इसमें कोई शक नहीं कि वन्यजीवों का अवैध व्यापार बड़े पैमाने पर भारत में फैल चुका है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इससे समुद्र में पाए जाने वाली एक प्रजाति ‘सी कुकुम्बर’ भी नहीं बची है।
इस समुद्री जीव को समुद्री खीरा या ककड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इस पर प्रकाशित एक नई रिपोर्ट से पिछले 12 वर्षों में 2010 से 2021 के बीच अवैध रूप से पकड़े गए 101.4 टन समुद्री खीरे का पता चला है। इस दौरान 6,976 'सी कुकुम्बर' जब्त किए गए।
इस बारे में अंतराष्ट्रीय संगठन ट्रैफिक ने एक नई रिपोर्ट 'इन डीप वाटर्स: इंडियाज सी कुकुम्बेर्स इन इललीगल वाइल्डलाइफ ट्रेड' 21 नवंबर 2022 को वर्ल्ड फिशरीज डे के मौके पर जारी की है। गौरतलब है कि भारत में 'सी कुकुम्बर' की करीब 200 प्रजातियां पाई जाती हैं।
यह सभी प्रजातियां वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित हैं। इस तरह इनका संग्रह, व्यापार या किसी भी प्रकार का उपयोग अवैध है इसके बावजूद देश में इस समुद्री जीव का व्यापार किया जा रहा है।
वहीं भारत की समुद्री सीमा में पाई जाने वाली सी कुकुम्बर की दो प्रजातियां होलोथुरिया फुस्कोगिल्वा और एच नोबिलिस को 2020 से वन्य जीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (सीआईटीईएस) के परिशिष्ट II में शामिल किया गया है। जो इनके अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को नियंत्रित करता है।
तमिलनाडु में दर्ज की गई बरामदी की सबसे ज्यादा 139 घटनाएं
हालांकि इसके बावजूद जब्त किए गए समुद्री खीरे इस बात का स्पष्ट संकेत है कि देश में कानूनों के बावजूद इनका अवैध व्यापार फल-फूल रहा है। ट्रैफिक और डब्लूडब्लूएफ इंडिया द्वारा जारी इस रिपोर्ट के अनुसार पिछले 12 वर्षों में देश में समुद्री खीरे की बरामदी के सबसे ज्यादा 139 मामले तमिलनाडु में दर्ज किए गए।
इसके बाद लक्षद्वीप में 15, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में चार, कर्नाटक में दो और मणिपुर एवं केरल में एक-एक बरामदगी के मामले सामने आए हैं। वहीं बीच समुद्र में भी इसकी एक घटना सामने आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक 2010 से 2021 के बीच समुद्री खीरे की बरामदी की कुल 163 घटनाएं सामने आई थी जिनमें 101.4 टन और 6,976 मृत और जीवित समुद्री खीरे जब्त किए गए थे। अकेले 2020 में करीब 2,324 सी कुकुम्बर जब्त किए गए थे, जोकि किसी वर्ष में सबसे ज्यादा हैं। यह स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि इस समुद्री जीव का अवैध व्यापार अभी भी भारत में तेजी से फल-फूल रहा है।
रिपोर्ट में भारत में बढ़ते इसके अवैध व्यापार के कारणों की भी जांच की गई है, जिससे पता चला है कि इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह पूर्वी और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में इसकी बढ़ती मांग है। साथ ही इसे आसानी और कम प्रसंस्करण लागत पर सुखाया जाना भी भारत में इनके अस्तित्व के लिए खतरनाक साबित हो रहा है।
पता चला है कि इनका उपयोग कैंसर जैसी बीमारियों की दवाओं तेल, क्रीम और कॉस्मेटिक्स आदि बनाने में होता है। रिपोर्ट में सामने आया है कि भारत से इन जीवों को तस्करी का जरिए तीन प्रमुख स्थानों श्रीलंका, चीन और दक्षिण पूर्व एशिया के लिए ले जाया जा रहा था।
समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं यह जीव
इस बारे में ट्रैफिक इंडिया से जुड़े और रिसर्च में शामिल शोधकर्ता डॉक्टर मर्विन फर्नांडीस का कहना है कि सख्त कानूनों के बावजूद भारत में होलोथुरियन सी कुकुम्बर का अवैध व्यापार हो रहा है।
यह रिपोर्ट भारत से पड़ोसी देशों में तस्करी किए जा रहे समुद्री खीरे के अवैध व्यापार के चलन का संकेत देती है। उनके अनुसार ऐसे में जब इन जीवों की आबादी की स्थिति के बारे में सीमित जानकारी उपलब्ध है यह व्यापार प्रजातियों के भविष्य को खतरे में डाल सकता है।
देखा जाए तो 'समुद्री खीरे', समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, क्योंकि वे कार्बनिक पदार्थों का अपघटन करते हैं और उन्हें अन्य समुद्री जीवों के लिए दोबारा प्रयोग हो सकने वाले पोषक तत्वों के रूप में परिवर्तित कर देते हैं। इसके अलावा, समुद्री खीरे द्वारा भोजन और उत्सर्जन से समुद्री जल की क्षारीयता बढ़ जाती है, जो समुद्र के अम्लीकरण को बफर कर देता है।
ऐसे में भारत में इन जीवों के बढ़ते अवैध व्यापार को रोकने के लिए इस रिपोर्ट में कई सिफारिशें भी प्रस्तुत की गई हैं, जिनमें भविष्य में इनपर रिसर्च पर जोर दिया गया है। साथ ही इनके अवैध शिकार और व्यापार पर पांबंदियों बढ़ाना, उसके लिए नीतियां तैयार करना और समुदायों को इस बारे में जागरूक करना जैसे उपाय शामिल हैं।
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया के महासचिव और सीईओ रवि सिंह ने भी भारत में समुद्री खीरे की सुरक्षा और संरक्षण को मजबूत करने की बात कही है।