पानी की कमी से जूझ रहा है जल-पक्षियों का निवास स्थान केएनपी, विश्व धरोहर स्थल में है शामिल

सऊदी अरब में आयोजित विश्व धरोहर समिति की बैठक में केएनपी के संरक्षण की स्थिति को लेकर आईयूसीएन मिशन रिपोर्ट 2023 जारी की गई।
फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, निखिलचन्द्र81, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी)
फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, निखिलचन्द्र81, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी)
Published on

भारत में विश्व धरोहर स्थल पर संरक्षण की स्थिति को लेकर एक नई रिपोर्ट जारी की गई है। रिपोर्ट में संरक्षण विशेषज्ञों ने भारत में विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल की सुरक्षा में मदद के लिए महत्वपूर्ण सिफारिशें की हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, प्रोफेसर फिलिप मैकगोवन केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के संरक्षण की स्थिति की समीक्षा करने और अहम मुद्दों के समाधान को लेकर सिफारिशें करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) निगरानी मिशन का हिस्सा थे। आईयूसीएन यूनेस्को विश्व धरोहर समिति का प्रकृति पर आधिकारिक सलाहकार है।

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) उत्तर भारतीय राज्य राजस्थान के भरतपुर शहर के दक्षिण में स्थित है। यह  उद्यान 2,873 हेक्टेयर में फैला है, जो दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों का निवास स्थान है। यहां आर्द्रभूमि के बगुले, जलकाग और चील सहित प्रवासी और निवासी पक्षियों की 350 से अधिक प्रजातियां रहती हैं। इसे अत्यधिक खतरे वाले साइबेरियाई क्रेन के लिए सर्दियों के मैदान के रूप में इसके वैश्विक महत्व को देखते हुए 1985 में विश्व विरासत सूची में अंकित किया गया था।

यह पार्क लंबे समय से अपने जल पक्षियों के जमावड़े, बड़ी संख्या में निवासी प्रजनन प्रजातियों और सर्दियों में रहने वाले प्रवासी बत्तखों, गीज और वेडर्स दोनों के लिए जाना जाता है। यह पहले भरतपुर के महाराजा का बत्तख शिकार अभ्यारण्य था और कई शूटिंग दिवसों की मेजबानी करता था जहां बड़ी संख्या में बत्तखें थीं।

शिकार पर लंबे समय से प्रतिबंध लगा हुआ है और केएनपी अब अपने विविध वनस्पतियों और जीवों, विशेष रूप से पक्षी प्रजातियों की विविधता के लिए विश्व स्तर पर जाना जाता है और अपने उत्कृष्ट पारिस्थितिकी अहमियत और प्रवासी जलपक्षी के लिए एक महत्वपूर्ण निवास स्थान के रूप में पहचाना जाता है।

हालांकि, केएनपी को भारी संरक्षण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, विशेष रूप से इसकी पानी की आपूर्ति को सुरक्षित करना, क्योंकि पार्क के बाहर उत्पन्न होती आक्रामक प्रजातियां फैल रही हैं, जो पानी का अत्यधिक उपयोग करती हैं।

विश्व धरोहर समिति ने पार्क में संरक्षण की स्थिति का आकलन और निगरानी मिशन शुरू करने के लिए आईयूसीएन को आमंत्रित किया, साथ ही पक्षियों की निगरानी और प्रबंधन योजना जैसे मुद्दों का भी पता लगाया।

मिशन की सिफारिशें

रिपोर्ट बताती है कि कुछ क्षेत्रों में प्रगति हुई है, लेकिन बड़ी चुनौतियां बरकरार हैं, विशेषकर लंबे समय तक पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना सबसे अहम है। स्टेट पार्टी ऑफ इंडिया ने आक्रामक प्रजातियों को नियंत्रित करने के अपने प्रयास जारी रखे हैं, लेकिन इसको लेकर भी  एक चुनौती बनी हुई है।

