जैव विविधता के तहत किस तरह हो जंगलों की निगरानी, शोधकर्ताओं ने दिखाई राह

इस शोध में दुनिया भर में वन पारिस्थितिकी प्रणालियों के स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए नए उपाय करने का सुझाव दिया गया है
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स
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1992 में संरक्षण और सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध 150 से अधिक अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने जैविक विविधता कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए थे। कन्वेंशन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नई वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क लगभग एक दशक में एक बार बनाए जाते हैं।

प्रकृति को कई मायनों में मापना बहुत कठिन है, फिर भी शोधकर्ताओं ने इसके स्वास्थ्य को मापने और संरक्षण के लिए मानक बनाने के तरीकों की खोज में दशकों बिताए हैं। अब एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने जैविक विविधता पर कन्वेंशन में 150 से अधिक देशों को वन पारिस्थितिकी तंत्र की निगरानी किस तरह की जाती है, इसमें मदद करने की उम्मीद जताई है। यह शोध मोंटाना स्टेट यूनिवर्सिटी के पारिस्थितिक विज्ञानी एंड्रयू हैनसेन की अगुवाई में किया गया है।

प्रोफेसर हैनसेन ने कहा चाहे आप किसान हो या सिंचाई करने वाले या शहर में पानी की आपूर्ति की देखरेख करने वाले कोई व्यक्ति ही क्यों न हो आप सभी प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं। प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन सभी परिस्थितियों को मापने के बारे में है। इसलिए इसकी अच्छी तरह से देखभाल करने के लिए इसे जानना जरूरी है।

सोसाइटी फॉर कंजर्वेशन बायोलॉजी के जर्नल कंजर्वेशन लेटर्स में प्रकाशित एक पेपर '2020 के बाद ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क के अंदर फॉरेस्ट इकोसिस्टम इंटीग्रिटी की निगरानी' जिसके प्रमुख अध्ययनकर्ता हैनसेन हैं। यह पेपर जैव विविधता पर कन्वेंशन के सदस्यों के बीच इसकी गिरावट को लेकर वार्ता से पहले एक योजनाबद्ध तरीके से नया वैश्विक जैव विविधता ढांचा बनाने की बात करता है।

इसमें आने वाले दशकों में जैव विविधता लक्ष्यों को पूरा करने की योजना शामिल है। हैनसेन के अनुसार, पेपर उपग्रह के आंकड़ों का उपयोग करके दुनिया भर में वन पारिस्थितिकी प्रणालियों के स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए नए दिशा निर्देश देता है। यह एक ऐसी विधि है जो पांच साल पहले संभव नहीं थी।

पेपर में लिखित रूपरेखा पारिस्थितिकी तंत्र को बनाएं रखने के विचार पर आधारित है, जो प्राकृतिक आवासों की गुणवत्ता का एक उपाय है। जंगलों में यह तीन चीजों पर आधारित होता है - वन संरचना, पारिस्थितिकी तंत्र का कार्य, पौधे और जानवरों की आबादी कितनी तेजी से बढ़ती है और पोषक तत्वों की स्थिति क्या है। पारिस्थितिकी तंत्र में प्रजातियों की संरचना या ये किस तरह रहती हैं। यहां बताते चलें कि संरचना उस पारिस्थितिकी तंत्र की उपयोगिता को निर्धारित करती है।

हैनसेन ने कहा कि यह पानी है, यह आग है, यह आपदा के खतरे हैं, यह जंगल है जो सांस लेते हैं, यह फल, नट और लकड़ी के उत्पादक हैं। इन सभी दृश्यों और उपभोग के लिए वन्य जीवन है। यह कृषि के लिए पानी है इन सभी चीजों में पारिस्थितिकी अखंडता शामिल है।

प्रस्तावित ढांचा देशों की निगरानी में मदद करने के तरीकों को बतलाता है। यह समय के साथ पारिस्थितिक तंत्र में किस तरह के बदलाव आ रहे हैं और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी सीमा में कितना परिवर्तन दिखाई दे रहा हैं। यह राष्ट्रों के लिए भूमि कवर, उत्पादकता, आग की घटनाओं और जंगल की सीमा तक पहुंचने के लिए आंकड़ों का उपयोग कर एक तरीका विकसित करेगा। यह बदलती जैव विविधता के मूल्यांकन करने में मदद करेगा, जो किसी प्रजाति या पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिति निर्धारित करने के लिए कम से कम आवश्यक माप है।  

2030 और उससे आगे के लिए नए लक्ष्य निर्धारित करने में सम्मेलन की सर्वोच्च प्राथमिकता "प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र के क्षेत्र, कनेक्टिविटी और अखंडता को बढ़ाना" है। यह दुनिया के जंगलों के स्वास्थ्य को मापने और मानव-निर्मित सीमाओं के पार उस स्वास्थ्य का प्रबंधन करने के तरीकों का अध्ययन करता है।

यह प्रयास जल आपूर्ति और प्राकृतिक संसाधनों को बनाए रखने, कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने, मछली और वन्य जीवन को बनाए रखने और आग और बाढ़ को कम करने में मदद करेगा।

हैनसेन ने कहा यह आने वाले दशक वैश्विक संरक्षण के लिए वास्तव में काफी महत्वपूर्ण है। अपने लक्ष्यों को पूरा करने की सफलता को लेकर, जैविक विविधता पर कन्वेंशन में अब प्रकृति को मापने के तरीके पर सहमत होना चाहिए। जिसे सदस्य देश अगले दशक तक हर साल लगातार पूरा कर सकते हैं। हैनसेन ने आगे जोड़ते हुए कहा कि यह पेपर ऐसा करने के बारे में जानने का एक तरीका बतलाता है।

समुद्री प्रणालियों के लिए इसी तरह के ढांचे का प्रस्ताव किया गया है, लेकिन किसी अन्य समूह ने वैश्विक स्तर पर वन पारिस्थितिकी तंत्र की अखंडता को मापने के लिए केवल एक प्रणाली नहीं बनाई है। उनकी उम्मीद है कि सम्मेलन तय करेगा कि ढांचा ठोस हो, माप के लिए एक मानक दृष्टिकोण बनाता हो और देशों को मार्गदर्शन प्रदान करने की क्षमता रखता हो।

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