यह आश्चर्य का विषय है कि पंद्रह हज़ार किलोमीटर की यात्रा यह बिना रुके 10 दिन में पूरी कर भारत की धरती पर कदम रखते हैं। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात के विभिन्न स्थानों पर झीलों, नदियों और जलाशयों के किनारे इनका बसेरा होता है। ये मेहमान परिंदे झीलों की लहरों में गोते लगाते हैं, जल क्रीड़ा करते हैं। धरती और जल से ये आकाश में उड़ते, वापस आते और वृक्षों पर विश्राम करते हैं। तब लगता है मानो प्रकृति ने अपना इंद्रधनुषी आंचल इनके लिए फैला दिया हो और वह अपनी ममता और वात्सल्य इन पक्षी बच्चों पर लुटा रही हो। पर्यटक और प्रकृति प्रेमियों के लिए पक्षियों का चहचहाना एक मनोरम दृश्य उपस्थित कर उन्हें आनंदित करता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)