कूनो में चार और चीता शावकों का जन्म, लेकिन विशेषज्ञों ने उठाए ये सवाल

नामीबियाई मादा चीता ज्वाला दूसरी बार मां बनी, लेकिन उसे कभी जंगल में नहीं छोड़ा गया
Namibian cheetah Siyaya, now known as Jwala, has birthed her second litter. Photo: Cheetah Conservation Fund
Namibian cheetah Siyaya, now known as Jwala, has birthed her second litter. Photo: Cheetah Conservation Fund
Published on

नामीबिया से लाई गई मादा चीता ज्वाला ने चार शावकों को जन्म दिया है। इसकी घोषणा 23 जनवरी, 2024 को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने की। कुछ सप्ताह पहले आशा ने भी शावकों को जन्म दिया था।  

यादव ने एक्स (जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) पर पोस्ट किया कि ज्वाला नाम की नामीबियाई चीता ने तीन शावकों को जन्म दिया है। यह नामीबियाई चीता आशा द्वारा अपने शावकों को जन्म देने के कुछ ही सप्ताह बाद आया है। हालांकि, यादव ने 24 जनवरी को एक्स पर पोस्ट किया कि वन विभाग के अधिकारियों को पता चला है कि ज्वाला के तीन नहीं बल्कि चार शावक पैदा हुए हैं।

 आशा द्वारा तीन शावकों को जन्म देने की जानकारी 3 जनवरी, 2023 को दी गई थी।

यह दूसरी बार है जब ज्वाला, जिसे पहले सियाया के नाम से जाना जाता था, ने शावकों को जन्म दिया है। मार्च 2023 में, वह भारतीय धरती पर चार शावक पैदा करने वाली पहली मादा चीता थी। वर्तमान में शावकों में से केवल एक मादा ही जीवित बची है। अन्य की मृत्यु अत्यधिक गर्मी और निर्जलीकरण से हो गई थी। 

 कुनो नेशनल पार्क, जहां सितंबर 2022 में चीतों को लाया गया था, के मुख्य वन संरक्षक उत्तम शर्मा ने कहा, “यह एक महीने में दूसरी बार है, जब 25 दिनों के अंतराल में शावकों का जन्म हुआ है। सभी शावक स्वस्थ हैं।”

तीन नए जन्मे शावकों के बाद कुनो में चीतों की संख्या 20 हो गई है, जिनमें 13 वयस्क और सात शावक हैं। वयस्कों में छह नर और सात मादा हैं।

अभी हाल ही में, 16 जनवरी को नामीबियाई चीता शौर्य की इलाज के दौरान मृत्यु हो जाने की सूचना मिली थी। शर्मा ने कहा कि आशा और ज्वाला दोनों का मिलाप पवन से कराया गया था। 

एक वन्यजीव और चीता विशेषज्ञ ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि पवन एक अच्छा और सुरक्षित प्रजनन वाला नर है। हालांकि उन्होंने कहा कि बंदी वातावरण में प्रजनन करना मुश्किल होता है।

मई 2023 में दक्ष को अन्य दो नर चीता अग्नि और वायु के साथ सहवास के लिए बाड़े से रिहा कर दिया गया, लेकिन हिंसक भिडंत के कारण दक्ष की मृत्यु हो गई।

हालांकि, अब तक वन विभाग ने दक्षिण अफ्रीका के बजाय नामीबिया की मादा चीतों के प्रजनन को प्रोत्साहित किया है। भारत ने दक्षिण अफ्रीका से 12 और नामीबिया से आठ चीते आयात किए थे। 

विशेषज्ञ ने इस पर चिंता साझा करते हुए कहा कि अगर अभी तक उनसे प्रजनन नहीं कराया गया है, तो उनका प्रजनन समय बर्बाद हो गया है।

वहीं शर्मा ने कहा, "जब दक्षिण अफ़्रीकी चीतों को प्रजनन के लिए लाया जाएगा तो इसे अधिसूचित किया जाएगा।"

विशेषज्ञ ने इस बात पर भी चिंता जताई कि चीतों को क्यों नहीं छोड़ा जा रहा है और उन्हें महीनों तक बाड़े में कैद रखा जा रहा है। विशेषज्ञ ने कहा,  "मादाओं के लिए प्रजनन जारी रखना अच्छा है, लेकिन चीतों को स्वतंत्र परिस्थितियों में छोड़ने में देरी क्यों की जा रही है?"

दिसंबर में वन विभाग ने तीन नर चीतों को छोड़ा था, इनमें अग्नि, वायु और पवन (पहले ओबन) और एक मादा वीरा शामिल थी। हालांकि, अग्नि को फिर से बाड़े में रख दिया गया, क्योंकि राजस्थान की सीमा के पास चला गया था। 

नामीबिया गणराज्य के सरकारी राजपत्र के अनुसार, वयस्क व मांसाहारियों को जंगल से पकड़ने के बाद तीन महीने से अधिक समय तक बाड़े में नहीं रखा जाना चाहिए, यदि ऐसा किया जाता है तो तीन माह के बाद उन्हें जंगल में नहीं छोड़ा जाना चाहिए, बल्कि हमेशा के लिए बाड़े में ही कैद रखना चाहिए। बाड़े में भी उनसे प्रजनन नहीं कराना चाहिए। यहां तक कि उन्हें पब्लिक के सामने भी नहीं लाना चाहिए। जबकि किशोर चीतों को 18 महीने तक ही बाड़े में रखा जाना चाहिए। 

भारत के मामले में, चीतों को जुलाई 2023 से सीमित कर दिया गया है। सितंबर और फरवरी में भारत पहुंचने के बाद चीतों के पहले बैच को प्रोटोकॉल के अनुसार एक महीने बाड़े में रखने के बाद मुक्त परिस्थितियों में छोड़ा जाना चाहिए था। 

चीता ज्वाला, नाभा, साशा, उदय, दक्ष और तेजस को अब तक जंगल में नहीं छोड़ा गया है। 

इस बीच, प्रोजेक्ट चीता के प्रमुख एसपी यादव ने कहा कि मौसम की चरम स्थिति के कारण चीतों को नहीं छोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा, "उपयुक्त मौसम की स्थिति के अनुसार रिहाई के फैसले की समीक्षा की जाएगी।" उन्होंने कहा कि अभी तक चीतों को जंगल में छोड़ने की कोई योजना नहीं है।

वहीं, जैव विविधता-केंद्रित मेटास्ट्रिंग फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी और जैव विविधता सहयोग के समन्वयक रवि चेल्लम ने कहा कि चीतों को लंबे समय तक कैद में रखना और उन्हें कैद में प्रजनन करना चीता एक्शन प्लान में बताए गए संरक्षण के उद्देश्यों को पूरा नहीं करता है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in