उष्णकटिबंधीय जंगलों में मिट्टी को अधिक उपजाऊ बनाते हैं बड़े स्तनधारी

अध्ययन से पता चला है कि इन फल खाने वाले जानवारों के द्वारा क्षेत्रों में त्यागे गए गोबर, मूत्र से मिट्टी में नाइट्रोजन का एक रूप पाया गया, जहां अमोनियम का स्तर 95 फीसदी तक तक कम था।
उष्णकटिबंधीय जंगलों में मिट्टी को अधिक उपजाऊ बनाते हैं बड़े स्तनधारी
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व्हाइट-लेपेड पेकेरी (टायसु पेकेरी) एक सूअर जैसा खुर वाला स्तनपायी है। ये जानवर 50 से 100 के समूह में जंगल में घूमते हैं, फलों को खाने वाले इन जानवरों या फ्रुजीवोर्स के द्वारा बड़ी मात्रा में गोबर, मूत्र को मिट्टी में त्याग दिया जाता हैं। इस तरह की प्रक्रिया से नाइट्रोजन के अलग-अलग रूप जारी होते हैं, जो पौधे के विकास में एक प्रमुख तत्व है। ये जानवर दुनिया भर में खासकर पूरे मध्य और दक्षिण अमेरिका में पाए जाते हैं। उष्णकटिबंधीय वन नाइट्रोजन चक्र में लगभग 70 फीसदी स्थलीय नाइट्रोजन निर्धारण और 50 फीसदी स्थलीय नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

साओ पाउलो रिसर्च फाउंडेशन-एफएपीईएसपी की अगुवाई में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि इन फल खाने वाले जानवारों के द्वारा क्षेत्रों में त्यागे गए गोबर, मूत्र से मिट्टी में नाइट्रोजन का एक रूप पाया गया जहां अमोनियम का स्तर 95 फीसदी तक तक कम था। पहली बार इन जानवरों के नाइट्रोजन चक्र के महत्व के बारे में पता चला है। लेकिन अब उष्णकटिबंधीय जंगलों से बड़े स्तनधारी गायब हो रहे हैं। जिसके कारण पारिस्थितिक तंत्र का बड़ा नुकसान होने के आसार हैं। यह अध्ययन फंक्शनल इकोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।   

किसानों को पता है कि फसल की अधिक पैदावार हासिल करने के लिए नाइट्रोजन चक्र कितना महत्वपूर्ण है। जुगाली करने वालों जानवरों की उपस्थिति नाइट्रोजन चक्र पर उनके गोबर, मूत्र त्यागने से घास उपजाने में मदद मिलती है, जिसमें सूक्ष्मजीवों की गतिविधि भी शामिल है। शोधकर्ता नाचो विल्लर ने कहा हमारे नवीनतम अध्ययन से पता चलता है कि फल खाने वाले बड़े स्तनधारी उष्णकटिबंधीय जंगलों में एक ही सेवा प्रदान करते हैं। विलार ब्राजील के रियो क्लारो में साओ पाउलो स्टेट यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ बायोसाइंसेज से जुड़े एक शोधकर्ता हैं।      

अध्ययन से यह भी पता चलता है कि ये जानवर नाइट्रोजन को पुन: विभाजित करते हैं, जो कि उन क्षेत्रों को उर्वरा शक्ति बढ़ाते हैं तथा पोषक तत्व बनाए रखते हैं ताकि पौधे का विकास होता रहे। शोधकर्ताओं के अनुमान के अनुसार, ऐसे क्षेत्र जहां फल खाने वाले जानवर नहीं रहते हैं उन क्षेत्रों की तुलना में चार गुना अधिक अमोनियम और 50 गुना अधिक नाइट्रेट होता हैं।

शोधकर्ताओं ने दक्षिण अमेरिका के शाकाहारी जानवरों का उपयोग किया, जिसमें ब्राजील के सेरा डू मार स्टेट पार्क (साओ पाउलो स्टेट) का सबसे बड़ा अटलांटिक रैनफ़ॉरेस्ट रिजर्व जिसमें 15 वर्ग मीटर के 86 वन भूखंड शामिल थे। बड़े स्तनधारियों के प्रवेश को रोकने के लिए आधे भूखंडों को 2010 से बंद कर दिया गया है। सभी जानवर अन्य भूखंडों में स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं। फैंस और खुले भूखंडों पर लगे कैमरा ट्रैप ने अन्य फल खाने वाले जानवरों के बीच व्हाइट-लेप्ड पेकेरीज, कॉलरड पेकेरीज (पेकरी तजाकू) और टेपर्स की मौजूदगी या अनुपस्थिति पाई गई।

सूक्ष्मजीव, अमोनियम और नाइट्रेट

इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने गीले और सूखे मौसमों में एकत्र किए गए आठ जानवरों के जाने से रोकने वाले भूखंडों से मिट्टी के नमूनों का विश्लेषण किया। अलग-अलग भूखंडों में जूसरा पाम भिन्न-भिन्न पाया गया है। खुले भूखंडों से मिट्टी में, अमोनियम का स्तर 95 फीसदी से अधिक था और नाइट्रिफिकेशन (अमोनियम से नाइट्रेट में रूपांतरण) भी मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की संख्या अधिक थी। यद्यपि पौधे अमोनियम को अवशोषित करते हैं, उनका चयापचय तुरंत नाइट्रेट का उपयोग कर सकता है, इसलिए यह पौधे के विकास के मामले में अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।

विलन ने कहा अटलांटिक रेनफॉरेस्ट में पेकेरी के कुल स्तनपायी जीवों के 80 फीसदी से 90 फीसदी तक रहते हैं। इन जानवरों के बड़े समूह बड़े इलाके में घूमते हैं, जंगल में खाद डालते हैं। तपीर जानवरों का घनत्व कम है, इसलिए नाइट्रोजन चक्र में उनका योगदान उतना अच्छा नहीं है, लेकिन प्रत्येक जानवर द्वारा ती है। त्यागे गए गोबर, मूत्र काफी है, साथ ही प्रत्येक जानवर बीजों को भी फैलाता है। इसी समूह द्वारा किए गए एक अन्य अध्ययन में पहले ही दिखाया गया था कि किस प्रकार पेकेरिज़ और टेपियर प्रजातियों की विविधता में अधिक योगदान करते हैं।  

यह विशाल फलों का क्षेत्र जानवरों को अपनी ओर आकर्षित करता है, जानवरों के बड़ी मात्रा में गोबर, मूत्र त्यागने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है। जानवरों, पौधों और मिट्टी के सूक्ष्मजीवों (मलमूत्रों से प्रेरित) के लिए चक्र, शोधकर्ताओं को ऐसे क्षेत्रों के विवरण के रूप में "फ्रूटिंग लॉन" शब्द का प्रस्ताव करने के लिए प्रेरित करता है।  

अफ्रीकी सवाना और अन्य घास के मैदानों में प्रमुख खाद्य खपत और भोजन की उपलब्धता के बीच सकारात्मक प्रतिक्रिया है। समूह के अनुसंधान के अगले चरणों में यह जांच शामिल होगी कि क्या बड़े स्तनधारियों के साथ पौधों की परस्पर क्रिया के कारण नाइट्रोजन में वृद्धि उनके कार्बन अवशोषण को बढ़ाती है और मिट्टी से ग्रीनहाउस गैसों के निकलने को कम करती है। यदि ऐसा है, तो वैश्विक जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए पौधे-पशु की परस्पर क्रिया को एक प्रमुख भूमिका निभानी चाहिए।

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