रेजन, तोरपा प्रखंड के मरचा पंचायत में आने वाले कर्रा गांव के प्रधान हैं। इन्हें डर है इनकी सामुदायिक जमीन चली जाएगी, जिसपर उनके सामुदाय के लोग कई पीढ़ियों से खेतीबाड़ी करते आ रहे हैं। इसलिए कहते हैं कि वे लोग बिना ग्रामसभा के सहमति के कोई भी सर्वे नहीं होने देंगे।
हालांकि खूंटी के एसडीओ रियाज सैयद कहते हैं कि लोगों को भ्रमित किया जा रहा है। सर्वे के बारे में पूरी जानकारी लोगों को दी जा रही है। कर्रा प्रखंड में सर्वे का काम पूरा हो चुका है। तोरपा के 45 गांव में भी हो चुका है। ग्रामसभा के सहमति से ही काम किया जा रहा है। कर्रा में ग्रासभा में लोगों को योजना के बारे में जानकारी दी गई। तो वे लोग मान गए। तोरपा में भी ग्रामसभा के जरिए जानकारी दी जाएगी।
सामुदायिक और रैयती जमीन का सर्वे के सवाल पर एसडीओ कहते हैं कि ऐसा कोई सर्वे नहीं होगा। ना ही
सीएनटी-एसपीटी एक्ट का उल्लंघन होगा और ना पेसा कानून का। 1932 के खतियान में भी कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। सामुदायिक जमीन पर गांव वालों का अधिकार पहले की तरह रहेंगे।
एसडीओ कहते हैं, सार्वजनिक स्थानों और जगहों को चिन्हित किया जाएगा। उनकी गणना करनी है। उस गणना को रजिस्टर में मेनटेन करना है। रजिस्टर पंचायत में रखा जाएगा। इस गणना से यह पता चलेगा कि गांव में क्या-क्या सरकारी संपत्ति है। कितनी सार्वजनिक जमीन है। ताकि इसका इस्तेमाल करके भविष्य में ग्राम पंचायत का डेवलपमेंट प्लान बनाया जा सके।
लेकिन आदिवासी-मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच की संयोजक और एक्टिविस्ट दायामानी बारला कहती हैं कि झारखंड देश के बाकी राज्यों से अलग प्रदेश है। यहां आदिवासियों की अपनी भाषा, संस्कृति, परंपराएं हैं जो जल, जंगल, जमीन के सह अस्तित्व पर अधारित है। इस राज्य के आदिवासियों का सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक ताकत इसी जल जंगल जमीन के साथ जुड़ी है। उनके अपने अलग संवैधानिक अधिकार हैं। सीएनटी-एसपीटी एक्ट, पेसा कानून और मुंडारी खूंककट्टी। सरकार जो स्वामित्व योजना लागू करने जा रही है। हमारी सारी पंरपराएं, कानून, स्वतंत्रता, समानता को खारिज कर देगी। हमारी मांग है कि राज्य सरकार हर हालत में इसको रोके।
दायामनी बारला इस योजना के खिलाफ निरंतर आवाज उठा रही हैं। इस सिलसिले में वो खूंटी के उपायुक्त और संबंधित झारखंड पंचायती राज्य मंत्री आलमगीर आलम से दो बार मिलकर विरोध में ज्ञापन सौंप चुकी हैं।
गौरतलब है कि पॉयलट प्रोजेक्ट के तहत चार साल की अवधि में स्वामित्व योजना को पूरा किया जाएगा। 2020-21 के पहले चरण में छह राज्यों के 763 गांवों के एक लाख लोगों को प्रॉपर्टी कार्ड दिये जा चुके हैं। दूसरे चरण (2021-22) जिन 20 राज्यों में ड्रोन सर्वे से गांव की पैमाइश होनी है। उसमें झारखंड के खूंटी जिले 756 गांव में से 725 गांव शामिल हैं। इसके तहत ही खूंटी के कर्रा और तोरपा प्रखंड में ड्रोन सर्वेक्षण की प्रक्रिया जारी है, जिसका ग्रामीणों के द्वारा विरोध हो रहा है।
हालांकि बाकि दो चरणों (2022-23, 2023-24) में 18-18 राज्यों में ड्रोन सर्वे किया जाएगा, जिसमें झारखंड के क्रमशः 12,000 और 20,000 गांव में शामिल हैं। झारखंड सरकार के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 32620 गांव हैं. लेकिन स्वामित्व योजना की वेबसाइट के मुताबिक 32712 गांव में ड्रोन सर्वे किया जाना है।