1990 से लेकर अब तक 17.8 करोड़ हेक्टेयर जंगल हो चुके हैं ख़त्म

यदि पृथ्वी पर हर इंसान के हिस्से का हिसाब लगाए तो प्रति व्यक्ति के हिसाब से 0.52 हेक्टेयर जंगल बाकी हैं
1990 से लेकर अब तक 17.8 करोड़ हेक्टेयर जंगल हो चुके हैं ख़त्म
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1990 से लेकर अब तक दुनिया भर में करीब 17.8 करोड़ हेक्टेयर में फैले जंगल ख़त्म हो चुके हैं| जोकि अफ्रीकी देश लीबिया के क्षेत्रफल के लगभग बराबर है| हालांकि यदि पहले की तुलना में देखें तो जंगलों के विनाश की गति में कुछ कमी आई हैं| पर वो भी अभी इतनी धीमी नहीं हैं कि उससे जंगलों को बचाया जा सके| वैश्विक स्तर पर इंसान अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर इन्हे काट रहा है, पर पिछले 5 सालों में उसकी गति में कुछ कमी आयी है| गौरतलब है कि 2010 से 2015 के बीच हर साल करीब 1.2 करोड़ हेक्टेयर जंगलों को काट दिया जाता था| जोकि पिछले पांच सालों (2015-2020) में 1 करोड़ हेक्टेयर प्रति वर्ष कि दर से काटे जा रहे हैं| अनुमान है कि दुनिया भर में 1990 से लेकर अब तक 42 करोड़ हेक्टेयर जंगल काट दिए गए हैं|

यह हैरान कर देने वाले आंकड़े संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा आज जारी रिपोर्ट 'ग्लोबल फारेस्ट रिसोर्स एसेस्समेंट 2020' में सामने आये हैं| यह रिपोर्ट हर पांच साल के अंतराल में प्रकाशित की जाती है| जिसे एफएओ ने दुनिया भर के 700 विशेषज्ञों की मदद से तैयार किया है| इस रिपोर्ट में 236 देशों में मौजूद वन सम्पदा को 60 से अधिक कारकों के आधार पर विश्लेषित किया गया है| आज दुनिया के करीब एक तिहाई हिस्से पर जंगल मौजूद हैं| जोकि आज धरती के करीब 406 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र पर फैले हुए हैं| यदि पृथ्वी पर हर इंसान के हिस्से में देखें तो प्रति व्यक्ति के हिसाब से 0.52 हेक्टेयर जंगल बाकि है|

जिनमें से दुनिया के आधे से ज्यादा (करीब 54 फीसदी) जंगल केवल पांच देशों- रूस, ब्राजील, कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन में हैं| यदि वैश्विक स्तर पर देखें तो दुनिया के करीब 93 फीसदी वन प्राकृतिक रूप से पुनर्जीवित हुए जंगल हैं, जबकि केवल 7 फीसदी को इंसानों द्वारा लगाया गया है| इनमें से यह प्राकृतिक जंगल तो तेजी से कम हो रहें हैं| पर 1990 के बाद से कृत्रिम रूप से लगाए जंगल का क्षेत्र 12.3 करोड़ हेक्टेयर बढ़ गया है|

अफ्रीका में सबसे तेजी से कम हो रहें हैं जंगल 

यदि जंगलों में जारी गिरावट और नए लगाए जा रहे जंगलों के अंतर को देखें तो 2010 के बाद से हर साल करीब 47 लाख हेक्टेयर जंगल ख़त्म हो रहे है| वन क्षेत्र में होने वाली शुद्ध हानि 1990 से 2000 में प्रति वर्ष 78 लाख हेक्टेयर से घटकर 2000–2010 में 52 लाख हेक्टेयर और 2010–2020 में 47 लाख हेक्टेयर प्रति वर्ष हो गई है। यह हानि अफ्रीका में सबसे ज्यादा है| 2010 से 2020 के दौरान यहां सबसे ज्यादा करीब 39 लाख हेक्टेयर जंगलों कि हानि हुई है| जोकि 1990 के बाद से लगातार जारी है| वहीँ दक्षिण अमेरिका में इस अवधि में करीब 26 लाख हेक्टेयर जंगल नष्ट हुए हैं| ओशिनिया में भी नेट फारेस्ट एरिया घट रहा है| जबकि एशिया में शुद्ध वन क्षेत्र बढ़ रहा है| वहां 2000 से 2010  के बीच करीब 24 लाख हेक्टेयर और 2010 से 2020 के दौरान 12 लाख हेक्टेयर कि वृद्धि हुई है|

संरक्षित क्षेत्रों में मौजूद जंगलों में हुआ है 19.8 करोड़ हेक्टेयर इजाफा

इस रिपोर्ट में सबसे अच्छी बात यह सामने आयी है कि 1990 के बाद से संरक्षित क्षेत्रों में मौजूद जंगलों में इजाफा हो रहा है| तब से लेकर अब तक इन जंगलों के क्षेत्र में 19.8 करोड़ हेक्टेयर का इजाफा हो चुका है| आज दुनिया के करीब 18 फीसदी जंगल इन संरक्षित क्षेत्रों में ही स्थित हैँ| गौरतलब है कि दुनिया भर के संरक्षित क्षेत्रों में करीब 72.6 करोड़ हेक्टेयर जंगल हैं। जिनमें से सबसे ज्यादा करीब 31 फीसदी जंगल दक्षिण अमेरिका के संरक्षित में हैं| एफएओ के वरिष्ठ वानिकी अधिकारी एन्सि पेककारिनन ने बताया कि इस बढ़ोतरी का मतलब है कि दुनिया जंगलों के लिए तय 'आइची लक्ष्य' को हासिल कर चुकी है| इस लक्ष्य के अंतर्गत 2020 तक 17 फीसदी हिस्से पर जंगलों को बचाने का लक्ष्य रखा गया था|" दुनिया के करीब 73 फीसदी जंगल सरकार के आधीन हैं| जबकि 22 फीसदी निजी हाथों में हैं| बाकी बचे 5 फीसदी जंगलों के बारे में कोई जानकारी नहीं है|

जंगल ने केवल जैवविविधता के पनाहगार है| यह इंसान के लिए भी अत्यंत जरुरी है| इनसे हमें न जानें कितनी जरुरी चीजें मिलती है| आप अपने आस पास उन्हें रोज ही देख सकते हैँ इनमें भोजन, लकड़ी जैसे अनेकों संसाधन शामिल हैँ| सबसे महत्वपूर्ण यह धरती के लिए एक फ़िल्टर का काम करते है, जो दूषित हो रही हवा को साफ़ करते रहते हैँ| जोकि हमारे अस्तित्व के लिए बहुत जरुरी है | यही वजह है कि इन्हें सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स 15 के अंतर्गत रखा गया है| और लगातार इनके संरक्षण और विस्तार की कवायद जारी है|

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