सितंबर के पहले शनिवार को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस, हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में गिद्धों की अहम भूमिका को सामने लाता है। इस दिन का उद्देश्य उनकी लुप्तप्राय स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। ये महत्वपूर्ण पक्षी, जिन्हें अक्सर गलत समझा जाता है और बदनाम किया जाता है, पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण हैं।
कई लोग गिद्धों को क्रूर, गंदे और बदसूरत जीव मानते हैं। सच्चाई यह है कि ये अविश्वसनीय पक्षी प्राकृतिक दुनिया के गुमनाम नायक हैं। वे एकमात्र भूमि पर रहने वाले मैला ढोने वाले हैं, जिसका अर्थ है कि सड़ा हुआ मांस उनके आहार का आधार है। इस उपाधि के साथ कुछ महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी सेवाएं आती हैं, जैसे कि बीमारी के प्रसार को कम करना, लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करने में अहम भूमिका निभाना और जलवायु परिवर्तन को धीमा करना।
पिछले तीन दशकों में गिद्धों की आबादी में तेजी से गिरावट आई है। जंगलों के काटे जाने से उनके आवास खत्म हो रहे हैं और भोजन की भारी कमी हो गई है। इसके अलावा बीमार पालतू जानवरों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली डाईक्लोफेनाक और टिटोफेनाक जैसी दर्द निवारक दवाएं शवों में हानिकारक अवशेष छोड़ती हैं, जिससे इन दूषित शवों को खाने से गिद्धों की मौत हो जाती है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) ने गिद्धों को गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची में रखा है।
अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस की शुरुआत दक्षिण अफ्रीका और यूनाइटेड किंगडम में हुई थी। पहला अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस सितंबर 2009 में मनाया गया था। अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस का उद्देश्य प्रत्येक सहभागी संगठन के लिए अपनी स्वयं की गतिविधियां चलाना है जो गिद्धों के संरक्षण और जागरूकता के लिए जरूरी है।
खुशी की बात यह कि भारत के तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों के सात बाघ अभयारण्यों और वन क्षेत्रों में गिद्धों की आबादी में वृद्धि हुई है, जो फरवरी 2023 में 246 से दिसंबर में 308 हो गई है, जो गंभीर रूप से लुप्तप्राय पक्षी की आबादी को बचाने और बढ़ाने के प्रयासों को बढ़ावा देता है।
गिद्ध सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक, सर्वेक्षण के दौरान दर्ज किए गए गिद्धों में से 82 फीसदी गिद्ध एनबीआर के मुदुमलाई सत्यमंगलम बांदीपुर परिसर में पाए गए। इनकी सबसे अधिक संख्या तमिलनाडु के मुदुमलाई और सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व में पाई गई।
सर्वेक्षण के दौरान कुल 217 गंभीर रूप से लुप्तप्राय सफेद पूंछ वाले गिद्ध (जिप्स बंगालेंसिस), 47 लंबी चोंच वाले गिद्ध (जिप्स इंडिकस), 50 एशियाई राज गिद्ध (सरकोजिप्स कैल्वस), चार लुप्तप्राय मिस्र के गिद्ध (नियोफ्रॉन पर्कनोप्टेरस) और दो “खतरे के करीब” हिमालयन ग्रिफ़ॉन गिद्ध (जिप्स हिमालयेंसिस) दर्ज किए गए। चार मिस्र के गिद्ध और दो हिमालयन ग्रिफ़ॉन गिद्ध नेल्लई वन प्रभाग और वायनाड वन्यजीव अभयारण्य में देखे गए।
अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस मनाने का सबसे अच्छा तरीका गिद्धों के अच्छे पहलुओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यह माता-पिता, शिक्षकों और बच्चों की देखभाल करने वाले अन्य लोगों के लिए इन महत्वपूर्ण पक्षियों के बारे में शिक्षित करना व जानकारी बढ़ाना जरूरी है।