रवर्तन: नेपाल में वन्यजीव अपराधों के लिए कैद लोगों का नजरिया' में वन्यजीव अपराधों के दोषी 150 से अधिक लोगों के साक्षात्कार शामिल है।

इस शोध के माध्यम से यह स्पष्ट हो गया कि कैद किए गए लोगों में से कई गरीब, हाशिए पर रहने वाले और अनपढ़ थे। शोध भी इसी याचिका के आधार पर किया गया था जिस पर अदालत ने पौडेल की विशेषज्ञता और मामले को प्रकाश में लाने का उनके कानूनी अधिकार को मान्यता दी।

लैंकेस्टर एनवायरनमेंट सेंटर में संरक्षण शासन के एक लेक्चर डॉ. फेल्प्स ने कहा, यह न केवल एक महत्वपूर्ण निर्णय है, बल्कि यह इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि वैज्ञानिक समाज में परिवर्तन लाने के लिए अपने विज्ञान का फायदा उठा सकते हैं। कई अलग-अलग तरीके- जिनमें अदालत जाना भी शामिल है। हमें वैज्ञानिकों से इस अलग सोच, साहसी कार्रवाई को और देखने की जरूरत है।

लैंकेस्टर लॉ स्कूल में क्रिमिनोलॉजी के रीडर डॉ. पॉटर ने कहा, यह नेपाल के लिए और वन्यजीव संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण परिणाम है। यह दर्शाता है कि शोध और लगातार, साक्ष्य आधारित अभियानों से बेहतरी के लिए दुनिया को बदला जा सकता हैं।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in