तेंदुए एकमात्र बड़ी बिल्लियां हैं जो अभी भी अफ्रीका और एशिया महाद्वीपों में रहती हैं। अभी तक इस बारे में पता नहीं है कि दोनों क्षेत्रों में रहने वाले ये जानवर एक दूसरे से अलग हैं या नहीं। अब शोधकर्ताओं ने एशिया और अफ्रीका में रहने वाले तेंदुओं के बीच एक विचित्र आनुवंशिक अंतर की खोज की है, जो निएंडरथल यानि मध्य पुरापाषाण काल के आसपास बदल गया था।
शोधकर्ताओं ने पाया एशियाई तेंदुए आनुवंशिक रूप से अफ्रीकी तेंदुओं के मुकाबले काफी अलग होते हैं, जैसे कि भूरे भालू की तुलना में ध्रुवीय भालू हैं। अध्ययन से पता चलता है कि अफ्रीका में तेंदुओं के विकास के बाद एक छोटा समूह लगभग 5 लाख साल पहले एशिया चला गया था।
नॉटिंघम ट्रेंट विश्वविद्यालय, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, लीसेस्टर विश्वविद्यालय और जर्मनी में पॉट्सडैम विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने प्राकृतिक इतिहास संग्रहालयों में संग्रहीत 26 आधुनिक और ऐतिहासिक नमूनों का आनुवंशिक विश्लेषण किया।
लाखों साल पहले जनसंख्या का आदान-प्रदान हुआ था, लेकिन अफ्रीकी और एशियाई तेंदुओं के बीच आनुवंशिक अंतर बना रहा, क्योंकि पहले प्रवास की घटना 5 लाख से 6 लाख साल पहले हुई थी।
आनुवंशिक विश्लेषण में आमतौर पर ताजा ऊतक नमूनों की आवश्यकता होती है, लेकिन ऐतिहासिक संग्रहालय के नमूनों का विश्लेषण करने से टीम को आबादी के जीनोम की जानकारी को फिर से हासिल करने में सफलता मिली है, जो कई दशकों पहले विलुप्त हो गए थे।
शोधकर्ता ने 23 तेंदुए के नमूनों से जीनोम आंकड़े निकाले, जिसमें 3x से लेकर 40x जीनोम अनुक्रम किया, जिसमें 5 आधुनिक नमूने रक्त या ऊतक के शामिल हैं और अभिलेखीय संग्रह या हड्डी या संरक्षित त्वचा के 18 नमूने लिए हैं, इसलिए इसे ऐतिहासिक नमूने कहा जाता है।
जीनोमिक आंकड़े डीएनए का एक पूरा संग्रह होता है। उनके वर्तमान और ऐतिहासिक विभाजन में तेंदुओं से, उनके वैश्विक जनसंख्या में होने वाले बदलाव के बारे में नए विशेषताओं का खुलासा होता है।
तेंदुओं के अलग होने के बाद से, एशियाई तेंदुए की आबादी में अपने अफ्रीकी समकक्षों की तुलना में आनुवंशिक और जीन प्रवाह में कम बदलाव हुआ, जो हो सकता है कि भूगोल और पूरे महाद्वीप में अधिक फैलाव के कारण हुआ हो।
तेंदुए जिन्हें एक खतरनाक प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, वे एकमात्र बड़ी बिल्लियां हैं जो अभी भी पूरे एशिया और अफ्रीका में व्यापक रूप से फैली हुई हैं और अक्सर मनुष्यों के करीब पाए जाते हैं। जिसके कारण इनके निवासों का अत्यधिक नुकसान और जनसंख्या में बहुत कमी हुई है।
तेंदुए के रहने वाली जगहों पर मनुष्यों द्वारा काफी हद तक अतिक्रमण करने के बावजूद, ऐतिहासिक नमूनों ने अध्ययन में शामिल आधुनिक नमूनों की तुलना में अधिक आनुवंशिक विविधता नहीं दिखाई। जबकि लोगों के कारण तेंदुओं की आबादी विलुप्त होने के कगार पर पहुंची, फिर भी इनकी प्रजातियों पर मनुष्यों के प्रभाव इनके पूरे जीनोम पर न के बराबर पड़े हैं।
नॉटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में पैलियोजनॉमिक्स और आणविक जीव विज्ञान के विशेषज्ञ डा. एक्सल बार्लो ने कहा अफ्रीका और एशिया भर में तेंदुओं के विकासवादी विकास और जनसंख्या के इतिहास का अध्ययन अब से पहले जीनोमिक उपकरणों के साथ नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा हमारे परिणामों ने अफ्रीकी और एशियाई तेंदुओं के बीच आनुवंशिक अंतर को उजागर किया है। डॉ. जोहाना पायजामन ने कहा जब वे दोनों एक साथ होते हैं, तो ये तेंदुए इनके डीएनए को देखते हुए काफी अलग होते हैं। उनमें बदलाव को देखते हुए, यह आश्चर्यजनक है कि वे इतने अलग बने हुए हैं और एक दूसरे के साथ आनुवंशिक साझेदारी नहीं करते हैं।
करंट बायोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित शोध से पता चलता है कि दुनिया भर में प्राकृतिक इतिहास संग्रहालयों की अलमारियों में कई और रोमांचक आनुवंशिक खोजें छिपी हो सकती हैं।