केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की वन मंजूरी समिति (एफएसी) ने महाराष्ट्र सरकार को जंगल के बाहर मौजूद तालाबों और टैंक से सिल्ट साफ करने की इजाजत नहीं दी है। समिति ने कहा कि ऐसी परियोजनाओं की निगरानी नहीं हो सकती। इस तरह की अनुमतियों का दुरुपयोग होता है। ऐसे में यह इजाजत नहीं दी जा सकती। हालांकि मंत्रालय ने कहा कि यदि एक-एक आवेदन उनके पास आएं तो वे विचार कर सकते हैं।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से कहा गया था कि किसानों को उपजाऊ मिट्टी की जरूरत होती है। ऐसे में जंगल के बाहर मौजूद तालाबों और टैंकों की सिल्ट को निकालकर उनतक पहुंचा दिया जाएगा। यह गैर वन गतिविधियों में भी शामिल नहीं होगा। एफएसी ने कहा कि इस संबंध में जांचा परखा गया है कि यह गैर वन गतिविधि नहीं है। हालांकि, राज्य सरकार यदि एक-एक करके उनके पास आवेदन भेजती है तो वे इस पर विचार कर सकते हैं।
वहीं, महाराष्ट्र सरकार के एक और आवेदन पर एफएसी ने स्पष्टीकरण की मांग की है। सरकार की ओर से अंडरग्राउंड ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी), टेलीफोन लाइन, पेयजल आपूर्ति की पाइपलाइन, बिजली के तार, सीएनजी व पीएनजी लाइन बिछाने के लिए वन मंजूरी की मांग की थी। एफएसी ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से दी गई सामान्य मंजूरी में कहा गया है कि यदि अंडरग्राउंड एक पंक्ति में काम हो तो यह किया जा सकता है। वहीं, किसी भी तरह से वन्य क्षेत्र और वन्यजीव व पेड़ को नुकसान नहीं होना चाहिए। वन्यजीव बोर्ड से अनुमति के अलावा यदि टाइगर रिजर्व का हिस्सा आता है तो इसके लिए एनटीसीए से भी अनुमति लेनी होगी। हालांकि, महाराष्ट्र सरकार को ओएफसी बिछाने के लिए लगाए जाने वाले पोल की ऊंचाई और दूरी साथ ही अन्य जानकारियां विस्तृत तौर पर बतानी होंगी। इसके बाद ही इस परियोजना पर विचार किया जा सकता है।