यूरोपीय संघ के मेंढकों के आयात से एशिया और पूर्वी यूरोप में इनके अस्तित्व पर मंडराया खतरा: रिपोर्ट

यूरोपीय संघ प्रति वर्ष लगभग 4070 टन मेंढकों के पैरों का आयात करता है, जो लगभग 81 से 20 करोड़ मेंढकों के बराबर है।
फोटो:डेडली डिश
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एक ओर जहां यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों में देशी मेंढकों को पकड़ने और मारने की सख्त पाबंदी है, उन्हें संरक्षित तथा बचाया जाता है। दूसरी ओर, यूरोपीय संघ लोगों के उपभोग के लिए दुनिया के अन्य हिस्सों से पकड़े गए जंगली मेंढकों के आयात की अनुमति देता है और यह ज्यादातर अनियंत्रित हैं, क्योंकि आयात किए जाने वाले अधिकांश मेंढक की प्रजातियां अंतरराष्ट्रीय रूप से संरक्षित नहीं हैं।

जर्मनी की प्रो वाइल्डलाइफ और फ्रांस की रॉबिन डेस बोइस संस्थाओं की नई रिपोर्ट "डेडली डिश" के मुताबिक यूरोपीय संघ के लाखों मेंढकों के पैरों के आयात से पारिस्थितिकी पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। यूरोपीय संघ प्रति वर्ष लगभग 4070 टन मेंढकों के पैरों का आयात करता है, जो लगभग 81 से 20 करोड़ मेंढकों के बराबर है। जिनमें से अधिकांश को जंगलों से पकड़ा जाता है।

यह आपूर्ति करने वाले देशों जैसे इंडोनेशिया, तुर्की और अल्बानिया में मेंढक की आबादी के लिए खतरा बन गया है। यूरोपीय संघ अब तक मेंढकों के पैरों का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक है और बड़े पैर वाली प्रजातियां जैसे केकड़ा खाने वाले मेंढक (फेजेर्वरिया कैनक्रिवोरा) और पूर्वी एशियाई मेंढक (होपलोबैट्राचस रगुलोसस) यूरोप में कथित पेटू के बीच अत्यधिक मांग में हैं।

दशकों से यूरोपीय संघ के बाजार के लिए मेंढकों के अत्यधिक शिकार के खतरनाक परिणाम सामने आए हैं-

1980 के दशक में भारत और बांग्लादेश यूरोप में मेंढकों के पैरों की आपूर्ति करने वाले पहले देश थे, लेकिन 1990 के बाद से, इंडोनेशिया ने सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता के रूप में अपना सिक्का जमाया।

म्यूनिख में स्थित संगठन प्रो वाइल्डलाइफ के सह-संस्थापक डॉ सैंड्रा अल्थर कहते हैं कि दक्षिण पूर्व एशियाई देश में, जैसा कि अब तुर्की और अल्बानिया के जंगलों में भी बड़ी मेंढक प्रजातियां घट रही हैं, यहां एक के बाद एक, प्रजातियों के संरक्षण के लिए गंभीर खतरा पैदा हो रहा हैं।

मेंढक की पारिस्थितिकी तंत्र में कीट शिकार करने वाले के रूप में एक अहम भूमिका होती है और जहां मेंढक गायब हो जाते हैं, वहां जहरीले कीटनाशकों का उपयोग बढ़ रहा है। इसलिए मेंढकों के पैरों के व्यापार का न केवल प्रत्यक्ष परिणाम होता है बल्कि पर्यावरण पर भी इसका असर पड़ता है।

पेरिस स्थित संगठन रॉबिन डेस बोइस के अध्यक्ष शार्लोट निथार्ट ने जोर देते हुए कहा कि मेंढक, जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के लिए अहम हैं।

नई रिपोर्ट "डेडली डिश" तीन समस्याओं के भयानक रूप को उजागर करती है -

यूरोपीय संघ के बाजार के लिए पिछले एक दशक में इंडोनेशिया में बड़े पैमाने मेंढक भंडार की लूट जारी है। 2010 से 2019 की अवधि में केवल  इंडोनेशिया से यूरोपीय संघ द्वारा 3 करोड़ किलोग्राम से अधिक मेंढक के पैर आयात किए गए थे। द जायंट जवान फ्रॉग (लिमोनेक्टेस मैक्रोडोन) को पैकेजों पर लेबल किया जाता है, भले ही इंडोनेशिया अब इस प्रजाति का निर्यात नहीं करता है। इस तरह से उपभोक्ताओं को गुमराह किया जा रहा है।

मेंढकों का हद से ज्यादा शिकार अब अन्य देशों में इनकी आबादी को विलुप्त होने के कगार पर ले जा रहा है। तुर्की के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यदि जंगलों में आबादी का अत्यधिक शिकार जारी रहता है तो 2032 तक देशी जल मेंढक विलुप्त हो सकते हैं। अल्बानिया में, मेंढक के पैरों का यूरोपीय संघ का चौथा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता, स्कूटी वाटर फ्रॉग (पेलोफिलैक्स शकीपरिकस), अब खतरे में है।

संयुक्त राज्य अमेरिका भी खपत के लिए बड़ी मात्रा में मेंढकों का आयात करता है, ये मुख्य रूप से व्यापार के लिए खेतों से उठाए गए मेंढक होते हैं। अमेरिका के विपरीत, यूरोपीय संघ ज्यादातर जंगली पकड़े गए मेंढकों का आयात करता है। यूरोपीय संघ के आयात का लगभग 74 फीसदी इंडोनेशिया से, 4 फीसदी  तुर्की से और 0.7 फीसदी अल्बानिया से आता है, जहां जंगली मेंढकों की आबादी तेजी से खतरे में पड़ गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जंगली जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन, सीआईटीईएस के परिशिष्टों में मेंढक की प्रजातियों के हद से ज्यादा शिकार करने से खतरा बढ़ गया है।

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