समुद्री तटों पर रह रहे लोग नहीं रहेंगे कुपोषित, करना होगा यह काम

मौजूदा समुद्री संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क समुद्री मछली पकड़ने से छह प्रमुख सूक्ष्म पोषक तत्वों की दुनिया भर में 14 फीसदी की आपूर्ति करता है।
हमारे महाद्वीप और द्वीप समुद्र, झीलों, नदियों और बाढ़ के मैदानों से घिरे हुए हैं, जहां विटामिन, खनिज और फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पौधे और जीव रहते हैं।
हमारे महाद्वीप और द्वीप समुद्र, झीलों, नदियों और बाढ़ के मैदानों से घिरे हुए हैं, जहां विटामिन, खनिज और फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पौधे और जीव रहते हैं। फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, मिशाल स्ट्रेज़ेलेकी, वोजटेक स्ट्रेज़ेलेकी और जेरज़ी स्ट्रेज़ेलेकी
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एक नए अध्ययन में इस बात की छान-बीन की गई है कि समुद्र किनारे यानी तटों पर रह रहे लोगों का कुपोषण दूर करने में समुद्री जैव विविधता का संरक्षण किस तरह काम आ सकता है।

महासागर के जिन हिस्सों को सरकारों द्वारा समुद्री संरक्षण के लिए अहम माना जाता है, इनके भीतर और आस-पास मानवजनित गतिविधियों पर लगाम लगाकर इन्हें संरक्षित किया जाता है।

समुद्री संरक्षित क्षेत्र की घोषणा होने के बाद आमतौर पर वहां रह नहीं सकते, मछली नहीं पकड़ सकते, बीच रिसॉर्ट नहीं बना सकते, मछली पालन नहीं कर सकते या तेल के लिए खुदाई नहीं की जा सकती है। नियम हर जगह के अलग-अलग होते हैं, लेकिन उद्देश्य यह है कि जितना संभव हो सके मानवीय गतिविधियों को सीमित करके प्रकृति को पनपने दिया जाए।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा समर्थित जैव विविधता योजना, जिसका उद्देश्य 2030 तक दुनिया की 30 फीसदी भूमि और महासागरों की रक्षा करना है। इसके तहत महासागर के संरक्षण को बढ़ाने की योजना के साथ, यह जानना महत्वपूर्ण है कि यह लोगों के साथ-साथ प्रकृति पर कैसे असर डालेगा।

अध्ययन में पाया गया कि दुनिया भर में जिन 234 समुद्री संरक्षित क्षेत्रों पर बारीकी से निगरानी की गई, उनमें से 60 फीसदी से अधिक क्षेत्रों में प्रकृति संरक्षण और मानव कल्याण दोनों में सुधार देखा गया।

वन अर्थ नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, मछली पकड़ने पर आधारित आजीविका के लिए समुद्री संरक्षण का फायदा छोटे द्वीप वाले राज्यों में सबसे अधिक है, जिनके पास बड़े समुद्री संरक्षित क्षेत्र हैं, जैसे बोनेयर, पलाऊ और कुक द्वीप, जहां 95 फीसदी से अधिक मछली पकड़ी जाती है, जो क्षेत्र-आधारित संरक्षण उपायों से जुड़ी है।

इस बात के पर्याप्त प्रमाण होने के बावजूद कि समुद्री संरक्षण ने जलीय भोजन तक पहुंच में सुधार किया है, अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि उन्हें ऐसे बहुत कम अध्ययन मिले जो सीधे तौर पर लोगों के पोषण संबंधी असर को मापते हों। समीक्षा किए गए 237 अध्ययनों में से केवल तीन ने अध्ययन किया था कि समुद्री संरक्षित क्षेत्रों के निर्माण से उनके आस-पास रहने वाले लोगों के आहार पर क्या प्रभाव पड़ा।

फिलीपींस पर आधारित मात्र एक अध्ययन में आहार और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के बीच संबंध स्थापित किया गया, क्योंकि, जब समुद्री संरक्षण के कारण आहार में मछली की पहुंच में सुधार हुआ, तो आस-पास के समुदायों के अविकसित बच्चों में वृद्धि कम देखी गई।

समुद्र में और भी बहुत सारे पोषक तत्व हैं

नई रिपोर्ट में जलीय खाद्य पदार्थों से मानव आहार में सूक्ष्म पोषक तत्वों के योगदान को मापा गया है, जो समुद्री संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना के बाद पनपते हैं। यह समुद्री संरक्षित क्षेत्रों में और उसके आस-पास काटे गए सभी जलीय खाद्य पदार्थों की पोषक संरचना के डेटा को आस-पास के क्षेत्रों से मछली पकड़ने के आंकड़ों के साथ जुड़ता है।

हमारे महाद्वीप और द्वीप समुद्र, झीलों, नदियों और बाढ़ के मैदानों से घिरे हुए हैं, जहां विटामिन, खनिज और फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पौधे और जानवर रहते हैं। अगर इनका सतत तरीके से उपयोग किया जाए और पोषण की दृष्टि से कमजोर लोगों को उपलब्ध कराया जाए, तो ये लाखों तटीय लोगों में कुपोषण को रोका जा सकता है।

मौजूदा समुद्री संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क समुद्री मछली पकड़ने से छह प्रमुख सूक्ष्म पोषक तत्वों की दुनिया भर में 14 फीसदी की आपूर्ति करता है। यह दुनिया के महासागरों के केवल आठ फीसदी की रक्षा करके हासिल किया जाता है। संरक्षित क्षेत्रों के अंदर समुद्री जीवन को प्रचुर मात्रा में बढ़ने से, आस-पास की मछलियों की आबादी को फिर से बढ़ाया जाता है। इसलिए समुद्री वन्यजीवों को संरक्षित करके, संरक्षित क्षेत्र में मछली और शंख भंडार को बनाए रखने में मदद करते हैं।

विकासशील देशों के द्वीपीय और तटीय इलाकों में, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्रों से जंगली खाद्य पदार्थों की मदद से तीन अरब से अधिक लोगों के पोषण होता है, जो अपने पशु स्रोत से मिलने वाले प्रोटीन का 15 फीसदी से अधिक जलीय खाद्य पदार्थों से हासिल करते हैं।

महासागर संरक्षण को लोगों के स्वास्थ्य से जोड़ना एक अच्छा विचार है, लेकिन शोध में कुछ कमियां हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि पर्यटन और मछली पकड़ने से होने वाली आय में वृद्धि होने पर किसे फायदा होगा, या क्या मछलियों की बढ़ती आबादी उन लोगों तक पहुंचेंगी जिन्हें इसकी सबसे अधिक जरूरत है। उदाहरण के लिए, मालदीव में, 80 फीसदी से अधिक रीफ मछलियां स्थानीय लोगों द्वारा नहीं, बल्कि पर्यटकों द्वारा खाई जाती हैं।

समुद्री संरक्षित क्षेत्रों के साथ कुपोषण से निपटने की कोशिश करना चुनौतीपूर्ण होने जा रहा है। कई समुद्री संरक्षित क्षेत्रों का प्रभावी ढंग से प्रबंधन नहीं किया जाता है। इसके विपरीत, दुनिया भर में मछली पालन से पकड़ी गई 77 फीसदी मछलियां ऐसे स्टॉक से आती हैं जिन्हें स्थायी रूप से प्रबंधित किया जाता है, हालांकि बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उनके पास विस्तार की बहुत कम गुंजाइश है। जलीय कृषि ऐसा कर सकती है, लेकिन यह क्षेत्र अभी भी स्थिरता की ओर बढ़ रहा है।

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