विशेष रूप से प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा का प्रबंधन, जो अमेरिका का एक छोटा पेड़ है, जो लगभग 150 साल पहले भारत में लाया गया था। यह प्रजाति अब पार्क के कई हिस्सों में मौजूद है और, पर्याप्त पानी हासिल करने की चुनौती के साथ-साथ, आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र और पक्षी आबादी पर प्रभाव डाल रही है, जिसके लिए तत्काल अनुकूली प्रबंधन रणनीति की आवश्यकता है।

विश्व धरोहर सम्मेलन पार्क का बहुत बड़ा वैश्विक महत्व है, जबकि केएनपी का संरक्षण और पारिस्थितिकी महत्व स्पष्ट है। विशिष्ट पारिस्थितिक विशेषताओं को परिभाषित करने की आवश्यकता है जो उत्कृष्ट सार्वभौमिक महत्व बनाते हैं ताकि इसकी निगरानी और सुरक्षा की जा सकती है। इस तरह की 'विशेषताओं' में प्रजनन या शीतकाल में रहने वाली प्रजातियों की संख्या, खतरे में पड़ी प्रजातियों की संख्या या प्रमुख प्रजातियों की संख्या के साथ-साथ आर्द्रभूमि की सीमा और विविधता भी शामिल हो सकती है।

फरवरी 2023 में निगरानी मिशन के बाद, आईयूसीएन रिपोर्ट यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत कन्वेंशन वेबसाइट पर प्रकाशित की गई थी। सभी विश्व धरोहर स्थल विश्व धरोहर समिति की बैठकों में समय-समय पर संरक्षण की स्थिति की रिपोर्ट की जाती हैं।

आईयूसीएन मिशन रिपोर्ट  में 10 से 25 सितंबर 2023 के बीच सऊदी अरब में आयोजित विश्व धरोहर समिति की बैठक के 45वें सत्र में केएनपी के लिए संरक्षण की स्थिति की रिपोर्ट पर जानकारी दी। समिति ने राज्य पार्टी से 2023 मिशन की सिफारिशों को लागू करने का अनुरोध किया, जिसमें शामिल हैं:

पार्क की दीर्घकालिक निगरानी, सुरक्षा और प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य (ओयूवी) बताने वाली विशेषताओं की एक स्पष्ट सूची विकसित करना,

सुरक्षित जल आपूर्ति के लिए लंबे समय के लिए रणनीतिक समाधान करना,

यह सुनिश्चित करना कि साइबेरियाई क्रेन की वर्तमान स्थिति निगरानी और प्रबंधन में सटीक रूप से प्रतिबिंबित हो,

पार्क के प्रबंधन की जानकारी के लिए ओयूवी को व्यक्त करने वाली विशेषताओं के आधार पर वैज्ञानिक रूप से आधारित निगरानी कार्यक्रम स्थापित करना,

आक्रामक प्रजातियों के लिए दीर्घकालिक अनुकूली प्रबंधन रणनीति स्थापित करना,

विश्व धरोहर स्थल के ओयूवी के प्रबंधन पर ध्यान देने के साथ 2017 से 2027 तक की प्रबंधन योजना की समीक्षा करना,

यह सुनिश्चित करना कि प्रबंधन योजना और निर्णय लेने की प्रक्रिया विशेष रूप से विश्व धरोहर स्थल के ओयूवी पर आधारित है।

आईयूसीएन प्रजाति उत्तरजीविता आयोग पोस्ट-2020 जैव विविधता लक्ष्य टास्क फोर्स के अध्यक्ष प्रोफेसर फिलिप मैकगोवन ने कहा, केवलादेव गहन रूप से प्रबंधित परिदृश्य में एक अनोखी आर्द्रभूमि है। इसकी जैव विविधता का वैश्विक महत्व है। इसके प्रजनन और शीतकालीन जल पक्षियों की समृद्धि और विविधता असाधारण है।

इस क्षेत्र में पानी की मांग कई कारणों और पिछले दशक में मॉनसूनी बारिश में कमी तथा बारिश के पैटर्न के कारण बढ़ गई है। आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए पानी की पर्याप्त आपूर्ति बनाए रखने में एक वास्तविक चुनौती है। इसका समाधान निकालने से, पार्क की आश्चर्यजनक रूप से समृद्ध और विविध जैव विविधता के भविष्य को सुरक्षित रखा जा सकता है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in