एक अंतरराष्ट्रीय टीम के साथ मिलकर जर्मनी के सेनकेनबर्ग के वैज्ञानिक यूवे फ्रिट्ज ने आनुवांशिक विश्लेषण के आधार पर कछुए की एक नई प्रजाति के बारे में बताया है। अब तक माना जाता था कि ‘जीनस चेलुस’ कछुए की केवल एक ही प्रजाति है। अध्ययन में कहा गया है कि उन जानवरों की प्रजातियों के संरक्षण का पुनर्मूल्यांकन किया जाना चाहिए, जिनको अक्सर अवैध पशु व्यापार में बेच दिया जाता है। इस अध्ययन को साइंटिफिक पत्रिका मॉलिक्युलर फाइटोलेनेटिक्स एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित किया गया है।
इस प्रजाति का नाम माता-माता बताया गया है, जो पानी के नीचे कीचड़ में छिपे रहते है, इनकी लंबाई 53 सेंटीमीटर तक होती है। ये शैवाल से ढकी चट्टानों की तरह दिखते हैं। लेकिन जब कोई शिकार करने लायक जानवर सामने आता है, तो कछुआ उसे अचानक अपना बड़ा मुंह खोलकर उसे चूसकर पूरा निगल जाता है।
ड्रेसडेन में सेनकेनबर्ग प्राकृतिक इतिहास संग्रह के प्रोफेसर डॉ. यूवे फ्रिट्ज बताते हैं यद्यपि ये कछुए अपने विचित्र रूप और असामान्य खाने के व्यवहार के कारण व्यापक रूप से जाने जाते हैं, लेकिन उनकी विविधता और आनुवांशिकी के बारे में बहुत कम जानकारी है। फ्रिट्ज कहते हैं अब हमने यह मान लिया कि इस कवचवाले सरीसृप की केवल एक प्रजाति है जो पूरे दक्षिण अमेरिका में व्यापक रूप से फैली हुई है।
लेकिन ऐसी प्रजातियां, जिन्हें लुप्तप्राय नहीं माना जाता है, वे आश्चर्यजनक हो सकती हैं। आनुवंशिक विश्लेषण के आधार पर, उन्हें अक्सर दो या अधिक स्वतंत्र प्रजातियों में विभाजित किया जाता है। कई अध्ययनों से पता लगा है कि माता-माता कछुए अमेजन बेसिन की तुलना में ओरिनोको नदी में अलग दिखते हैं। ड्रेसडेन के वैज्ञानिक कहते हैं इस अवलोकन के आधार पर, हमने इन जानवरों के जेनेटिक बनावट पर बारीकी से नज़र रखने का फैसला किया है।
75 डीएनए नमूनों का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने बताया कि पिछली मान्यताओं के विपरीत, माता-माता कछुओं की आनुवंशिक और दिखने में भी भिन्न-भिन्न दो प्रजातियां हैं। नई प्रजातियां चेलुस ओरिनोकेन्सिस ओरिनोको और रियो नीग्रो बेसिन में निवास करती हैं, जबकि चेलुस फिम्ब्रिआटा के रूप में जानी जाने वाली प्रजाति विशेष रूप से अमेज़ॅन बेसिन तक सीमित है।
अध्ययन के अनुसार, लगभग 1 करोड़ 30 लाख साल पहले दोनों प्रजातियां मियोसीन के दौरान विभाजित हो गईं थी। इस अवधि के दौरान, पूर्व अमेज़ॅन-ओरिनोको बेसिन में जानी पहचानी दो नदी घाटियां अलग-अलग हो गई थी। कई जलीय जीवों की प्रजातियां इस तरह स्थान के आधर पर अलग हो गईं और इन्होंने आनुवंशिक रूप से फैलना शुरू कर दिया।
नई प्रजातियों के विवरण में भी माता माता के संरक्षण की स्थिति का पुनर्मूल्यांकन आवश्यक है। आज तक, इस प्रजाति के व्यापक रूप से फैलने के कारण इन्हें लुप्तप्राय नहीं माना गया था। अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि हमारे परिणाम बताते हैं कि, दो प्रजातियों में विभाजित होने के कारण, प्रत्येक प्रजाति की जनसंख्या आकार पहले की तुलना में छोटी हुई है।
इसके अलावा, हर साल इन विचित्र दिखने वाले हजारों जानवरों का अवैध व्यापार होने से इनका जीवन समाप्त हो रहा हैं। हालांकि इन जानवरों के अवैध व्यापार का पता लगने पर अधिकारियों द्वारा इन्हें जब्त भी किया जाता है।
बोगोटा के नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ कोलम्बिया के प्रोफेसर और प्रमुख अध्ययनकर्ता मारियो वर्गास-रामिरेज़ कहते है कि इससे पहले बहुत देर हो जाए, हमें इन आकर्षक जानवरों की रक्षा करनी चाहिए।